स्वच्छ हवा, स्वस्थ लोग, प्रदूषण मुक्त वातावरण हर नागरिक का अधिकार
थीम 2025: “स्वच्छ हवा, स्वस्थ लोग” – वायु प्रदूषण और उसके स्वास्थ्य पर असर को केंद्र में रखता है।
वैश्विक संकट: डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया की 99 फीसदी आबादी प्रदूषित हवा में सांस ले रही है, जिससे अस्थमा, सीओपीडी, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं।
इतिहास: 2011 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एनवायरनमेंटल हेल्थ (आईएफईएच) ने इंडोनेशिया में इस दिवस की शुरुआत की।
मुख्य उद्देश्य: जागरूकता बढ़ाना, उत्सर्जन कम करने के लिए वैज्ञानिक शोध व नीतियों को बढ़ावा देना, स्वास्थ्य व पर्यावरण नीतियों में तालमेल बिठाना।
साझी जिम्मेदारी: प्रदूषण घटाने, हरित ऊर्जा अपनाने और पेड़-पौधे लगाने में समुदाय और हर व्यक्ति की सक्रिय भागीदारी जरूरी है।
विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस हर साल 26 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण न केवल हमारे वर्तमान जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी स्वास्थ्य और संतुलित जीवन सुनिश्चित करता है।
साल 2025 की थीम “स्वच्छ हवा, स्वस्थ लोग” है। यह थीम इस बात पर जोर देती है कि बढ़ते वायु प्रदूषण और उसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गहरे प्रभावों से निपटना कितना जरूरी हो गया है। यह प्रदूषण न केवल सांस की बीमारियों को बढ़ाता है बल्कि जलवायु परिवर्तन को भी तेज करता है।
इसके प्रमुख उद्देश्य में जागरूकता बढ़ाना: लोगों को यह बताना कि वायु प्रदूषण किस तरह अस्थमा, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनता है।
वैज्ञानिक शोध को प्रोत्साहन: ऐसे शोध और नीतियों को बढ़ावा देना जो उत्सर्जन को कम कर सकें।
नीति और स्वास्थ्य का समन्वय: पर्यावरण नीतियों को सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति से जोड़ना।
समुदाय और व्यक्ति की भूमिका: हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए प्रदूषण कम करने के उपायों को अपनाना।
सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) लक्ष्यों से तालमेल: विशेषकर जलवायु कार्रवाई, अच्छा स्वास्थ्य और टिकाऊ शहरों से जुड़े लक्ष्यों के साथ कदम मिलाना।
वायु प्रदूषण: मौन हत्यारा
आज वायु प्रदूषण दुनिया में बीमारियों और समय से पहले होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण बन चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया की लगभग 99 फीसदी आबादी ऐसी हवा सांस ले रही है जो सुरक्षित मानकों से कहीं अधिक प्रदूषित है। इसका सीधा असर लाखों लोगों की समयपूर्व मृत्यु पर हो रहा है।
वायु प्रदूषण से सबसे अधिक होने वाली बीमारियों में अस्थमा, हृदय रोग और स्ट्रोक, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) तथा फेफड़ों का कैंसर आदि। इन बीमारियों से जूझ रहे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है और इसका सबसे अधिक असर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर पड़ रहा है।
विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस की शुरुआत
विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस की शुरुआत 2011 में हुई थी। इसे इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एनवायरमेंट हेल्थ (आईएफईएच) ने इंडोनेशिया में अपनी बैठक के दौरान शुरू किया। आईएफईएच की स्थापना 1986 में हुई थी।
इसका मुख्य उद्देश्य दुनियाभर में पर्यावरणीय स्वास्थ्य से जुड़े ज्ञान और अनुभवों का आदान-प्रदान करना है। यह संगठन वैश्विक स्तर पर नीतियों, अनुसंधान और जागरूकता अभियानों को बढ़ावा देता है।
विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस केवल एक औपचारिक दिन नहीं है बल्कि यह हमारी जिम्मेदारियों का स्मरण कराता है। “स्वच्छ हवा, स्वस्थ लोग” केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक वास्तविकता है जिसे हमें अपने प्रयासों से साकार करना होगा।
अगर हम अपने शहरों, गांवों और उद्योगों में प्रदूषण को नियंत्रित करने, हरित ऊर्जा को अपनाने और पेड़-पौधे लगाने जैसे कदम उठाएं, तो हम आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण दे सकते हैं।