नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने चूरू में उद्योगों द्वारा रात में अवैध रूप से जलाए जा रहे तांबे के स्क्रैप पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामला राजस्थान के चूरू में रिक्को द्वारा संचालित औद्योगिक क्षेत्र का है।
गौरतलब है कि बीदासर गांववासियों ने एक आवेदन दायर किया था। इस आवेदन में कहा गया था कि तांबे के स्क्रैप के अनुचित निपटान से जहरीली गैसें निकल रही हैं, जिससे स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है। इतना ही नहीं इससे पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है।
ऐसे में कोर्ट ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और चूरू जिला मजिस्ट्रेट को मामले की जांच करने, और उससे जुड़ी जानकारी एकत्र करने के लिए कहा है। साथ ही निर्देश दिया है की यदि वहां कोई उल्लंघन पाया जाता है, तो दो महीने के भीतर कानून के अनुसार जरूरी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने डेयरी से जुड़े कचरे के निपटान के लिए पाइपलाइन बिछाए जाने के आरोपों की जांच के दिए निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने डेयरी और मवेशियों से जुड़े कचरे के निपटान के लिए पाइपलाइन बिछाए जाने के आरोपों की जांच करने के निर्देश दिए हैं। यह निर्देश 22 फरवरी 2023 को जारी किए गए हैं।
इसके लिए कोर्ट ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और फरीदकोट के जिला मजिस्ट्रेट की एक संयुक्त समिति गठित की है। जानकारी मिली है कि यह कचरा कोटकपुरा-फरीदकोट मुख्य मार्ग से सटे एक पब्लिक स्कूल के पास खुले क्षेत्र में छोड़ा जा रहा है जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।
पार्क में अवैध तरीके से कचरा डंप कर रही है मथुरा की एक रिहायशी कॉलोनी
जानकारी मिली है कि मथुरा में मेगासन्स नामक कंपनी द्वारा विकसित एक रिहायशी कॉलोनी पार्क में अवैध तरीके से कचरा और सीवेज डंप कर रही है। इन आरोपों की जांच और उसपर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एनजीटी ने एक संयुक्त समिति गठित की है और उसे इस जांच के लिए दो महीने की अवधि दी है।
गौरतलब है कि यह कॉलोनी मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत है। इस आवासीय कॉलोनी के बीच स्थित मुख्य पार्क में खोदी गई खाई में कूड़ा डंप करने की बात सामने आई है, जिससे दुर्गंध भी आ रही थी और भूजल दूषित हो रहा है। एनजीटी को दिए आवेदन में कहा है कि, "कचरे को खुले भूखंड पर फेंकने के साथ जलाया जाता है, जिससे वायु प्रदूषण हो रहा है।"
राजसमंद में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा ग्रेनाइट यूनिट्स द्वारा फेंका कचरा, कोर्ट ने जांच के दिए निर्देश
एनजीटी ने 22 फरवरी 2023 को राजस्थान के राजसमंद में मोही गांव के कई ग्रामीणों से प्राप्त शिकायत पर एक रिपोर्ट मांगी है। आरोप है कि क्षेत्र की कुछ संगमरमर और ग्रेनाइट यूनिट, संगमरमर और ग्रेनाइट युक्त कीचड़ और गारा के साथ अन्य कचरे को डंप कर रही हैं, जो तूफानी पानी की निकासी में बाधा डाल रहा है।
पता चला है कि इस कचरे को कृषि और चरागाह भूमि पर भी फेंका जा रहा है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। साथ ही यह जमीन मवेशियों के लायक नहीं रह गई है।
कोर्ट ने कहा है कि इस रिपोर्ट में सीटीओ के संदर्भ में उद्योगों के अनुपालन, घोल के निपटान का तरीका और गारे के पानी के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग को शामिल किया जाना चाहिए। इस मामले पर अगली सुनवाई 2 मई, 2023 को होगी।