
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और नोंग्मीकापम कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा 1976 के अधिनियम का उद्देश्य पेड़ों की सुरक्षा करना है, न कि उन्हें काटने को बढ़ावा देना। उन्होंने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश में आगरा के ताज ट्रेपेजियम जोन में पेड़ों की गिनती करने का आदेश देते हुए की।
सुप्रीम कोर्ट ने पांच मार्च, 2025 को कहा कि 1976 के अधिनियम की धारा 4 और 5 में पेड़ों को काटने या हटाने का प्रावधान है। यदि पेड़ों को बिना अनुमति के काटा जाता है तो उसके लिए धारा 10 के तहत दंड का प्रावधान है। हालांकि, इन नियमों को लागू करने के लिए मौजूदा पेड़ों से जुड़े आंकड़ों की आवश्यकता होती है, और यह आंकड़े तभी उपलब्ध कराए जा सकते हैं कि वृक्षों की उचित गणना की गई हो।
अदालत ने कहा कि वृक्ष गणना के बिना 1976 के अधिनियम को उचित रूप से लागू नहीं किया जा सकता।
ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय ने ताज ट्रेपेजियम जोन अथॉरिटी (टीटीजेड प्राधिकरण) को आदेश दिया कि वह टीटीजेड क्षेत्र में वृक्षों की गणना करने के लिए वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), देहरादून को प्राधिकरण के रूप में नियुक्त करे।
सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय अधिकारियों, राज्य सरकार और टीटीजेड प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वे पेड़ों की गणना करने में फारेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट (एफआरआई) को पूरी तरह से सहयोग दें। एफआरआई को मार्च 2025 के अंत तक अपनी रिपोर्ट अदालत के सामने प्रस्तुत करनी होगी।
गाद से समाधान: सिंघोला लैंडफिल में सक्रिय रूप से बायो-माइनिंग कर रहा है एमसीडी
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए सिंघोला लैंडफिल में सक्रिय रूप से बायो-माइनिंग कर रहा है। यह बात दिल्ली नगर निगम ने सात मार्च, 2025 को अदालत के सामने प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कही है। इस रिपोर्ट को एनजीटी द्वारा 19 नवंबर, 2024 को दिए आदेश पर कोर्ट में सबमिट किया गया है।
एमसीडी रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2017 में गाजीपुर लैंडफिल ढहने के बाद, डीडीए द्वारा पूर्वी दिल्ली नगर निगम को अप्रैल 2018 में सिंघोला खामपुर में 7.2 एकड़ जमीन गाद निपटान के लिए अस्थाई रूप से आवंटित की गई थी। इस जमीन को दो साल के लिए आवंटित किया गया था।
जुलाई 2022 तक इस साइट पर करीब नौ लाख मीट्रिक टन गाद जमा हो चुकी थी।
यह गाद एमसीडी के शाहदरा उत्तर और दक्षिण जोन, पीडब्ल्यूडी और जीएनसीटीडी के सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा गाद डाली गई थी। आगे डंपिंग से आस-पास के क्षेत्र में गाद के खिसकने का खतरा पैदा हो सकता था, इसलिए जुलाई 2022 में सिंघोला साइट पर गाद की डंपिंग रोक दी गई।
एमसीडी ने एक नवंबर 2024 को साइट पर 9 लाख मीट्रिक टन गाद निकालने और बायो-माइनिंग का काम शुरू किया था। अब तक दो लाख मीट्रिक टन गाद को प्रोसेस करके हटाया जा चुका है। इस परियोजना के अगस्त 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।
बवाना में करीब 35 एकड़ में एक इंजीनियर्ड सैनिटरी लैंडफिल बनाया गया है। इस सुविधा में प्रतिदिन करीब 2,300 टन कचरा आता है, जिसमें से 350 से 400 टन प्रोसेस रिजेक्ट और कचरे से ऊर्जा बनाने वाली राख का निपटान सैनिटरी लैंडफिल में किया जाता है।