बजट 2020-21: सौर ऊर्जा और ग्रीन कोरिडोर के आंवटन में हो सकती है 24% तक वृद्धि

केंद्र सरकार 2020 तक 1 लाख 70 हजार मेगावाट अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करना है, लेकिन अब तक 85908 मेगावाट उत्पादन क्षमता का लक्ष्य हासिल हुआ है
Photo: Meeta Ahlawat
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1 फरवरी 2020 को पेश हो रहे आम बजट में सरकार का फोकस सौर (सोलर) ऊर्जा पर हो सकता है। पीएम कुसुम योजना के लिए बजट में विशेष प्रावधान की उम्मीद जताई जा रही है। केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, मंत्रालय ने ऑनग्रिड और ऑफग्रिड सोलर प्रोजेक्ट्स के अलावा ग्रीन कोरिडोर के बजट में 24 फीसदी की वृद्धि की मांग की है।

सरकार का लक्ष्य है कि 2022 तक देश में 170 गीगावाट (1.70 लाख मेगावाट) अक्षय ऊर्जा उत्पादन हो। इसमें से 100 गीगावाट सोलर पावर का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार के पास दो साल का समय बचा है और 31 दिसंबर 2019 तक देश में लगभग 85908 मेगावाट क्षमता के अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जा चुकी हैं। इनमें पवन ऊर्जा की उत्पादन क्षमता 37505 मेगावाट, सौर ऊर्जा की उत्पादन क्षमता 33730 मेगावाट शामिल है।

दो साल में विशालकाय लक्ष्य को देखते हुए मंत्रालय की ओर से वित्त मंत्रालय से मांग की गई कि उनके बजट में खासी वृद्धि की जाए। प्रस्ताव रखा गया कि ऑनग्रिड और ऑफग्रिड सोलर परियोजनाओं के अलावा ग्रीन कोरिडोर प्रोजेक्ट के लिए बजट में लगभग 4300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जाए। जो कि चालू वित्त वर्ष (2019-20) में 3544 करोड़ रुपए था।

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने पिछले साल पीएम कुसुम (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान) के जरिए ही 17 लाख 50 हजार ऑफ ग्रिड पंप और 10 लाख ग्रिड पंप लगाने का लक्ष्य रखा है। इससे लगभग 27750 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा पंप लगेंगे। इसके अलावा 10 गीगावाट छोटे सोलर पावर प्लांट भी लगाने का लक्ष्य रखा गया है। मंत्रालय ने इस योजना का लक्ष्य हासिल करने के लिए विशेष प्रावधान करने को भी कहा है।

वहीं, पवन ऊर्जा उद्योग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इस बार के बजट में पवन ऊर्जा उद्योग संचालकों से पिछले सालों की तरह कोई बातचीत नहीं की गई। हालांकि पवन ऊर्जा उद्योगों की दशा कोई खास अच्छी नहीं है, इसलिए उन्हें उम्मीद थी कि सरकार बजट पूर्व चर्चाओं में उन्हें आमंत्रित कर सकती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया। इससे लगता है कि सरकार का फोकस केवल सौर ऊर्जा पर रहने वाला है।

सितंबर 2019 में अमेरिकी दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 450 गीगावाट हरित ऊर्जा पैदा करने का ऐलान किया था। इस वजह से भी इस बार के बजट में अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) पर फोकस किया जा सकता है। साथ ही, नरेंद्र मोदी सरकार ने दुनिया के देशों को मिलाकर इंटरनेशनल सोलर अलायंस (आईएसए) का गठन भी किया। ऐसे में सरकार पर दबाव है कि वह सोलर पावर के अपने लक्ष्य को हासिल करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। भारत को आईएसए की बैठक में अपनी रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी है।

अधिकारी ने बताया कि भारत में सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए बजट सबसे बड़ी बाधा है। सोलर पीवी प्रोजेक्‍ट में वित्‍तीय सहायता सिर्फ इंडियन रिन्‍यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी देती है। बड़े प्रोजेक्‍ट में जमीन की दिक्‍कत के साथ निवेश की भी दिक्‍कत होती है। इस वजह से सरकार छोटे सोलर पावर प्रोजेक्‍ट के ऊपर फोकस करने जा रही है। इसमें इंडियन रिन्‍यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी मदद करेगी। सरकारी सहायता मिलने की वजह से अलग-अलग राज्‍यों में 20 से 50 मेगावाट के प्रोजेक्‍ट लगाए जा सकेंगे। इसमें जमीन की लागत कम होने के साथ प्रोजेक्‍ट चलाने में भी आसानी होगी।

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