रोजगार संबंधी कारणों से दिल्ली के 87 फीसदी से अधिक पुरुष करते हैं पलायन

रोजगार संबंधी कारणों से प्रवास करने वाले पुरुषों के मामले में दिल्ली अव्वल है, जहां 87.1 फीसदी पुरुषों ने रोजगार की वजह से पलायन किया
कोरोना के दौरान बस स्टैंड पर प्रवासियों का लगा तांता; फोटो: आईस्टॉक
कोरोना के दौरान बस स्टैंड पर प्रवासियों का लगा तांता; फोटो: आईस्टॉक
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भारत में 2021 के दौरान सभी प्रवासियों में से करीब 10.7 फीसदी ने रोजगार संबंधी कारणों से पलायन किया था। इनके पलायन के लिए बेहतर रोजगार की तलाश, नौकरी में ट्रांसफर, काम से निकटता और अवसरों की कमी जैसे कारण जिम्मेवार थे। यह जानकारी अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट (आईएचडी) ने अपनी नई 'इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024' में साझा की है। रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार के लिए पलायन करने वालों का यह अनुपात महिलाओं में बेहद कम महज 1.7 फीसदी था।

वहीं देश में 49.6 फीसदी पुरुषों के पलायन के लिए रोजगार और उससे जुड़े कारण जिम्मेवार थे। आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि रोजगार संबंधी कारणों से प्रवास करने वाले पुरुषों के मामले में दिल्ली अव्वल है, जहां 87.1 फीसदी पुरुषों ने रोजगार की वजह से प्रवास किया था। वहीं कर्नाटक में यह आंकड़ा 63.2, जबकि महाराष्ट्र में 59.9 फीसदी दर्ज किया गया।

ऐसा ही कुछ देश के अन्य राज्यों में भी देखने को मिला है, जहां तेलंगाना में 56.2 फीसदी, छत्तीसगढ में 54.9 फीसदी, असम में 54.7 फीसदी, हरियाणा में 54.7 फीसदी, गुजरात में 51.4 फीसदी, मध्य प्रदेश में 50.9 फीसदी और तेलंगाना सहित आंध्र प्रदेश में 50.2 फीसदी पुरुषों के प्रवास के पीछे की वजह रोजगार रही।

वहीं दूसरी तरफ रोजगार की वजह से प्रवास करने वाले पुरुषों का आंकड़ा उत्तरप्रदेश में सबसे कम 35.9 फीसदी दर्ज किया गया। इसी तरह केरल में 37.2 फीसदी, जम्मू कश्मीर में 38.3 फीसदी, बिहार में 39 फीसदी, और पंजाब में 44.4 फीसदी पुरुषों ने रोजगार कारणों से पलायन किया था।

महिलाओं में बढ़ी प्रवासन की दर

यदि पिछले दो दशकों में 2000 से 2021 के बीच भारत में प्रवासन की दर को देखें तो उसमें 2.1 फीसदी का मामूली इजाफा हुआ है। प्रवासन की यह दर 26.8 फीसदी से बढ़कर 28.9 फीसदी पर पहुंच गई है। दिलचस्प बात यह है कि पुरुषों और महिलाओं के बीच यह रुझान अलग-अलग दर्ज किया गया है।

गौरतलब है कि महिलाओं के बीच प्रवासन की यह दर, जो पहले ही पुरुषों की तुलना में अधिक थी, उसमें इस अवधि के दौरान 5.5 फीसदी का इजाफा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक 2000 के दौरान महिलाओं में प्रवासन की दर 42.4 फीसदी दर्ज की गई थी, जो 2021 में बढ़कर 47.9 फीसदी तक पहुंच गई। वहीं दूसरी तरफ पुरुषों के मामले में इसमें 1.4 फीसदी अंकों की गिरावट आई है। जो 12.1 फीसदी से घटकर 10.7 फीसदी रह गई है।

रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए हैं उनके मुताबिक देश में केरल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश में प्रवासन की दर सबसे अधिक है।

आंकड़ों के अनुसार जहां केरल में प्रवासन की दर 41.2 फीसदी दर्ज की गई, वहीं हिमाचल प्रदेश में यह आंकड़ा 38.1 फीसदी, तमिलनाडु में 36.3 फीसदी, उत्तराखंड में 35 फीसदी, ओडिशा में 33.1 फीसदी, कर्नाटक में 32.5 फीसदी जबकि गुजरात में 31.9 फीसदी दर्ज की गई है।

देश के बेरोजगारों में 83 फीसदी हैं युवा

वहीं दूसरी तरफ बिहार में प्रवासन की दर सबसे कम 14.2 फीसदी रिकॉर्ड की गई है। इसी तरह जम्मू और कश्मीर में यह आंकड़ा 22.1, असम में 23.7, तेलंगाना में 25.2 फीसदी, दिल्ली में 27.6, झारखंड में 28.3 और उत्तरप्रदेश में 28.5 फीसदी दर्ज किया गया है।

आईएलओ ने रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया है कि देश के बेरोजगारों में 83 फीसदी युवा हैं। वहीं हैरानी की बात है कि इसमें से ज्यादातर युवा शिक्षित हैं। रिपोर्ट में पढ़े लिखे युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी पर भी प्रकाश डाला है। आंकड़ों के मुताबिक 2000 के मुकाबले पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं की संख्या दोगुनी हुई है।

बता दें कि कुल बेरोजगारों में जहां 2000 में पढ़े-लिखे युवाओं का आंकड़ा 54.2 फीसदी था, वो 2022 में बढ़कर 65.7 फीसदी पर पहुंच गया है। इनमें उन युवाओं को शामिल किया गया है, जिन्होंने कम से कम मैट्रिक तक की पढाई पूरी की है।

रिपोर्ट में भारतीय युवाओं में डिजिटल लिटरेसी की कमी पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसकी वजह से रोजगार पानी में रुकावट आ रही है। उदाहरण के लिए 90 फीसदी भारतीय युवा स्प्रेडशीट में मैथ्स के फॉर्मूला का उपयोग और प्रेजेंटेशन बनाना नहीं जानते। इसी तरह 66 फीसदी ग्रामीण युवा कंप्यूटर फाइलों में कॉपी और पेस्ट नहीं कर सकते। वहीं 73.3 फीसदी युवा अटैचमेंट के साथ ईमेल भेजने में असमर्थ हैं।

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