सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार से ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासियों और असंगठित श्रमिकों पर विवरण मांगा है और कहा है कि क्या उनके पास राशन कार्ड हैं और क्या उनके पास राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत भोजन की पहुंच है या नहीं।
सर्वोच्च न्यायालय को जानकारी दी गई है कि करीब 38.4 करोड़ प्रवासियों को ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत किया जाना है, वहीं कुल 28.6 करोड़ प्रवासी पहले से ही इस पर पंजीकृत हैं।
जानकारी मिली है कि 28.6 करोड़ प्रवासी जो पहले से ही ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं, वे केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों द्वारा जारी की गई योजनाओं और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत भी पात्र होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 31 जनवरी 2023 को कहा है कि ई-श्रम पोर्टल पर एकत्र किए गए आंकड़ों का उपयोग प्रवासी और असंगठित श्रमिकों की बेहतरी के लिए किया जाना चाहिए, केवल पंजीकरण के आंकड़े ही पर्याप्त नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के फैसले को बरकरार रखते हुए केटीवी को मिली मंजूरी को किया रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखते हुए केटीवी हेल्थ फूड और केटीवी ऑयल मिल्स को स्टोरेज टैंक के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी गई मंजूरी को रद्द कर दिया है। गौरतलब है कि केटीवी दक्षिण भारत की सबसे बड़ी खाद्य तेल कंपनियों में से एक है।
गौरतलब है कि यह स्टोरेज टैंक ट्रांजिट टर्मिनल चेन्नई में बंदरगाह क्षेत्र के बाहर स्थित है। वहीं पाइप लाइन पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने 01 फरवरी को दिए फैसले में कहा है कि यदि भंडारण टैंकों को ध्वस्त कर दिया जाता है तो क्या पाइपलाइन का उपयोग जारी रखा जा सकता है, यह एक ऐसा मुद्दा है जिसपर अधिकारियों द्वारा ध्यान जाना चाहिए। यह पाइपलाइन चेन्नई बंदरगाह से कंपनी के स्टोरेज ट्रांजिट टर्मिनल तक खाद्य तेल ले जाने के लिए बिछाई गई है।
शीर्ष अदालत का कहना है कि पाइपलाइन के संबंध में जिला तटीय क्षेत्रीय प्रबंधन प्राधिकरण को निर्णय लेना होगा। कोर्ट ने अपीलकर्ता से पाइपलाइन के संबंध में एक महीने के भीतर जिला तटीय क्षेत्रीय प्रबंधन प्राधिकरण से संपर्क करने के लिए कहा है। तटीय प्रबंधन प्राधिकरण पाइपलाइन के निरंतर उपयोग के संबंध में किए गए आवेदन पर विचार करेगा और आवेदन प्राप्त होने की तारीख से छह सप्ताह की अवधि के भीतर नियमों के अनुसार निर्णय लेगा।
अपीलकर्ताओं ने एक वर्ष के लिए भंडारण सुविधा के साथ-साथ पाइपलाइन का उपयोग जारी रखने के लिए कोर्ट से अनुरोध किया था और शीर्ष अदालत ने एनजीटी के आदेश का पालन करने के लिए छह महीने की अवधि दी है। यह आदेश भंडारण टैंकों को गिराने के निर्देश के संबंध में था। वहीं कंपनी को एक महीने के अंदर जुर्माने का भुगतान करने का समय दिया है।
एसपीसीबी में योग्य और अनुभवी कर्मियों को रखने के लिए नियमों में बदलाव और संशोधन जरूरी: सुप्रीम कोर्ट
सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि मिजोरम और मणिपुर जैसे राज्यों को नियमों को बदलने या संशोधित करने के लिए उपयुक्त सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए, जिससे योग्य और अनुभवी कर्मियों की आवश्यकता को प्रतिबिंबित किया जा सके, जो राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी) के अध्यक्ष, सदस्य सचिवों और सदस्यों के पद पर कार्य कर सकें।
गौरतलब है कि वरिष्ठ वकील, संजय हेगड़े का कहना है कि मणिपुर और मिजोरम जैसे राज्यों ने "अयोग्य व्यक्तियों की भर्ती और नियुक्ति की अनुमति दी थी, जिन्हें सक्षम या अनुभवी के रूप में वर्णित नहीं किया जा सकता।"
पूरा मामला जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 1974, वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और ऐसे अन्य अधिनियम के तहत अध्यक्षों, सदस्य सचिवों और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी) के सदस्यों की भर्ती और उनकी पात्रता संबंधी शर्तों के रूप में योग्यता और प्रासंगिक अनुभव की व्याख्या करने वाले उचित मानदंड और दिशानिर्देश तैयार करने से संबंधित है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2018 में दिए एक फैसले में सभी राज्यों में कार्यकारिणी को छह महीने के भीतर नियमों के तहत भर्ती के लिए उचित दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्देश दिया था, क्योंकि पर्यावरण को होने वाला कोई भी नुकसान स्थाई और लम्बे समय तक पड़ सकता है।