
राजस्थान में सरकार ने हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय से सटी सतीपुरा एवं 2 केएनजे ग्राम पंचायतों की बड़ी आबादी को हनुमानगढ़ नगर परिषद के क्षेत्राधिकार में शामिल कर दिया है।
गत 10 जनवरी 2025 को राज्य के स्वायत शासन विभाग ने इस आशय की अधिसूचना जारी की। नगर परिषद में सतीपुरा ग्राम पंचायत के चक 45 व 50 एनजीसी (ग्रामीण) तथा 2 केएनजे पंचायत के चक 1 एवं 2 को शामिल किया गया है।
लेकिन दोनों पंचायतों के लोगों ने शहरी सीमा मेंं शामिल करने के विरोध में आंदोलन शुरू कर दिया है। वह बार-बार जिला मुख्यालय पर जिला कलक्ट्रेट और जिला परिषद कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन कर ज्ञापन दे रहे हैं। वह चाहते हैं कि उनके गांवों को पंचायत में ही बरकरार रखा जाए।
सबसे ज्यादा विरोध मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम) मजदूर कर रहे हैं। सतीपुरा मेंं मनरेगा में 1435 परिवार और 2 केएनजे पंचायत में 1666 परिवार पंजीकृत हैं जिनकी आजीविका मनरेगा के तहत मिलने वाले रोजगार से चलती है। इसलिए ग्रामीणों का भरोसा मनरेगा पर ही है।
सतीपुरा में मनरेगा में 15 साल से बतौर मेट काम कर रहे जसराम कहते हैं कि मैं और मेरी पत्नी मनरेगा में काम करते हैं। हम चार भाई हैं। चारों का परिवार मनरेगा में काम करता है। सबको एक साल में 100 दिन काम और एक दिन की मजदूरी के दो सौ रुपये मिल जाते हैं। हम खेतों में भी काम करते हैं और जब खेतों में काम नहीं रहता तो हमें मनरेगा के जरिए काम मिल जाता है। मनरेगा हमारा बड़ा सहारा है।
गांव 2 केएनजे में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता शेर सिंह शाक्य कहते हैं कि प्रशासनिक अधिकारी हमें शहर में शामिल होने के फायदे बता रहे हैं पर इससे हमारा नुकसान होना तय है। ग्रामीणों को अभी हाउस टैक्स नहीं देना पड़ता, लेकिन अब नगर परिषद इसे वसूलेगी। छोटे-मोटे काम करने के लिए भी औपचारिकताएं पूरी कर मंजूरी लेनी पड़ेगी। हम पर अर्बन टैक्स भी लागू हो जाएगा।
अभी ग्रामीणों के भूमि के पट्टे नाममात्र के शुल्क पर बना दिए जाते हैं पर नगर परिषद इसके लिए हजारों रुपए वसूलेगी। भूमि बेचान करने पर शहर की उच्च डीएलसी (डिस्ट्रिक्ट लेवल कमेटी ) दर के अनुसार पंजीयन शुल्क अदा करना पड़ेगा। बिजली के बिलों का बढ़ी हुई दरों पर भुगतान करना पड़ेगा। मकान बनाएंगे तो निर्माण स्वीकृति लेनी बाध्यकारी होगी।
2 केएनजे के निवासी रतनलाल धवल कहते हैं कि पहले हमारा गांव मक्कासर ग्राम पंचायत में आता था। पांच साल पहले इसे अलग ग्राम पंचायत बनाया गया, जिसके बाद पंचायत ने व्यापक विकास कराया है। ग्राम पंचायत के पास समूचे गांव के विकास के लिए बजट आता है। विभिन्न योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को मिलता है, जिससे हम वंचित नहीं होना चाहते।
धवल कहते हैं कि अधिकारी हमें शहर में राज्य सरकार की मुख्यमंत्री शहरी रोजगार गारंटी योजना में जोडऩे की बात कहते हैं लेकिन मनरेगा जितना फायदा दूसरी कोई योजना नहीं दे सकती। शहरी रोजगार गारंटी योजना राज्य सरकार की योजना है, जो कभी भी बंद हो सकती है लेकिन मनरेगा तो केन्द्र का कानून है, जिसे कोई नहीं बदल सकता। मनरेगा से मजदूरों को हमेशा काम मिलता रहेगा। हम इस लाभ को खोना नहीं चाहते।
सतीपुरा के ग्रामीणों का कहना है कि गांव के चक 45 एनजीसी और चक 50 एनजीसी में अधिकांशत: कृषि भूमि है, जिसे शहर में शामिल करने से खेती पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। भविष्य में हमारी कृषि भूमि पर सरकार कॉलोनियां भी विकसित करेगी, जिसके लिए हमारी जमीनें ले ली जाएंगी। हम अपनी कृषि भूमि गंवाने के पक्ष में नहीं हैं।
ग्रामीण सुरेन्द्र बलिहारा कहते हैं कि शहरी सीमा में जाने के कारण हमारे यहां ग्राम सेवा सहकारी समिति समाप्त हो जाएगी। इस कारण सहकारी समिति से किसानों को मिलने वाले फायदे बंद हो जाएंगे। ग्रामीण गुरसेवक सिंह कहते हैं कि शहरी सीमा के हमें कुछ फायदे होंगे मैं यह मानता हूं, परंतु नुकसान ज्यादा होंगे। हमारे घरों में पानी की सप्लाई मीटर लगाकर की जाएगी, जिसका ज्यादा भुगतान हमें करना पड़ेगा। हमारी जमीनें अधिग्रहित कर ली जाएंगी।
सतीपुरा के ग्रामीणों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर आयोजित विशेष ग्राम सभा में गांव को पंचायत में ही रखने के पक्ष में प्रस्ताव पारित कर दिया है। हम इस संबंध में जिला कलक्टर तथा जिला परिषद के अधिकारियों को ज्ञापन दे चुके हैं। मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन भेजा है। सतीपुरा के ग्राम विकास अधिकारी नंदकिशोर शर्मा कहते हैं कि ग्राम सभा में ग्रामीणों ने प्रस्ताव रख गांव को पंचायत में ही रखने पर जोर दिया है। यह प्रस्ताव प्रशासन को भेज दिया गया है।
जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ओपी बिश्नोई कहते हैं कि दोनों गांवों को शहरी सीमा में शामिल करने का फैसला राज्य सरकार का है। इन गांवों के लोगों ने अपने गांवों को पंचायत के तहत ही रखने के लिए ज्ञापन दिए हैं। ग्रामीणों का ज्ञापन हमने राज्य सरकार को भिजवा दिए हैं। इस बारे में सरकार ही कोई निर्णय कर सकती है।