

राजधानी पटना से लगभग ढाई सौ किलोमीटर दूर बिहार के सुपौल जिला अंतर्गत स्थित बड़वारी पंचायत में कजरा गांव की रहने वाली 55 वर्षीय कालो देवी मुसहर समाज से आती है। कालो देवी के परिवार में सात लोग रहते हैं। जिसमें उनका बड़ा बेटा अपनी पत्नी और दो बेटा के साथ दिल्ली में रहता है। वह साल भर में सिर्फ एक बार गांव आता है।
बाकी कालो देवी अपने पति और छोटा बेटा के साथ गांव में रहती है। कालो देवी का पति मजदूरी करता है और छोटा बेटा बेरोजगार है। कालो देवी और उसके पति को वृद्धा पेंशन योजना मिलता है। उसी से उनका घर चलता है।
कालो देवी बताती हैं, “पहले 400 रुपए वृद्धा पेंशन मिलती थी। अब 1100 रुपए मिलती है। दोनों पति-पत्नी मिलाकर 800 की जगह 2200 रुपए मिलने लगे हैं।”
जुलाई 2025 को बिहार सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत मिलने वाली पेंशन राशि को 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपए कर दिया था।
कालो देवी लगभग 2 साल पहले जीविका से जुड़ी थी। हालांकि वह जीविका की सक्रिय सदस्य नहीं है। कभी-कभी समूह की मीटिंग में चली जाती हैं।
कालो देवी के मुताबिक, "जीविका में कई महिलाओं ने लोन लिया, लेकिन पति के कहने पर मैंने नहीं लिया। सरकार ने कुछ दिन पहले हमारे खाते में भी 10,000 रुपए भेजें तो मैंने तीन बकरी ली हैं। इसी का पालन पोषण कर रहे हैं। छोटा बेटा मदद करता है। पता चला है कि आगे और भी रुपया मिलेगा।”
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत जीविका योजना से जुड़ी पात्र महिलाओं को स्वरोजगार हेतु मदद के तौर पर 10 हजार रुपए दिए गए। उनके काम की प्रगति संतोषजनक पाई जाती है, तो उन्हें आगे 2 लाख रुपये तक आर्थिक सहायता और दी जाएगी।
इस योजना के तहत अब 5 किस्तों में पैसा ट्रांसफर हो चुका है। पहली किस्त का पैसा 26 सितंबर को भेजा गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75 लाख महिलाओं के खाते में ऑनलाइन पैसा भेजा। इसके बाद, 3 अक्टूबर, 6 अक्टूबर, 17 अक्टूबर और 24 अक्टूबर को योजना के तहत लाभार्थियों के खाते में पैसा ट्रांसफर किया गया।
कालो देवी की तरह ही कजरा गांव में यादव समाज से आने वाली उम्दा देवी (50 वर्ष) के परिवार में आठ सदस्य है। उनका दोनों बेटा दिल्ली में कमाता है। उम्दा देवी बताती है,” मेरा दोनों बेटा मुझे रुपया भेजता है। जिसको हम जमा करते हैं। सरकार से हमको राशन और वृद्धा पेंशन दोनों मिलता है। जिससे हमको बेटा का रुपया खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है।”
उनको भी 10,000 रुपए मिले, लकिन इस रुपया का उन्होंने क्या किया? इस सवाल के जवाब पर कालो देवी खामोश होकर हंसने लगी।
बरवारी पंचायत की रहने वाली लगभग 80 वर्ष से बड़ी रामेश्वरी देवी घर की एकमात्र सदस्य है। रामेश्वरी देवी बताती हैं,” उनका एक बेटा है, जो उनसे अलग रहता है। मेरे पास दो बीघा जमीन है। उससे कुछ रुपया बाटेदार दे देता है। इसके अलावा राशन और वृद्धा पेंशन से हमारा घर चलता है। जबसे वृद्धा पेंशन बढ़ा है, हम जैसी महिलाओं को काफी राहत है। गांव में इतना खर्च नहीं होता है कि खूब रुपया की जरूरत हो।”
नीतीश सरकार के नेतृत्व में महिलाओं को लेकर इन निम्नलिखित योजनाओं का असर धरातल पर सबसे अधिक देखने को मिला है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के मुताबिक राज्य में वर्ष 2006 में पंचायत में 50 प्रतिशत आरक्षण, प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति में 50 प्रतिशत आरक्षण, वर्ष 2007 में नगर निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण, वर्ष 2013 में बिहार पुलिस अन्य सभी सरकारी सेवाओं में 35 प्रतिशत आरक्षण और मेडिकल, इंजीनियरिंग एवं स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध शैक्षणिक संस्थाओं के नामांकन में 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के अंतर्गत बेटियों के जन्म से लेकर स्नातक तक की पढ़ाई के लिए सभी जरूरतों पर ध्यान रखते हुए विभिन्न चरणों में 94,100 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। सरकारी विद्यालयों में कक्षा 9वीं में पढ़ने वाली छात्राओं को साइकिल के लिए 3 हजार रुपए का प्रावधान है। मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के अंतर्गत कक्षा 1 से 12 तक की छात्राओं को पोशाक के लिए 600 से 1500 रुपए का प्रावधान है।
सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत महिला अभ्यर्थियों के यूपीएससी एवं बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने पर क्रमशः 1 लाख रुपए एवं 50,000 रुपए प्रोत्साहन राशि का प्रावधान है। इसमें अभी तक 1615 महिला अभ्यर्थी लाभान्वित हो चुकी है।
मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना के अंतर्गत अपना उद्यम स्थापित करने के लिए महिलाओं को 10 लाख रुपए की वित्तीय सहायता का प्रावधान है,इसमें 5 लाख रुपए अनुदान एवं 5 लाख ब्याज मुक्त ऋण की व्यवस्था है। अब तक 8,714 लाभार्थियों को 599.80 करोड़ रुपए की राशि वितरित की गई है।
जीविका महिला सशक्तिकरण के लिए बिहार सरकार का मुख्य कदम है। राज्य में महिलाओं के 11 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है। जिससे राज्यभर में 1 करोड़ 40 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी है। जीविका समूहों के माध्यम से अब तक 10.40 लाख से अधिक बैंक खाते खोले जा चुके हैं।