केरल के पलक्कड़ में चलता अवैध खनन का खेल, कोर्ट ने मुआवजे के आंकलन का दिया निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की दक्षिणी पीठ ने मेसर्स मैरी माथा ग्रेनाइट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पुराने पट्टे के आधार पर किए खनन को अवैध और अनधिकृत बताया है। बता दें कि यह खनन 15 जनवरी 2016 से 7 जुलाई 2022 के बीच किया गया था।
ऐसे में अदालत ने 20 दिसंबर 2023 को खनन की गई मात्रा के आधार पर खननकर्ता को पर्यावरणीय मुआवजा भरने का निर्देश दिया है। साथ ही एनजीटी ने खनन और भूविज्ञान विभाग को खनन की मात्रा का आंकलन करने के बाद केरल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जुर्माने का निर्धारण करने को कहा है।
कोर्ट ने खनन एवं भूविज्ञान विभाग को यह भी सत्यापित करने का निर्देश दिया है कि क्या खननकर्ता ने 2010 के खनन पट्टे में उल्लेखित समापन योजना का पालन किया है। वहीं यदि अनुपालन में कमी है, तो कानून के अनुसार, इसे बंद करने की योजना को लागू करने और खनन कंपनी द्वारा पर्यावरण को होने वाली क्षति के रूप में मुआवजे की वसूली के लिए उचित उपाय करने को कहा है।
अदालत ने यह भी कहा है कि खनन कंपनी को पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त करने और संबंधित अधिकारियों से सभी आवश्यक लाइसेंस और अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही खदान संचालन फिर से शुरू करने की अनुमति है।
पुरनिहा तालाब पर अतिक्रमण का मामला, एनजीटी ने जांच के दिए निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने पुरनिहा तालाब पर अतिक्रमण के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति को निर्देश दिया है। मामला बेड़छ गांव का है, जो मध्य प्रदेश के रीवा जिले की जवा तहसील में स्थित है।
कोर्ट ने समिति को साइट का दौरा करने, वहां दस्तावेजों की समीक्षा करने और तालाब की सीमाओं को चिह्नित करने का निर्देश दिया है। अदालत ने समिति से हुए अतिक्रमण पर कार्रवाई करने की बात भी कही है। साथ ही नियमों को ध्यान में रखते हुए उसे हटाने के लिए कहा है।
कोर्ट ने समिति से तथ्यों के साथ इस मामले में क्या कार्रवाई की गई है उसका विवरण देते हुए एक रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।
यह तालाब 29.78 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। आरोप है कि तालाब पर कथित तौर पर कुछ ग्रामीणों ने अतिक्रमण कर लिया है। हालांकि इस मामले में कार्रवाई करने और अतिक्रमण को हटाने के लिए अधिकारियों के समक्ष कई आवेदन दिए गए लेकिन अब तक उनपर कुछ नहीं किया गया है।
इस मामले में 11 अप्रैल, 2023 को एक हालिया आवेदन पीएमओ को संबोधित करते हुए रीवा के कलेक्टर को भी दिया गया था, लेकिन उसपर भी संबंधित अधिकारियों द्वारा कुछ नहीं किया गया है।