क्या जेब के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है ऑनलाइन शॉपिंग?

एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन में ऑनलाइन शॉपिंग की वजह से पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभावों के बारे में आकलन किया गया है
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आज सब तरफ ऑनलाइन शॉपिंग की धूम है। आप रोजमर्रा की चीजों जैसे दाल, सब्जी से लेकर गाड़ी तक घर बैठे ऑनलाइन खरीद सकते हैं। भारत में अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसे बड़े नाम आपकी जरुरत की हर चीज घर बैठे ही उपलब्ध करा देते हैं। पर क्या यह ऑनलाइन शॉपिंग जेब के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है?

अमेरिकन केमिकल सोसाइटी के जर्नल एनवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी में इससे जुड़ा एक शोध प्रकाशित हुआ है। जो पर्यावरण पर पड़ने वाले इसके प्रभाव की भी व्याख्या करता है। इसके अनुसार खरीदारी करते समय ऑनलाइन और स्वयं जाकर खरीदारी करने के विकल्प को चुनते समय उससे होने वाले ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को भी ध्यान में रखना चाहिए, जिससे पर्यावरण की भी रक्षा की जा सके, तभी तो वो हमारी भी रक्षा कर सकेगा।

पैदल और साइकिल पर जाकर खरीदारी करने से 40 फीसदी घट सकता है उत्सर्जन

इस अध्ययन के अनुसार आमतौर पर व्यक्तिगत और घरेलु उत्पादों जैसे दाल चावल को उपभोक्ता स्वयं दुकान पर जाकर खरीदना पसंद करते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार जब सामान को ऑनलाइन खरीदा जाता है और उसकी डिलीवरी किसी दुकान के जरिये की जाती है तो पारम्परिक तरीके से खरीदारी करने की तुलना में इससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन 63 फीसदी कम होता है।

इसका मतलब है कि यह पर्यावरण के दृष्टिकोण से अधिक फायदेमंद होता है। जबकि इसके विपरीत ऑनलाइन खरीदारी करने के बाद जब सामान की डिलीवरी किसी अन्य पार्सल डिलीवरी कंपनी के जरिये की जाती है तो उससे पारम्परिक खरीदारी की तुलना में 81 फीसदी अधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। शॉपिंग और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से जुड़ा यह अध्ययन यूके पर आधारित है। जिसमें शोधकर्ताओं ने वस्तु के परिवहन, भण्डारण, वितरण और पैकेजिंग से होने वाले उत्सर्जन का विश्लेषण किया है।

साथ ही शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि यदि उपभोक्ता खुद पैदल या साइकिल के जरिये दुकान पर जातें हैं तो वो उत्सर्जन को 40 फीसदी तक कम कर सकते हैं, जबकि यदि पार्सल डिलीवरी कंपनी ऑनलाइन विक्रेता केंद्रों से उपभोक्ताओं के घरों तक उत्पादों की डिलीवरी के लिए वैन की जगह इलेक्ट्रिक बाइक का इस्तेमाल करती है तो वो ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 26 फीसदी की कटौती कर सकते हैं।

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