अलकनंदा पनबिजली परियोजना की कैनाल में लीकेज, डर के साये में जी रहे गांव वाले  

एनजीटी ने संयुक्त जांच रिपोर्ट में पावर हाउस के कैनाल में लीकेज की पुष्टि के बाद कॉरपोरेशन को जल्द से जल्द लीकेज दुरुस्त करने का आदेश दिया है।
Photo : Soma Basu
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पनबिजली परियोजनाओं की सही से देखरेख न होने का एक और मामला सामने आया है। उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले में श्रीनगर बांध में लीकेज का खतरा है। इसके चलते मगासू, सुरासू और नोप थापली गांवों की आबादी डर के साये में जी रही है। ग्रामीणों को भय है कि उनके गांवों में कहीं फिर से बांध का लीकेज न हो जाए और रातो - रात अलकनंदा का पानी उनकी फसलों और घरों को तबाह कर दे। यह सारे गांव कई बार अलकनंदा हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट की कैनाल टूटने के चलते बर्बादी झेल चुके हैं।

अलकनंदा नदी किनारे स्थित मैसर्स अलकनंदा हाइड्रो पावर लिमिटेड के अंतर्गत बैराज और 82.5 मेगावाट की चार टरबाइन मौजूद हैं। बैराज और टरबाइन के बीच की दूरी करीब 4 किलोमीटर है। एक कैनल के जरिए बैराज से पावर हाउस तक पानी बिजली उत्पादन के लिए पहुंचाया जाता है। हाल ही में हुई संयुक्त अधिकारियों की एक टीम ने जांच के बाद इस नहर में लीकेज की पुष्टि की है।

इस जांच रिपोर्ट के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने 6 सितंबर को नहर के लीकेज को तत्काल दुरुस्त करने का आदेश दिया है। इस लीकेज के खिलाफ स्थानीय याची उत्तम सिंह भंडारी व विमल भाई ने याचिका दाखिल की थी। पीठ ने लीकेज को दुरुस्त करने के लिए अलकनंदा हाइड्रो पावर कारपोरेशन लिमिटेड को समय रहते अग्रिम कदम उठाने का आदेश दिया है। इसकी निगरानी ऊर्जा विभाग टिहरी, डीएम व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को करना होगा। 

वहीं, ग्रामीणों के माटू जन संगठन ने प्रशासन से पुनर्वासित किए जाने की मांग की है। इसके अलावा एनजीटी के इस आदेश की प्रति प्रशासन को भेजकर कहा है कि 30 दिसंबर, 2015 को देहरादून में स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी ने भी अपनी विस्तृत रिपोर्ट के दसवे बिंंदु में पावर चैनल को दोबारा मजबूत और ठीक करने की सिफारिश की थी। इसे ध्यान में रखते हुए अग्रिम कार्रवाई की जाए। 

एनजीटी में दाखिल याचिका में कहा गया था कि 2015 में श्रीनगर बांध के रिसाव के कारण ग्रामीणों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था इसके बावजूद शासन-प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। लिहाजा 2018 में फिर से यह कैनाल टूट गया। बहरहाल इस मसले पर 11 जून को राज्य व स्थानीय अधिकारियों के 4 प्रतनिधियों वाली एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने 18 जून को नहर का निरीक्षण किया था। 

09 जुलाई को संयुक्त जांच रिपोर्ट पेश की गई थी। इसके मुताबिक मैसर्स अलकनंदा हाइड्रो पावर लिमिटेड अलकनंदा के अपस्ट्रीम श्रीनगर पर स्थित है। एक बैराज अलकनंदा नदी के पानी को डायवर्ट करके पावर हाउस तक पहुंचाता है। इस पावर हाउस के जरिए 330 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। बैराज से पावर हाउस तक पानी पहुंचाने के लिए 1.1 किलोमीटर अंडरग्राउंड चैनल और 3.2 किलोमीटर ओपन चैनल बनाया गया है।

जांच के दौरान पाया गया कि अंडरग्राउंड चैनल में सुपाना गांव के पास पानी का लीकेज है, हालांकि वहां आबादी नहीं है। वहीं, सुपाना के ग्राम प्रधान लखपत सिंह ने बताया कि यहां पानी का लीकेज बहुत लंबे समय से है। 

मगासू गांव ओपन वाटर चैनल के पास है। यदि वहां लीकेज हुआ तो गांव पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। गांव वालों ने जांच टीम को बताया कि 2018 में यहां कैनाल टूट चुका है। हालांकि, रिपोर्ट में इस जगह पर लीकेज नहीं पाया गया। इसके अलावा नौर गांव में किलकिलीखर गांव के महंत श्री सुखदेव ने जांच टीम को बताया कि अंडरग्राउंड चैनल के लीकेज के चलते यह इलाका बुरी तरह प्रभावित है। गांव के लोग लंबे समय से पुर्नस्थापन की मांग कर रहे हैं। माटू जन संगठन ने कहा कि इससे पहले ग्रामीण भुक्तभोगी बनें सरकार को कैनाल के लीकेज मरम्मती और मजबूती का काम अग्रिम तौर पर करना चाहिए।

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