रात का कृत्रिम प्रकाश एडीज मच्छरों के व्यवहार को बना रहा है आक्रामक

प्रकाश प्रदूषण के बढ़ते स्तर से डेंगू बुखार, पीला बुखार (येलो फीवर), चिकनगुनिया और जीका जैसी बीमारियां होने के आसर बढ़ गए हैं
रात का कृत्रिम प्रकाश एडीज मच्छरों के व्यवहार को बना रहा है आक्रामक
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सरकार ने अस्पतालों को रोगों के उपचार के लिए दिशानिर्देशों जारी किए है, जिसमें डेंगू, मलेरिया और एच1एन1 जो कोरोनोवायरस के लक्षणों के समान हैं। कई राज्यों में  डेंगू और मलेरिया के मामले बढ़ रहे हैं। डेंगू फैलाने वाला एडीज एजिप्टी मच्छर दिन में काटे जाने के लिए जाना जाता है। इसके अधिकतर काटने का समय सुबह और शाम से पहले होता है। एक नए शोध से पता चला है कि कृत्रिम प्रकाश के कारण  एडीज एजिप्टी मच्छर रात को भी काटने लगा है।

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नोट्रे डेम के शोध के अनुसार कृत्रिम प्रकाश असामान्य रूप से रात में मच्छरों के काटने के व्यवहार को बढ़ाता है, जबकि यह विशेष प्रजाति आम तौर पर दिन के दौरान लोगों को काटना पसंद करती है। 

एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने में वृद्धि हो रही है। ये मच्छर आम तौर पर सुबह के समय उड़ते और काटते हैं। अब यह चिंता का विषय है कि प्रकाश प्रदूषण के बढ़ते स्तर से डेंगू बुखार, पीला बुखार (येलो फीवर), चिकनगुनिया और जीका जैसी बीमारियां होने के आसर बढ़ गए हैं।

ईक इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस एंड बिहेवियर प्रोग्राम में जीव विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर जाइल्स डफिल्ड का कहना है कि, यह एक बहुत ही वास्तविक समस्या है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। अन्य प्रजातियों के विपरीत, एडीज एजिप्टी मच्छर मनुष्यों के बीच विकसित हुआ और उनको काटकर ही भोजन करना पसंद करता है। यह अध्ययन द अमेरिकन जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन में प्रकाशित हुआ है।

क्या है प्रकाश प्रदूषण

प्रकाश प्रदूषण कृत्रिम प्रकाश के बहुत अधिक या अनावश्यक उपयोग के कारण होता है। प्रकाश प्रदूषण में अत्यधिक चमकीली रोशनी, चमक, चकाचौंध आदि शामिल हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि प्रकाश प्रदूषण से जानवरों के व्यवहार, जैसे आक्रामकता, प्रवासन पैटर्न, नींद की आदतों और निवास स्थान के गठन को भी यह प्रभावित कर रहा है।

एडीज एजिप्टी मच्छर घरों के आसपास के क्षेत्रों में रहते हैं और प्रजनन करते हैं, इसलिए इनका प्रकाश प्रदूषण से बचने के बहुत कम आसार होते हैं।

जीव विज्ञान विभाग में  वैज्ञानिक और अध्ययनकर्ता सैमुअल एससी रुंड ने एक प्रयोग किया। प्रयोग के दौरान उन्होंने पिंजरों में रखे मच्छरों को नियंत्रित परिस्थितियों में अपनी बांह को काटने दिया। यह प्रक्रिया दिन के दौरान, रात में और रात में कृत्रिम रोशनी के संपर्क में की गई।

मादा मच्छर - जो कि केवल एक बार काटते हैं - रात में जब वे कृत्रिम प्रकाश के संपर्क में आए तो उनकी दो बार काटने या खून-पीने की आशंका बढ़ गई। नियंत्रण समूह के 59 प्रतिशत मच्छरों ने कृत्रिम प्रकाश में काटा अथवा खून पीया।

इन निष्कर्षों से महामारी विज्ञानियों को इस प्रजाति द्वारा बीमारी को फैलाने के सही खतरे को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। खोज में सुझाव दिया गया है कि हमें बिस्तर में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए। आमतौर पर मच्छरों के एक अलग जीनस एनोफेलीज से काटने के लिए मच्छरदानी का उपयोग रात में किया जाता है, लेकिन क्योंकि एडीज एजिप्टी कृत्रिम प्रकाश द्वारा अधिक आक्रामक हो सकता है, इसलिए मच्छरदानी का उपयोग उन क्षेत्रों में भी किया जा सकता है जहां बीमारी के फैलने की आशंका अधिक होती है।

डफिल्ड ने कहा इस शोध का प्रभाव बहुत बड़ा हो सकता है और शायद इसे नजरअंदाज कर दिया जाएगा। संक्रमण की दरों के अनुमान लगाते  समय एपिडेमियोलॉजिस्ट को चाहिए कि वे प्रकाश प्रदूषण को ध्यान में रखें। एपिडेमियोलॉजिस्ट - सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवर होते हैं जो मनुष्यों के बीमार होने और बीमारी के पैटर्न और कारणों की जांच करते हैं।

डफिल्ड और उनके सहयोगियों ने एडिस एजिप्टी मच्छरों के काटने की गतिविधि का आगे अध्ययन करने के लिए अलग-अलग तरह के कृत्रिम प्रकाश के साथ प्रयोग करने की योजना बनाई है। इसमें अलग-अलग तरह के प्रकाश की अवधि, इसकी तीव्रता और रंग, और काटने का समय शामिल है चाहे यह फिर रात में  हो या देर रात में। टीम आणविक आनुवंशिक मार्गों में भी रुचि रखती है जो काटने की गतिविधि में शामिल हो सकते हैं। यह ध्यान देने के बाद कि अध्ययन के तहत आबादी में हर मच्छर कृत्रिम प्रकाश के साथ रात में भी काटने में दिलचस्पी नहीं रखता है। डफिल्ड ने कहा हमें लगता है कि एडीज एजिप्टी प्रजातियों के भीतर एक आनुवंशिक घटक है जिससे वे कृत्रिम प्रकाश में आक्रामक होकर काटने पर उतारू हो जाते हैं।

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