मानसून की दस्‍तक, फिर भी खुले में रखा है लाखों टन गेहूं

पांच साल में भंडारण क्षमता बढ़ाने का लक्ष् य पूरा नहीं हो पाया, पिछले तीन साल के दौरान 9808 मीट्रिक टन अनाज खराब हो गया
हरियाणा के करनाल के निसिंग अनाज मंडी में खुले में रखा हुआ खरीदा गया गेहूं। फोटो: शाहनवाज आलम
हरियाणा के करनाल के निसिंग अनाज मंडी में खुले में रखा हुआ खरीदा गया गेहूं। फोटो: शाहनवाज आलम
Published on

देश में मानसून दस्‍तक दे चुका है। मौसम विभाग के मुताबिक, हरियाणा, पंजाब समेत उत्‍तर भारत के राज्‍यों में 22-23 जून तक मानसून पहुंचने की उम्‍मीद है। जबकि देश भर में एक जून से 18 जून तक 31 फीसदी अधिक बेमौसम बारिश हो चुकी है। गेहूं उत्‍पादक राज्‍यों में यह सामान्‍य से कई गुणा है। मौसम विभाग के आंकड़ें बताते है, पंजाब में 21 फीसदी, हरियाणा में 29 फीसदी, मध्‍य प्रदेश में 149 फीसदी, उत्‍तर प्रदेश में 25 फीसदी अधिक बारिश हुई है।

इन राज्‍यों में किसानों से खरीददारी के बाद उठान नहीं होने और खुले में रखे होने के कारण गेहूं भीग रहा है। अब मानसून की बारिश से अब इसके सड़ने का खतरा बढ़ गया है। खुले में रखने की मुख्‍य वजह गोदाम और अन्‍य भंडारण क्षमता का नहीं होना है। हिसार कृषि विश्‍वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एम.के. मान कहते है, गेहूं के लिए आदर्श नमी 12 फीसदी होती है। बरसात में भीगने के बाद 30-70 फीसदी के बीच नमी बढ़ जाती है। इससे फंगस लग जाता है और फिर सड़ने लगता है।

देश में अनाज नहीं सड़े और लंबे समय तक सुरक्षित रखी जा सके, इसके लिए अप्रैल 2015 में भारत सरकार ने गेहूं और चावल के लिए अपनी पारंपरिक भंडारण क्षमता को बढ़ाने के लिए 100 लाख टन क्षमता के स्टील साइलो के निर्माण लक्ष्य रखा गया था। चार चरणों में इसे वित्‍तीय वर्ष 2019-20 तक मुकम्‍मल करना था, लेकिन अब तक यह लक्ष्‍य पूरा नहीं हुआ है। एफसीआई के रिपोर्ट के मुताबिक, 12 मार्च 2020 तक 7.25 लाख टन क्षमता के ही स्टील साइलों बनी है। इसमें मध्य प्रदेश में 4.5 लाख टन और पंजाब में तीन लाख टन की क्षमता वाले स्टील साइलो बनाए गए है। जबकि हरियाणा में तीन लाख टन के स्‍टील साइलो बनना प्रस्‍तावित है। जिस पर अब तक कोई काम नहीं हुआ। सरकार अनाज भंडारण बढ़ाने को लेकर कितनी गंभीर है, इस बात से अंदाजा लगाया है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण विभाग के मुताबिक, इस साल देश में 3.36 करोड़ हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई थी। सरकार ने 1925 रुपये प्रति कुंतल के न्‍यूनतम समथर्न मूल्‍य पर 407 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा था। पीआईबी के 17 जून की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, केंद्रीय उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनित वितरण मंत्रालय 16 जून तक केंद्रीय पूल के लिए 382 एलएमटी गेहूं खरीद चुकी है। गेहूं उत्‍पादक राज्‍यों की बात करें तो मध्‍य प्रदेश ने 129 एलएमटी, पंजाब ने 127 एलएमटी, हरियाणा 74 एलएमटी और उत्‍तर प्रदेश 32 एलएमटी केंद्रीय पूल में योगदान दिया है।

केंद्रीय पूल के अनाज के रखरखाव की जिम्‍मेवारी एफसीआई के पास है। एक अप्रैल 2020 के एफसीआई की रिपोर्ट के अनुसार, एफसीआई और राज्य सरकार की एजेंसियों की भंडारण क्षमता 755.94 एलएमटी है, इसमें 133.55 एलएमटी कैप (खुले) की है। अकेले एफसीआई की भंडारण क्षमता 412.03 एलएमटी है। एफसीआई ने अलग-अलग समय के लिए गेहूं और चावल के भंडारण का नियम बनाया हुआ जिसे बफर नॉर्म्स कहा जाता है। इस नियम के मुताबिक, एफसीआई के पास एक अप्रैल 2020 को अधिकतम 210.4 एलएमटी का स्टॉक होना चाहिए। इसमें ऑपरेशनल स्‍टॉक में चावल 115.80 एलएमटी और गेहूं 44.60 एलएमटी होना चाहिए था।

केंद्रीय उपभोक्‍ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने 12 जून को पीआईबी के जरिये बताया कि, कोरोनावायरस के संक्रमण से उपजे स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण योजना के तहत अप्रैल-जून तक 3 महीने के लिए मुफ्त राशन देने की घोषणा की थी। जिसके तहत 12 जून तक एफसीआई द्वारा 94.71 एलएमटी चावल और 14.20 एलएमटी गेहूं विभिन्न राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को भेजे गए है। कुल 108.91 एलएमटी खाद्यान्न उठाया गया है। इसके बावजूद एफसीआई के पास 11 जून तक 811.69 एलएमटी अनाज है। इसमें गेहूं 540.80 एलएमटी और धान 270.89 एलएमटी स्‍टॉक है। यानी कुल तयशुदा स्‍टॉक से दो गुणा और बफर स्‍टॉक से चार गुणा अधिक है।

भंडारण क्षमता से अधिक गेहूं व चावल पहुंचने के कारण खुले में रखा हुआ है। ऐसे में, सवाल उठता है कि क्या एफसीआई में रखा यह अनाज सुरक्षित है? एफसीआई का हमेशा दावा रहा है कि खुले में रखा अनाज सुरक्षित है, लेकिन कितना और कब-तक इसका जवाब नहीं मिलता है। पीआईबी ने एफसीआई के कार्यकारी निदेशक (गुणवत्‍ता नियंत्रण) सुदीप सिंह के हवाले से 03 जून को जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि वर्ष 2017 से 2020 तक 9808 मीट्रिक टन खाद्यान्‍न (गेहूं व चावल) खराब हो चुका है। वित्‍तीय वर्ष 2017-18 में 2664 मीट्रिक टन, 2018-19 में 5214 मीट्रिक टन और 2019-20 में 1930 मीट्रिक टन खाद्यान्‍न खराब हुआ है। इन आंकड़ों के जरिये एफसीआई भी अप्रत्‍यक्ष तौर पर मानती है खुले में रखने के बाद भीगने की वजह से ही अनाज खराब हुआ है।

कृषि मामलों के विशेषज्ञ रमनदीप मान कहते है, ओपन सेल में कमी के कारण इतना अधिक बफर स्‍टॉक जमा हुआ है। देश में इस समय कृषि उपज से संबंधित 350 एलएमटी भंडारण क्षमता की कमी है। इसकी वजह से हर साल लाखों टन गेहूं-चावल समेत अन्‍य उपज हर साल भीग कर बर्बाद होता है। बफर स्‍टॉक आपात स्थिति के लिए रखा जाता है। ऐसे संकट के समय में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 80 करोड़ लोगों को राशन दे देना चाहिए। इससे संकट से उबरने के साथ स्‍टॉक रखने में भी आसानी होगी।

भंडारण संकट के मामले पर एफसीआई के पूर्व तकनीकी सलाहकार आनंद कादियान बताते है, 2015 में नीति आयोग की सिफारिश पर भंडारण के लिए साइलो योजना बनी, लेकिन इसके बाद एफसीआई की पुनर्गठन के कारण यह काम ठंडे बस्‍ते में चला गया। शुरुआत में सरकार ने केवल 20 एलएमटी की मंजूरी दी। तीन साल बाद 2018 में साइलो निर्माण के लिए डिजाइन तय हुआ। साइलो निमार्ण के लिए तय की गई शर्ते भी इसके विकास में बाधा बनी हुई है। नियम अनुसार, साइलो का निर्माण रेलवे से करीब होना चाहिए। इस वजह से जमीन मिलने में दिक्‍कत हो रही है और अब तक यह लक्ष्‍य पूरा नहीं किया गया है और खुले में अस्‍थायी भंडारण किया जाता है।

उपभोक्ता मामले के राज्य मंत्री दानवे राव साहेब दादाराव ने बीते 17 मार्च को लोकसभा में कहा था कि भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकारों द्वारा 1 अप्रैल 2017 से 31 जनवरी 2020 तक 51,925 टन भंडारण क्षमता का निर्माण किया गया है। सरकार ने रबी सीजन 2020-21 में गेहूं का स्टाक रखने के लिए अस्थायी भंडारण की 90 लाख टन क्षमता के कैप निर्माण के लिए एक स्कीम की स्वीकृति दी है। इसके तहत पंजाब में 35, हरियाणा में 20, मध्य प्रदेश में 25 और यूपी में 10 लाख टन अनाज रखने का अस्थायी इंतजाम किया गया है। बता दें कि अस्‍थायी तौर पर किए गए इंतजाम खुले में किया गया है। ऐसे में आने वाले वक्‍त में अनाज कितना सुरक्षित रहेगा, यह देखने वाली बात होगी।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in