हर साल एक से सात सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (एनएनडब्ल्यू) मनाया जाता है। यह समय समग्र स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती को बनाए रखने में पोषण की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा खाद्य एवं पोषण बोर्ड के सहयोग से आयोजित यह सप्ताह भर चलने वाला कार्यक्रम स्वस्थ खाने की आदतों को प्रोत्साहित करता है और स्वास्थ्य पर पोषण के गहन प्रभाव को उजागर करता है। यह देश भर में खाद्य संस्कृतियों की समृद्ध विविधता का भी जश्न मनाने का सप्ताह है।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2024 की थीम ‘सभी के लिए पौष्टिक आहार’ है। यह विषय सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों का समर्थन करता है।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाने का उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने तथा 'पौष्टिक आहार' का हमारे जीवन में महत्व के बारे में बताना है। भारत में पोषण की शुरुआत 1982 से हुई, इस दौरान देश में सबसे अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार थे। इस समस्या से उबरने के लिए राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाने का फैसला किया गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, भारत में कुपोषण की वजह से हर साल पांच साल से कम उम्र के लगभग 10 लाख से अधिक बच्चों की मौत हो जाती है। वहीं, देश की आधी आबादी भरपूर्ण पोषण संबंधी हार लेने में पीछे हैं।
वर्ल्डोमीटर के अनुसार, भारत की 14.37 फीसदी आबादी कुपोषित है, जो लगभग 16.1 करोड़ है।
पोषण को लेकर क्या कहती है डब्ल्यूएचओ की गाइड लाइन
एक स्वस्थ आहार में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं जो आपके कैलोरी में शामिल रहते हुए आपके शरीर को पर्याप्त पोषक तत्व प्रदान करते हैं। एक स्वस्थ और संतुलित आहार कई बीमारियों के खतरों को कम करने में मदद करता है, जिसमें हृदय और यकृत से संबंधित बीमारियां भी शामिल हैं।
अपने भोजन में किन-किन जरूरी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, हमें हर दिन के खाने से सभी विटामिन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, जिनकी हमारे शरीर को जरूरत होती है। खाद्य सुरक्षा 2023 रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की लगभग 74 फीसदी जनसंख्या स्वस्थ आहार पर होने वाले खर्च को उठाने में असमर्थ है और 39 फीसदी लोगों में पोषक तत्वों की कमी है। ऐसे में भारत को पोषण सप्ताह की जरूरत और भी अधिक हो जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, जीवन भर स्वस्थ आहार लेने से कुपोषण के साथ-साथ कई तरह की गैर-संचारी बीमारियों और मधुमेह, हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर जैसी स्थितियों से बचाव होता है।
संतुलित और स्वस्थ आहार व्यक्ति की उम्र, लिंग, जीवनशैली और शारीरिक गतिविधि जैसी व्यक्तिगत विशेषताओं के आधार पर अलग-अलग होता है। यह सांस्कृतिक संदर्भ, स्थानीय रूप से उपलब्ध खाद्य पदार्थों और आहार संबंधी रीति-रिवाजों पर भी निर्भर करता है।
किस मात्रा में कौन सी चीज खाएं?
फल और सब्जियां : डब्ल्यूएचओ के अनुसार, आलू, शकरकंद, कसावा और अन्य स्टार्च वाली जड़ों को छोड़कर, हर दिन 10 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए कम से कम 400 ग्राम या पांच हिस्से फल और सब्जियां जरूरी हैं। इससे गैर-संचारी रोगों का खतरा कम होता है और आहार में रोजमर्रा फाइबर का पर्याप्त सेवन सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। दो से पांच वर्ष की आयु के बच्चों को हर दिन कम से कम 250 ग्राम, जबकि छह से नौ वर्ष की आयु के बच्चों को प्रतिदिन 350 ग्राम का सेवन करना चाहिए।
वसा: कुल ऊर्जा सेवन का 30 फीसदी से कम वसा से आनी चाहिए। यह वयस्क आबादी में वजन बढ़ने से रोकने में मदद करता है और गैर-संचारी रोगों के होने के खतरों को कम करता है।
नमक, सोडियम और पोटेशियम: ज्यादातर लोग सोडियम का बहुत अधिक सेवन करते हैं और पोटेशियम की कमी होती है। नमक का अधिक सेवन और पोटेशियम का अपर्याप्त सेवन उच्च रक्तचाप को बढ़ा सकता है।
शर्करा: वयस्कों और बच्चों दोनों के लिए, शर्करा का सेवन कुल ऊर्जा के 10 फीसदी से कम होना चाहिए, लेकिन स्वास्थ्य को होने वाले अतिरिक्त फायदों के लिए आदर्श रूप से कुल ऊर्जा सेवन का पांच फीसदी कम होना चाहिए।
कार्बोहाइड्रेट: कार्बोहाइड्रेट मुख्य रूप से साबुत अनाज, फलों, सब्जियों और दालों से आना चाहिए। डब्ल्यूएचओ अच्छे स्वास्थ्य के लिए दो साल और उससे अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए कार्बोहाइड्रेट के सेवन की सलाह देता है।
फाइबर: वयस्कों को प्रतिदिन कम से कम 25 ग्राम प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले आहार फाइबर का सेवन करना चाहिए। दो से पांच साल के बच्चों को प्रतिदिन कम से कम 15 ग्राम और छह से नौ साल के बच्चों को हर दिन कम से कम 21 ग्राम का सेवन करना चाहिए।