बेलगावी में भूजल के लिए खतरा बनी चीनी मिल, एनजीटी ने आरोपों पर मांगी रिपोर्ट

अंग्रेजी अखबार डेक्कन हेराल्ड में एक जुलाई, 2024 को छपी एक खबर में चीनी मिल की वजह से भूजल पर मंडराते खतरे को लेकर चिंता जताई गई थी
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 22 जुलाई, 2024 को एक चीनी मिल से पर्यावरण सम्बन्धी नियमों के उल्लंघन के आरोपों पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामला कर्नाटक के बेलगावी स्थित 'कृष्णा सहकारी सक्करे कारखाने नियामित' नामक चीनी मिल से जुड़ा है।

22 जुलाई, 2024 को एनजीटी ने कर्नाटक के बेलगावी में स्थित चीनी मिल कृष्णा सहकारी सक्करे कारखाने नियामित को पर्यावरण मानदंडों के उल्लंघन के आरोपों का जवाब देने का निर्देश दिया।

इसके साथ ही अदालत ने कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और बेलगावी के उपायुक्त को भी एनजीटी की दक्षिणी बेंच के समक्ष अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

गौरतलब है कि यह मामला अंग्रेजी अखबार डेक्कन हेराल्ड में एक जुलाई, 2024 को छपी एक खबर के आधार पर अदालत द्वारा स्वतः संज्ञान में लिया गया था। इस खबर में चीनी मिल की वजह से भूजल पर मंडराते खतरे को लेकर चिंता जताई गई थी।

इस खबर के मुताबिक कृष्णा सहकारी सक्कर कारखाने नियमित (केएसएसकेएन) ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के नियमों का उल्लंघन किया है, जिससे भूजल के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने चीनी कारखाने द्वारा किए गए नौ उल्लंघनों को लिस्ट किया है और पूछा है कि जब तक यह मिल नियमों का पालन नहीं करती तब तक इसे बंद क्यों नहीं किया जाना चाहिए।

सीपीसीबी ने एक बड़े उल्लंघन की पहचान की है जहां फैक्ट्री ने अपशिष्ट को अपशिष्ट उपचार संयंत्र में ट्रीट करने के बजाय लैगून में मोड़ दिया। नतीजन करीब पांच एकड़ जमीन को अपशिष्ट, राख और प्रेस मड से भर दिया गया।

लैगून के नमूनों में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 976 मिलीग्राम प्रति लीटर, केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी) 2,856 मिलीग्राम प्रति लीटर और टीडीएस 2,949 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया है। ये स्तर उपचारित अपशिष्ट मानकों से अधिक हैं, जिससे भूजल प्रदूषण का खतरा पैदा होता है।

यह भी आरोप है कि तीन में से केवल एक बैगास बॉयलर की निगरानी की गई। इसमें से उत्सर्जित हो रहे पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) का मान 6,843.28 मिलीग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया है, जो केएसपीसीबी द्वारा निर्धारित 150 मिलीग्राम प्रति घन मीटर की सीमा से कहीं ज्यादा है।

इस खबर में किए गए अन्य उल्लंघनों पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसके मुताबिक खतरनाक कचरे के लिए भंडारण क्षेत्र की कमी है। इसी तरह इस्तेमाल किए गए तेल, फ्लाई ऐश, प्रेस मड, और उत्पन्न होने वाले कीचड़ एवं ठोस पदार्थों के लिए लॉग बुक बनाए रखने में यह मिल विफल रही है। साथ ही वहां एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट सिस्टम (ईटीपीएस) की निगरानी के लिए फ्लो मीटर का संचालन ठीक से नहीं किया रहा था।

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