विश्व वनस्पति दूध दिवस पर जानें, पौधों से मिलने वाले दूध के फायदे

वर्तमान में बादाम, सोया, जई और नारियल जैसे पौधोंं से मिलने वाला दूध काफी लोकप्रिय हो रहा है
वर्तमान में बादाम, सोया, जई और नारियल जैसे पौधे पर आधारित दूध लोकप्रिय विकल्प बन रहे हैं।
वर्तमान में बादाम, सोया, जई और नारियल जैसे पौधे पर आधारित दूध लोकप्रिय विकल्प बन रहे हैं।फोटो साभार: आईस्टॉक
Published on

वर्ल्ड प्लांट मिल्क डे यानी विश्व वनस्पति दूध दिवस हर साल 22 अगस्त को मनाया जाता है। यह पौधों पर आधारित दूध के विकल्पों के फायदों और बढ़ती लोकप्रियता का जश्न मनाने का दिन है। यह वैश्विक कार्यक्रम पारंपरिक डेयरी के बजाय पौधों से मिलने वाले दूध का इस्तेमाल करने से होने वाले फायदों को बताता है।

वर्तमान में बादाम, सोया, जई और नारियल जैसे पौधे पर आधारित दूध लोकप्रिय विकल्प बन रहे हैं।

पौधों से मिलने वाला दूध हमारे शरीर को सुरक्षित रूप से जरूरी पोषक तत्व और खनिज प्रदान करता है, जिससे हमें जीवन पूरी तरह से जीने की शक्ति और सहनशक्ति मिलती है।

विश्व वनस्पति दूध दिवस हमें यह भी याद दिलाता है कि पौधों से मिलने वाले दूध पीने के और भी कई फायदे हैं। जानवरों के प्रति क्रूरता को खत्म करने और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद करते हैं। कुल मिलाकर विश्व वनस्पति दूध दिवस स्वास्थ्य और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

वनस्पति पर आधारित दूध लैक्टोज मुक्त होता है और गाय के दूध का सबसे अच्छा विकल्प है। प्लांट बेस्ड न्यूज के सह-संस्थापक रॉबी लॉकी द्वारा 2017 में विश्व प्लांट मिल्क डे जिसे हिंदी में विश्व वनस्पति दूध दिवस कहते हैं, की शुरुआत की गई थी। यह दिन 2018 में पीबीएन और प्रोवेज के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास बन गया, जिस अभियान ने दुनिया भर के लाखों लोगों को डेयरी दूध से वनस्पति आधारित विकल्पों पर जाने के लिए प्रोत्साहित किया।

पौधे से प्राप्त दूध का स्वाद बढ़िया होता है, इसमें वसा कम होती है और यह शाकाहारियों के लिए आदर्श है। पौधों पर आधारित दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसमें आवश्यक विटामिन और खनिजों की रोजमर्रा की जरूरत पूरी हो जाती है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा कम होता है और यह दूध पाचन तंत्र के लिए भी भारी नहीं होता है।

बादाम का दूध, सोया दूध, काजू का दूध, चावल का दूध और अलसी का दूध कुछ लोकप्रिय पौधों पर आधारित दूध के प्रकार हैं जो आजकल ज्यादातर सुपरमार्केट में आसानी से उपलब्ध हैं। पौधों पर आधारित दूध का उत्पादन क्रूरता मुक्त है, जो बदलाव करने का एक और बड़ा कारण है। इस तरह के बदलाव मामूली लग सकते हैं और इनके नगण्य परिणाम हो सकते हैं, लेकिन लंबे समय में, वे निश्चित रूप से हमारे कार्बन पदचिह्न को कम करने और हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेंगे।

इस दिन को मनाने का उद्देश्य उपभोक्ताओं को वनस्पति आधारित दूध की विविधता, उनके पोषण संबंधी लाभों और डेयरी उत्पादन से जुड़े पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में उनकी भूमिका के बारे में जागरूक करना है।

एक अध्ययन के मुताबिक, साल 2020 में दुनिया भर में 2.95 बिलियन डॉलर पौधों पर आधारित डेयरी विकल्पों की बिक्री हुई। पिछले पांच सालों में पौधों पर आधारित दूध के उपयोग में 54 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 23 देश ऐसे हैं जिन्होंने गाय के दूध के विकल्प के रूप में पौधों पर आधारित दूध को अपने राष्ट्रीय पोषण दिशा निर्देशों में शामिल किया है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in