सुप्रीम कोर्ट ने श्रम और रोजगार मंत्रालय को हर राज्य में प्रवासी और असंगठित क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों के बारे में ताजा जानकारी देने का निर्देश दिया है। मामला असंगठित क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों के पंजीकरण से जुड़ा है।
इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिसंबर, 2022 को कहा कि सरकार द्वारा दायर हलफनामे से पता चलता है कि कई राज्यों ने अभी तक लक्ष्य को हासिल नहीं किया है, जबकि कुछ राज्यों ने बहुत अच्छा काम किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 15 दिसंबर, 2022 को होगी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई, 2021 को उन राज्यों के लिए निर्देश जारी किया था, जो असंगठित क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों के पंजीकरण का लक्ष्य हासिल नहीं कर रहे थे। कोर्ट ने उन्हें श्रम और रोजगार मंत्रालय के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया था। साथ ही उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था कि विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे इन असंगठित क्षेत्र से जुड़े मजदूरों और श्रमिकों का पंजीकरण ईश्रम पोर्टल में पूरा हो।
हमीरपुर जिले में तय सीमा से 13 गुना ज्यादा हो रहा है खनन, पर्यावरण के लिए है खतरा
सीपीसीबी की एक रिपोर्ट से पता चला है कि हमीरपुर जिले में बेतवा नदी के किनारे चल रही सभी खदानों द्वारा सीमा से ज्यादा खुदाई की जा रही है। गौरतलब है कि इस क्षेत्र में खदाने तय सीमा से करीब 13 गुना अधिक दोहन कर रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इतनी अधिक दर पर होते खनन से पर्यावरण पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। साथ ही इस स्थान पर खनिकों द्वारा भारी मशीनरी के उपयोग की संभावना के भी संकेत मिले हैं।
फरवरी 2022 में गूगल अर्थ से ली तस्वीरों के आधार पर जो निष्कर्ष सामने आए हैं वो निम्नलिखित हैं:
उपग्रह से प्राप्त डिजिटल चित्र में भी हमीरपुर जिले में बेतवा नदी के खंड में अवैध खनन के संकेत मिले हैं।
ऐसे में रिपोर्ट में कहा गया है कि, "हालांकि, संबंधित एजेंसियों के माध्यम से इन्हें सत्यापित करने और इन गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए एक तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है।"
एनजीटी ने मोहनगढ़ वन क्षेत्र में होते अवैध पत्थर खनन मामले पर तीन महीनों में मांगी रिपोर्ट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 7 दिसंबर 2022 को मोहनगढ़ वन क्षेत्र में होते अवैध पत्थर खनन के मामले में खनन और भूविज्ञान निदेशालय के निदेशक, मध्य प्रदेश, डीएफओ और शिवपुरी के जिला मजिस्ट्रेट को एक कार्य योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस मामले में क्या काम किया जाएगा उसकी समय सीमा के साथ कार्य योजना प्रस्तुत करनी है। साथ ही अवैध खनन से क्षेत्र को जो नुकसान हुआ है उसके सुधार के संबंध में बजटीय प्रावधान और अब तक इस मामले में क्या कार्रवाई हुई है उसपर तीन महीनों के भीतर रिपोर्ट कोर्ट में दायर की जानी चाहिए।