संसद में आज: केंद्र ने कहा- साल 2023-24 में जंगलों की आग से हुए नुकसान का सर्वे नहीं किया गया

समुद्री पानी के प्रवेश होने के कारण ओडिशा में 1999 से 2018 के बीच 485 किलोमीटर लंबी तटरेखा का 153.8 किलोमीटर या 28 प्रतिशत हिस्सा गायब हो गया है।
31 जुलाई, 2024 तक, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के आंकड़ों से पता चलता है कि देश भर में 25,202 ईवी पब्लिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) स्थापित किए गए हैं।
31 जुलाई, 2024 तक, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के आंकड़ों से पता चलता है कि देश भर में 25,202 ईवी पब्लिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) स्थापित किए गए हैं।
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मॉनसून सत्र के दौरान, आज सदन में जंगलों की आग की वजह से होने वाले नुकसान को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में बताया कि देहरादून स्थित भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) ने साल 2023-2024 में आग से जले जंगलों का कोई सर्वेक्षण नहीं किया है।

हालांकि एफएसआई ने 2021-2022 में केरल और उत्तराखंड के राज्य वन विभागों के अनुरोध पर जंगलों में लगी आग का आकलन जरूरी किया था। इसके बाद मणिपुर से प्राप्त अनुरोधों के आधार पर साल 2022-23 में वहां के जंगलों में लगी आग का आकलन किया था।

2021-22 में केरल में लगभग 85.89 वर्ग किलोमीटर और उत्तराखंड में लगभग 1781.39 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आग की चपेट में आया। जबकि 2022-23 में मणिपुर में लगभग 861.32 वर्ग किलोमीटर जंगल में आग लगी।

देश में एथेनॉल के मिश्रण में वृद्धि

सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने बताया कि पेट्रोल के साथ एथेनॉल के मिश्रण में 1.53 से 8.17 फीसदी की वृद्धि हुई। इसी अवधि के दौरान पेट्रोल की खपत में भी लगभग 64 फीसदी की वृद्धि हुई है।

इस तरह के प्रदर्शन से उत्साहित होकर, सरकार ने पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को 2030 से आगे बढ़ाकर ईएसवाई 2025-26 करने का बढ़ाया गया।

हाइड्रोजन चालित वाहनों के लिए जैव ईंधन

वहीं सदन में पूछे गए एक और प्रश्न के उत्तर में, राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने लोकसभा में कहा कि सरकार नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को क्रियान्वित कर रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत को 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए वैश्विक केंद्र बनाना है। इसका लक्ष्य हर साल 50 लाख मीट्रिक टन (एमएमटी) ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है।

देश में इलेक्ट्रिक कारों के लिए चार्जिंग स्टेशन

एक अन्य सवाल ने जवाब में विद्युत राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने लोकसभा में बताया कि इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना निजी या सार्वजनिक चार्ज पॉइंट ऑपरेटर (सीपीओ) द्वारा की जाती है। केंद्र और राज्य सरकारें चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार के लिए नीतिगत ढांचा और आवश्यक सहायता प्रदान करती हैं। 31 जुलाई, 2024 तक देश भर में 25,202 ईवी पब्लिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) स्थापित किए जा चुके हैं।

बांधों की समीक्षा का फैसला

जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने लोकसभा में कहा कि अक्टूबर, 2023 में तीस्ता-तृतीय जलविद्युत बांध के ढहने के बाद केंद्रीय जल आयोग ने ग्लेशियर से बनी झीलों के फटने से आने वाली बाढ़ (जीएलओएफ) के प्रति संवेदनशील सभी मौजूदा और निर्माणाधीन बांधों की बाढ़ के डिजाइन की समीक्षा करने का फैसला किया है। इसके अलावा जलग्रहण क्षेत्रों में ग्लेशियर से बनी झीलों वाले सभी नए बांधों के लिए जीएलओएफ के बारे में अध्ययन करना अनिवार्य कर दिया गया है।

पुरी में समुद्री दीवार

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में ओडिशा सरकार के जल संसाधन विभाग से प्राप्त जानकारी का हवाला देते हुए कहा, पुरी और कोणार्क क्षेत्र में समुद्र तट पर स्थायी समुद्री दीवार का निर्माण नहीं किया गया है।

राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर) द्वारा लगभग तीन दशकों की अवधि के कुल तटरेखा परिवर्तन विश्लेषण से पता चला है कि पुरी मेंमें लगभग 11.3 फीसदी तटों के कटाव की जद में है और शेष 10.1 फीसदी तट स्थिर स्थिति की श्रेणी में है। कोणार्क तट के अधिकतर हिस्से में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है जबकि तट के पूर्वी छोर पर स्थिर से कम कटाव देखा गया।

सिंह ने कहा कि समुद्री पानी के प्रवेश होने के कारण ओडिशा में 1999 से 2018 के बीच 485 किलोमीटर लंबी तटरेखा का 153.8 किलोमीटर या 28 प्रतिशत हिस्सा गायब हो गया है।

कर्नाटक में पर्यावरण क्षरण

वहीं एक और प्रश्न के उत्तर में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा में बताया कि कर्नाटक में सूखे की घटनाएं मुख्य रूप से बारिश में स्थानीय और अस्थायी अंतर के कारण होती हैं। सूखा प्रभावित क्षेत्र लगभग पूरे बारिश आधारित खेती वाले हिस्से को शामिल करता है और कर्नाटक के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा प्रकाशित देश के कृषि-पारिस्थितिकी उप क्षेत्र मानचित्र के अनुसार, लगभग 16 फीसदी क्षेत्र शुष्क और 37 फीसदी क्षेत्र अर्ध-शुष्क क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

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