अपने पास पैसे ही नहीं हैं तो कहां से भरवाएं गैस सिलेंडर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अगस्त को उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में पीएम उज्जवला योजना 2.0 की शुरुआत की, लेकिन महोबा से सटे बांदा में क्या हैं हालात-
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के गांव पैलानी डेरा की रामदुलारी अब तक बस चार बार ही सिलेंडर भरवा पाई हैं। फाइल फोटो: गौरव गुलमोहर
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के गांव पैलानी डेरा की रामदुलारी अब तक बस चार बार ही सिलेंडर भरवा पाई हैं। फाइल फोटो: गौरव गुलमोहर
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“भैया, सिलेंडर तो दो-ढाई साल पहले मिल गया था, लेकिन अब तक चार बार ही भरवाया है। कहां से लाएं पैसा? बुढ़ापा पेंशन भी पांच महीने से नहीं मिली। चूल्हे पर ही खाना बनाते हैं। बहुत जरूरत पड़े, तब ही गैस जलाते हैं”।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अगस्त को जब उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के महोबा जिले से प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के दूसरे चरण की शुरुआत कर रहे थे तो उसी समय महोबा से सटे बांदा जिले के तिंदवारी ब्लॉक के गांव पैलानी डेरा की 75 वर्षीय रामदुलारी कुशवाहा ने उपरोक्त बात डाउन टू अर्थ से कही।

रामदुलारी के पति की मौत हो चुकी है। बेटा मजदूरी करता है। घर में दो पोते हैं। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत उन्हें 7 मार्च 2019 को एलपीजी कनेक्शन मिला था। वह कहती हैं कि सरकार ने गैस का सिलेंडर तो दे दिया, लेकिन उनके पास इतना पैसा नहीं है कि उसे हर महीने भरवा सकें। उन्होंने अब तक चार बार सिलेंडर भरवाया है, लेकिन इसमें से दो बार तब भरवाया था, जब कोविड-19 की पहली लहर के दौरान केंद्र सरकार ने उनके खाते में पैसा जमा कराया था। और एक बार परिवार में शादी थी, तब भरवाया था।

रामदुलारी कहती हैं, “पिछले साल खाते में एक बार 1,000 रुपए आए थे और दूसरी बार 500 रुपए। इन पैसों से ही सिलेंडर भरवाया था। आखिरी सिलेंडर जून में भरवाया है। अभी तक भरा हुआ है, जब घर में चूल्हे के लिए लकड़ी नहीं रहती, तब ही गैस का चूल्हा जलाते हैं। वर्ना चूल्हा ही जलाता हैं”।

इसी गांव के 42 वर्षीय रमेश कहते हैं कि तीन साल पहले उन्हें भी गैस सिलेंडर मिला था, लेकिन अब तक 9-10 बार ही भरवाया है। पिछले कई महीने से खाली पड़ा है। सिलेंडर भरवाने का 1,000 रुपया लग रहा है। वह मजदूरी करते हैं। परिवार में सात लोग हैं। कमाने वाले अकेले हैं। कोरोना की वजह से काम नहीं मिल रहा है। इसलिए गैस सिलेंडर नहीं भरवाया। जबकि गांव के शिव मोहन कुशवाहा बताते हैं कि वह पिछले तीन साल से सिलेंडर के लिए आवेदन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक सिलेंडर नहीं बताया।

सरकार का दावा है कि प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के पहले चरण में आठ करोड़ लोगों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन जारी किए गए, जबकि 10 अगस्त से शुरू हुए उज्जवला योजना के दूसरे चरण में 1 करोड़ लोगों को एलपीजी कनेक्शन दिए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उज्जवला 2.0 की शुरुआत की। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ महोबा में मौजूद थे।

1 मई 2016 को देश में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए इस योजना के पहले चरण की शुरुआत भी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से हुई थी। लेकिन एलपीजी के बढ़ते दामों की वजह से यह योजना शुरू से ही विवादों में है। जिन लोगों को एलपीजी कनेक्शन मुफ्त में दिए गए, उनमें से कई लोग दोबारा सिलेंडर तक नहीं भरवा पाए।

सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के लाभार्थियों द्वारा रिफिल ( खाली सिलेंडर भरवाने) कराने की संख्या कम है। 2 अगस्त 2021 को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ओर से बताया गया कि वित्त वर्ष 2019-20 में रिफिल लेने वाले उपभोक्ताओं की संख्या 6.60 करोड़ थी, जबकि 2020-21 में 7.89 करोड़ उपभोक्ताओं ने रिफिल कराया। जबकि 2021-22 में अप्रैल से जून के बीच 4.75 करोड़ उपभोक्ताओं ने रिफिल कराया। इसी जवाब में मंत्रालय ने बताया कि 31 मई 2021 तक  7,71,11,785 उपभोक्ताओं ने कम से कम तीन रिफिल कराए हैं।

यहां तक कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी इस योजना पर सवाल उठाते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 31 दिसंबर 2018 तक किए गए आकलन के मुताबिक, उज्जवला योजना के 1.98 लाख लाभार्थी ही साल में 12 सिलेंडर भरवा पा रहे हैं, जबकि 13.96 लाख उपभोक्ताओं ने साल में 3 से 4 बार गैस सिलेंडर भरवाए।

हालांकि सरकार का कहना है कि गरीबों द्वारा सिलेंडर रिफिल न कराने के पीछे कई वजह हैं। जिनमें एलपीजी के मूल्य के अलावा भोजन की आदतें, घर का आकार, खाना पकाने की आदतें, खाना पकाने के लिए मुफ्त लकड़ी व गोबर आदि है। सरकार की ओर से यह जानकारी 14 सितंबर 2020 को लोकसभा में दी गई थी। तब सरकार ने कहा था कि 2019-20 में उज्जवला लाभार्थियों के 14.2 किलोग्राम वाले रिफिल की औसत खपत 3.01 सिलेंडर थी।

बेशक सरकार सीधे तौर पर यह नहीं मान रही है कि एलपीजी की बढ़ती कीमतें और ग्रामीणों की आमदनी न होने के कारण मुफ्त में कनेक्शन मिलने के बावजूद उज्जवला लाभार्थी सिलेंडर नहीं भरवा पा रहे हैं। लेकिन सरकार यह तो मान रही है कि पिछले पांच साल के दौरान एलपीजी की कीमतों में 66.90 फीसदी वृदि्ध हुई है। संसद में दिए गए एक जवाब में सरकार ने बताया कि 2016-17 में घरेलू एलपीजी का खुदरा बिक्री मूल्य 549.69 रुपए था, जो 2017-18 में बढ़ कर 653.46 रुपए, 2018-19 में 768.12 रुपए, 2019-20 में 694.73 रुपए, 2020-21 में 695.15 रुपए और 2021-22 (जुलाई तक) 821.75 रुपए था।

लॉकडाउन में नहीं मिला सिलेंडर

दिलचस्प बात यह है कि कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने के लिए 2020 में जब एक साथ देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी तो केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के लाभार्थियों को तीन सिलेंडर (रिफिल) मुफ्त देने की घोषणा की थी, लेकिन  रामदुलारी की तरह कई गरीबों तक ये सिलेंडर भी नहीं पहुंच पाए। रामदुलारी को दो ही रिफिल का पैसा मिल पाया।

सरकार ने 1 अप्रैल 2020 से 31 दिसंबर 2020 के दौरान सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत उज्जवला लाभार्थियों को तीन-तीन रिफिल (सिलेंडर) मुफ्त देने की घोषणा की थी। सरकार ने उज्जवला लाभार्थियों के खाते में एडवांस पैसा देने की बात कही थी। इसके लिए सरकार ने 13,500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था, लेकिन केवल 9670.41 करोड़ रुपए की खर्च कर पाई। क्योंकि केवल 58 फीसदी लोगों को ही तीन सिलेंडर मिल पाए। अगर सरकार 8 करोड़ लाभार्थियों को 3 रिफिल देती तो लगभग 24 करोड़ रिफिल दिए जाते, लेकिन 8 फरवरी 2021 को सरकार ने लोकसभा में जानकारी देते हुए बताया कि 1 अप्रैल से 31 दिसंबर 2020 के दौरान कुल 14,17,12,238 रिफिल दिए गए।

सरकार ने एक बार फिर प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के दूसरे चरण के तहत मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने की शुरुआत की है, लेकिन देखना यह है कि कितने लोग इस योजना का लाभ सही मायने में उठा पाते हैं।

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