दिल्ली रिज में सेना ने लगाए 42,000 देसी पेड़, एनजीटी में मानी अनुमति न लेने की चूक

सेना ने एनजीटी में कहा है कि अभियान का उद्देश्य जैव विविधता बढ़ाना और कीकर हटाकर देसी पेड़ लगाने के सरकारी आदेश का पालन करना था
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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सेना ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष यह स्वीकार किया है कि रिज क्षेत्र में हरियाली लौटाने के प्रयासों की शुरुआत से पहले दिल्ली वन विभाग से अनुमति या परामर्श नहीं किया गया। यह एक प्रशासनिक चूक थी, जिसे उन्होंने ईमानदारी से स्वीकार करते हुए जिम्मेदारी भी ली है। हालांकि इस काम के पीछे की उनकी मंशा नेक थी।

सेना की 61 कैवेलरी यूनिट की 'बी स्क्वॉड्रन', जो इस भूमि की संरक्षक है, ने 2021 में योजनाबद्ध तरीके से वनीकरण अभियान शुरू किया। इसका जिक्र टाइम्स ऑफ इंडिया में 18 दिसंबर, 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट में किया गया है। दिसंबर 2024 में तैयार रिपोर्ट के अनुसार, इस अभियान के तहत कुल 42,000 देसी किस्मों के पेड़ लगाए गए हैं। इनमें से 22,000 पेड़ "मियावाकी" पद्धति से लगाए गए, जो अब छोटे लेकिन घने और स्वनिर्भर जंगल में बदल चुके हैं।

यह पेड़ 8.78 हेक्टेयर भूमि पर लगाए गए हैं जो मौजूदा समय में चार से पांच फीट ऊंचे हैं और अप्रैल 2023 की गूगल अर्थ सैटेलाइट इमेजरी में दिखाई नहीं दे रहे हैं। इसके अलावा, 90 कीकर के पेड़ वहां मौजूद हैं लेकिन गूगल इमेज में नहीं देखे जा सकते क्योंकि वे बिखरे हुए हैं और अधिकारियों द्वारा छवि लेने पर उनमें कम पत्ते थे।

यह भी कहा गया है कि क्षेत्र में 20,000 अतिरिक्त पौधे लगाने के दौरान कोई भी पेड़ न तो उखाड़ा गया और न ही उसे गिराया गया है।

वन विभाग ने भी की 42,000 पेड़ों की पुष्टि

सेना ने देसी किस्मों के 42,000 पेड़ लगाए हैं, इसकी पुष्टि दिल्ली वन विभाग ने 6 जनवरी और 10 फरवरी 2024 को इस साइट के किए निरीक्षण में भी की है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वृक्षारोपण के दौरान कोई भी पेड़ नहीं काटा गया। वहां महज 20 सूखे या गिरे हुए पेड़ों को हटाकर किनारे पर रखा गया ताकि वे एक प्राकृतिक सीमा की तरह काम कर सकें।

सेना मुख्यालय की ओर से भी इसकी जांच की गई है, जिसमें यह सामने आया है कि संबंधित इकाई द्वारा किए इस कार्य के पीछे कोई दुर्भावना नहीं थी। सेना का इरादा अधिक से अधिक देशी पेड़ लगाकर पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना था।

हालांकि, सेना ने स्वीकार किया है कि सूखे पेड़ों को हटाने और झाड़ियों की सफाई से पहले संबंधित विभाग से परामर्श लेना चाहिए था। अब इस पूरे मामले पर आंतरिक जांच हो चुकी है और सभी संबंधित कर्मियों को पर्यावरणीय नियमों और प्रक्रियाओं के प्रति संवेदनशील किया गया है।

सेना ने अपने हलफनामे में कहा कि इस अभियान का उद्देश्य रिज क्षेत्र में जैव विविधता को बढ़ाना और दिल्ली सरकार के उस आदेश का पालन करना था जिसमें विदेशी कीकर प्रजातियों को हटाकर देसी पेड़ लगाने का निर्देश दिया गया था।

यह हलफनामा 17 अप्रैल 2025 को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है और इसे बी स्क्वॉड्रन 61 कैवेलरी, दिल्ली छावनी के ऑफिसर कमांडिंग ने दाखिल किया है।

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