संसद में आज: अल्मोड़ा फाल्ट सक्रिय होने के कारण भूकंप की घटनाओं में वृद्धि

एनजीटी ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को पर्यावरण को हुए नुकसान की बहाली के लागत के रूप में 129 करोड़ रुपये अलग करने का निर्देश दिया है
संसद में आज: अल्मोड़ा फाल्ट सक्रिय होने के कारण भूकंप की घटनाओं में वृद्धि
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भूकंप की घटनाएं बढ़ी

आज 6 दिसंबर 2023 को संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सदन में आज देश में भूकंप की घटनाओं को लेकर उठे एक सवाल के जवाब में पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरण रिजिजू ने लोकसभा में बताया कि आंकड़े वर्ष 2023 में भूकंप की गतिविधि में वृद्धि की ओर इशारा करते हैं, इसका मुख्य कारण पश्चिमी नेपाल में अल्मोडा फॉल्ट का सक्रिय होना है।

इस सक्रियता के कारण 24 जनवरी, 2023 (तीव्रता:5.8), तीन अक्टूबर, 2023 (तीव्रता:6.2) और तीन नवंबर, 2023 (तीव्रता:6.4) को भारी झटके वाले भूकंप आए। इन मुख्य झटकों के साथ-साथ बाद के झटकों के कारण वर्ष 2023 में भूकंप की आवृत्ति में वृद्धि देखी गई है। 

पूरे देश में इंटरनेट की पहुंच

देश में इंटरनेट की पहुंच को लेकर सदन में उठाए गए एक सवाल के लिखित जवाब में रेलवे, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया कि मार्च 2014 देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 25.15 करोड़ से बढ़कर मार्च 2023 में 88.12 करोड़ हो गई है। सितंबर 2023 तक, देश में 6,44,131 गांवों में से लगभग 6,16,300 गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी थी, जिनमें से मोबाइल कनेक्टिविटी वाले 42,733 गांव राजस्थान के भी शामिल हैं।

गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रहने वाले लोग

सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह ने लोकसभा में बताया कि नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) के साथ साझेदारी में 17 जुलाई 2023 को राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: एक प्रगति समीक्षा 2023 जारी की। इस रिपोर्ट के अनुसार 2015 और 16 से 2019 और 21 के बीच 13.5 करोड़ लोग "बहुआयामी गरीबी" से बाहर निकले। 2015 और 16 से  2019 और 21 के बीच बहुआयामी गरीबों की संख्या में 24.85 प्रतिशत से 14.96 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज हुई है।

भारत में सुनामी की तैयारी

प्राकृतिक आपदाओं को लेकर सदन में सिलसिलेवार पूछे गए प्रश्नों के लिखित उत्तर में मंत्री किरण रिजिजू ने बताया कि सुनामी को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन समय पर चेतावनी, सामुदायिक जागरूकता और तैयारी, प्रभावी प्रतिक्रिया के माध्यम से उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है। भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (इनकॉइस) ने भारत के पूर्वी तट पर सुनामी जागरूकता और तैयारियों पर लगभग 15 कार्यशालाएं और प्रशिक्षण आयोजित किए हैं।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के समन्वय में, इनकॉइस ने भारत के पूर्वी तट के लिए 12 सुनामी अभ्यास या मॉक ड्रिल आयोजित किए हैं। अक्टूबर 2023 में आयोजित हालिया सुनामी मॉक ड्रिल आइओवेव 23 सुनामी तैयारियों का एक बड़ा उदाहरण था जिसमें 40,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया था।

हीट एक्शन प्लान (एचएपी)

हीट एक्शन प्लान को लेकर आज सदन में उठाए गए एक सवाल के लिखित जवाब में मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि हीट वेव या लू के प्रति संवेदनशीलता एटलस से पता चलता है कि देश के 13 फीसदी जिले और 15 फीसदी आबादी लू के प्रति संवेदनशील है। इनमें से चार प्रतिशत जिले और सात प्रतिशत आबादी अत्यधिक संवेदनशील हैं। राजस्थान के 15 जिले और आंध्र प्रदेश 13 जिलों में लू की आशंका सबसे अधिक रहती है। 

रिजिजू ने यह बात भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा तैयार किए गए भारत के जलवायु खतरों और भेद्यता एटलस का जिक्र करते हुए कही, जिसमें लू या हीट वेव सहित तेरह सबसे खतरनाक मौसम संबंधी घटनाओं को शामिल किया गया है।

भारत में हीट वेव या लू का प्रभाव

रिजिजू ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि उष्णकटिबंधीय देश होने के कारण भारत में लू का खतरा अधिक रहता है। देश के उत्तर और मध्य भारत और भारत के उत्तरी प्रायद्वीप में हर साल मार्च से जून के दौरान लू चलती है। आम तौर पर गर्मी के मौसम में इन क्षेत्रों में चार से आठ दिनों तक लू चलती है। ये आंकड़े 1961 से 2020 की अवधि के आंकड़ों पर आधारित हैं।

हालांकि, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम राजस्थान, पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, विदर्भ, ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कुछ इलाकों में एक वर्ष में आठ दिन से अधिक लू चलती है। मार्च से जून 2023 के मौसम के दौरान पश्चिम बंगाल में गंगा के तटीय इलाकों में 34 दिन, बिहार में 31 दिन, तटीय आंध्र प्रदेश में 21 दिन और ओडिशा में 18 दिन लू प्रभावित रहे। 

एनएचएआई परियोजनाओं के कारण पर्यावरणीय क्षति

सड़कों के निर्माण परियोजनाओं के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर सदन में उठाए गए एक सवाल के लिखित जवाब में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन जयराम गडकरी ने राज्यसभा में बताया कि एनजीटी ने अपने अंतिम आदेश दिनांक 29.10.2021 में ओ.ए. के मामले में संख्या 295/2016 ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को पर्यावरणीय प्रभाव की लागत के रूप में 129 करोड़ रुपये अलग करने का निर्देश दिया है। यह धन राशि पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) को लागू करने के लिए अस्थायी लागत और पर्यावरण को हुए नुकसान की बहाली के रूप में उपयोग की जाएगी।

गडकरी ने बताया कि एनएचएआई माननीय न्यायाधिकरण/न्यायालयों की सभी वैधानिक शर्तों और निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। इसके अलावा, जहां भी कमियां देखी जाती हैं, उन्हें बहाल करने के लिए आवश्यक उपचारात्मक उपाय किए जाते हैं।

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