केरल के तट पर जारी प्लास्टिक से जंग, एकत्र किए गए हैं 367,587 किलोग्राम प्लास्टिक नर्डल्स: रिपोर्ट

केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि प्लास्टिक और जैविक कचरा मुख्य रूप से नदियों के मुहानों से समुद्र में पहुंच रहा है
समुद्र तट के आसपास जमा होता प्लास्टिक कचरा; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
समुद्र तट के आसपास जमा होता प्लास्टिक कचरा; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
Published on
सारांश
  • केरल के तट पर प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं। 367,587 किलोग्राम प्लास्टिक नर्डल्स इकट्ठे किए गए हैं।

  • स्थानीय स्वशासन विभाग और अन्य एजेंसियां तटीय क्षेत्रों से प्लास्टिक कचरा हटाने में सक्रिय हैं।

  • रिपोर्ट में बेहतर तालमेल की आवश्यकता बताई गई है ताकि सफाई अभियान प्रभावी हो सके।

केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 4 नवंबर 2025 को एनजीटी में एक रिपोर्ट दाखिल की है। इस रिपोर्ट में तटीय क्षेत्रों से प्लास्टिक कचरा साफ करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए कदमों का ब्योरा दिया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, प्लास्टिक और जैविक कचरा मुख्य रूप से नदियों के मुहानों से समुद्र में पहुंच रहा है। इस कचरे को तटीय जल और रीफ से हटाने की जिम्मेदारी स्थानीय स्वशासन विभाग (एलएसजीडी) की है।

भीतरी इलाकों में प्लास्टिक कचरे की सफाई के लिए सिंचाई विभाग ने प्लास्टिक फिशरीज नामक संस्था को अनुमति दी है, जो नदियों और तालाबों (थोडू) से नियमित रूप से प्लास्टिक कचरा हटाने का काम करती है।

रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय स्वशासन विभाग के संयुक्त निदेशक ने जानकारी दी है कि 13 तटीय पंचायतों के सभी वार्डों में घर-घर से कचरा एकत्र किया जा रहा है और इसके लिए 290 केंद्र बनाए गए हैं। इनमें से 6 पंचायतों ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर की गई कार्रवाई का विवरण दर्ज किया है, जबकि 4 पंचायतों ने समुद्री जल और रीफ से प्लास्टिक कचरा हटाने की पहल शुरू की है।

नौ तटीय स्थानीय निकायों ने जलाशयों से नियमित रूप से प्लास्टिक कचरा हटाने की व्यवस्था शुरू की है। 10 पंचायतों में कचरा ढोने वाले वाहनों की ट्रैकिंग व्यवस्था लागू की गई है, जबकि वारकला नगर पालिका यह सुनिश्चित कर रही है कि प्लास्टिक कचरा तय स्थान तक पहुंचे। पूवर पंचायत में लापरवाही बरतने वालों पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है।

क्या कुछ आया है रिपोर्ट में सामने

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि तिरुवनंतपुरम तट पर डूबे लाइबेरियाई जहाज एमएससी एल्सा-3 से फैले प्लास्टिक के महीन कणों (प्लास्टिक नर्डल्स) की सफाई जारी है। यह काम सरकार की निगरानी में एमईआरसी नामक कंपनी कर रही है। इस काम की निगरानी में केरल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी मदद कर रहा है।

अब तक तटों से 367,587 किलोग्राम प्लास्टिक नर्डल्स इकट्ठे किए जा चुके हैं, जिन्हें कोल्लम बंदरगाह में रखा गया है।

हालांकि, जिला पर्यटन संवर्धन परिषद, हार्बर इंजीनियरिंग विभाग, इनलैंड नेविगेशन और पर्यटन निदेशालय ने अभी तक अपनी कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी विभागों के बीच बेहतर तालमेल जरूरी है ताकि एक्शन प्लान प्रभावी तरीके से लागू हो सके।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि यह सफाई अभियान लगातार जारी है और हर विभाग की प्रगति की समीक्षा जिला स्तरीय निगरानी समिति की बैठकों में की जाएगी।

गौरतलब है कि एनजीटी ने इस मामले में 7 जून 2023 को द हिंदू में छपी खबर के आधार पर स्वतः संज्ञान लिया है। खबर के मुताबिक केरल तट के पास समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण के सबूत मिले हैं।

केरल विश्वविद्यालय ने समुद्र के अंदर जैव विविधता का अध्ययन करते हुए पाया कि केरल तट से 40 मीटर की गहराई तक प्लास्टिक की बोतलें, थैलियां, मछली पकड़ने के जाल और सिंगल-यूज प्लास्टिक के टुकड़े मौजूद हैं। 

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in