
सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) देश के विभिन्न हिस्सों में सीमेंट क्षेत्र में पांच कार्बन कैप्चर और उपयोग (सीसीयू) टेस्टबेड के लिए विशेषज्ञ पैनल की सिफारिश पर विचार कर रहा है।
इन सीसीयू टेस्टबेड का उद्देश्य सीमेंट निर्माण से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जन को कैप्चर करना और उसे सिंथेटिक ईंधन, यूरिया, सोडा ऐश, कंक्रीट एग्रीगेट और खाद्य-ग्रेड सीओ2 जैसे मूल्यवान उत्पादों में बदलना है। ये टेस्टबेड उद्योग-अकादमिक सहयोग के माध्यम से वास्तविक औद्योगिक परिवेश में छोटे पैमाने पर सीसीयू तकनीकों के सत्यापन और प्रदर्शन के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेंगे।
यह पहल देश में औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन को सक्षम बनाने के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें सीमेंट जैसे उत्सर्जन वाले क्षेत्रों पर विशेष रूप से गौर करते हुए चक्रीय कार्बन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे यह भारत के 2070 तक कुल शून्य उत्सर्जन के व्यापक लक्ष्य के साथ अच्छी तरह से हासिल होगा।
बुंदेलखंड में खाद्य असुरक्षा
संसद में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री निमुबेन जयंतीभाई बंभानिया ने लोकसभा में बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमसीआईकेएवाई) बुंदेलखंड सहित सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में सफलतापूर्वक चल रही है।
इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र की 75 फीसदी और शहरी क्षेत्र की 50 फीसदी आबादी की खाद्य जरूरतों की पूर्ति करना है, जो 2011 की जनगणना के अनुसार 81.35 करोड़ है। पीएमजीकेएवाई के तहत, जहां अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के अंतर्गत आने वाले परिवार, जो सबसे गरीब हैं, प्रति परिवार प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न पाने के हकदार हैं, वहीं प्राथमिकता प्राप्त परिवारों (पीएचएच) को प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलोग्राम खाद्यान्न निःशुल्क दिया जाता है।
पवन टरबाइन से पानी का उत्पादन
आज दुनिया के कई हिस्से साफ पानी की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं पानी के उत्पादन के लिए नई-नई तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है। इसी क्रम में आज सदन में उठे एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि पवन टर्बाइनों से उत्पादित बिजली का उपयोग संघनन प्रक्रिया द्वारा वायु में उपस्थित नमी से पानी उत्पादन के लिए किया जा सकता है।
हालांकि यह तकनीक अभी भी अनुसंधान एवं विकास के शुरुआती चरण में है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास (आरई-आरटीडी) कार्यक्रम के अंतर्गत इस क्षेत्र में उपयुक्त प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान ने प्रायोगिक आधार पर एक एयरकंडीशनर-सह-जल जनरेटर प्रणाली विकसित की है जो एक सामान्य एयरकंडीशनर की तरह काम करते हुए प्रतिदिन 100 लीटर ताजे पानी का उत्पादन करने में सक्षम है।
सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना
ग्रामीण क्षेत्रों में रूफटॉप सौर ऊर्जा को लेकर उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा तथा विद्युत राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने लोकसभा में बताया कि मंत्रालय फरवरी, 2024 से पूरे देश में प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना (पीएमएसजी: एमबीवाई) लागू कर रहा है। इस योजना का लक्ष्य केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान करके आवासीय क्षेत्र के एक करोड़ घरों में रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करना है।
नाइक ने कहा, फरवरी 2024 में इस योजना के आरंभ के बाद से, 14 जुलाई, 2025 तक, देश में कुल 15.45 लाख परिवार और गुजरात में 5.23 लाख परिवार, ग्रामीण क्षेत्रों सहित, रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्रों से लाभान्वित हुए हैं। इस योजना का एक उद्देश्य देश के प्रत्येक जिले में आदर्श सौर ग्राम का विकास करना है। इस उद्देश्य के लिए 800 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है, जिसमें प्रत्येक आदर्श गांव के लिए एक करोड़ रुपये की केंद्रीय वित्तीय सहायता का प्रावधान है।
इसके अलावा स्थानीय निकायों को प्रोत्साहन के अंतर्गत, इस योजना में ग्राम पंचायत स्तर पर शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) और पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) के संबंधित अधिकार क्षेत्र में प्रत्येक रूफटॉप सौर ऊर्जा स्थापना के लिए 1,000 रुपये की दर से प्रोत्साहन प्रदान करने का प्रावधान है।
मछली पकड़ने वाली नौकाओं पर कछुओं को रोकने के उपकरणों (टीईडी) का उपयोग
कछुओं के संरक्षण को लकेर सदन में पूछे गए के प्रश्न के उत्तर में आज, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने राज्यसभा में बताया कि भारत सरकार के मत्स्य विभाग ने सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया है कि वे अपने-अपने समुद्री मत्स्य विनियमन अधिनियम (एमएफआरए) की समीक्षा करने के लिए जरूरी कदम उठाएं। विशेष रूप से जंगली झींगा के शिकार और कछुओं को रोकने के उपकरणों (टीईडी) के उपयोग के संदर्भ में और यदि आवश्यक हो तो उसमें संशोधन करें ताकि इसे समुद्री कछुआ संरक्षण कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए अनुकूल बनाया जा सके।
उन्होंने कहा साथ ही, संरक्षण के उद्देश्य से एमएफआरए के मौजूदा प्रावधानों के तहत अधिसूचनाएं जारी किए जाएं। सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कछुआ संरक्षण क्षेत्रों की तत्काल घोषणा पर विचार करने और मछली पकड़ते समय कछुआ संरक्षण उपायों के सख्त पालन के लिए संबंधित अधिकारियों और मछुआरों को जागरूक करने का भी अनुरोध किया गया।
सभी नौ तटीय राज्यों, अर्थात् गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल ने टीईडी के उपयोग को अनिवार्य बनाने के लिए अपने एमएफआरए में संशोधन किया है।
पशु अपशिष्ट प्रबंधन
सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री एस. पी. सिंह बघेल ने राज्यसभा में कहा कि अधिकतर डेयरी फार्मों में मवेशियों के गोबर और मूत्र का उपयोग खाद के रूप में किया जाता है। बड़े फार्मों में आमतौर पर गोबर और मूत्र प्रबंधन प्रणालियां होती हैं ताकि जैविक खाद के रूप में उचित भंडारण और उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
पशुपालन और डेयरी विभाग के लिए जुलाई 2021 में जारी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के डेयरी फार्मों और गौशालाओं के पर्यावरण प्रबंधन संबंधी दिशानिर्देशों के अनुरूप, बायोगैस संयंत्रों के निर्माण को बढ़ावा देने में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का सहयोग कर रहा है, जिन्हें गोबर के कचरे के प्रबंधन का सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है।
ओंगोल नस्ल के मवेशियों के संरक्षण की स्थिति को लेकर बघेल ने पशुधन गणना 2012 (नस्ल सर्वेक्षण रिपोर्ट 2013) और 2019 (नस्ल रिपोर्ट 2022) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि ओंगोल नस्ल के मवेशियों की संख्या 6.34 लाख से बढ़कर 7.03 लाख हो गई है, जो 10.88 फीसदी की वृद्धि है।