भारत क्यों है गरीब-11: मेवात के 47 फीसदी क्षेत्र में नहीं है सिंचाई की व्यवस्था

मेवात जिले में गरीबी की बड़ी वजह यह है कि यहां खेतों की सिंचाई के लिए व्यापक व्यवस्था नहीं है
मेवात में खेतों में सिंचाई के लिए ट्यूबवेल लगे हैं, लेकिन कई जगह पानी खराब न होने के कारण ट्यूबवेल से भी सिंचाई नहीं हो पा रही है। फोटो: शाहनवाज आलम
मेवात में खेतों में सिंचाई के लिए ट्यूबवेल लगे हैं, लेकिन कई जगह पानी खराब न होने के कारण ट्यूबवेल से भी सिंचाई नहीं हो पा रही है। फोटो: शाहनवाज आलम
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नए साल की शुरुआती सप्ताह में नीति आयोग ने सतत विकास लक्ष्य की प्रगति रिपोर्ट जारी की है। इससे पता चलता है कि भारत अभी गरीबी को दूर करने का लक्ष्य हासिल करने में काफी दूर है। भारत आखिर गरीब क्यों है, डाउन टू अर्थ ने इसकी व्यापक पड़ताल की है। इसकी पहली कड़ी में आपने पढ़ा, गरीबी दूर करने के अपने लक्ष्य से पिछड़ रहे हैं 22 राज्य । दूसरी कड़ी में आपने पढ़ा, नई पीढ़ी को धर्म-जाति के साथ उत्तराधिकार में मिल रही है गरीबी । पढ़ें, तीसरी कड़ी में आपने पढ़ा, समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के बीच रहने वाले ही गरीब । चौथी कड़ी में आपने पढ़ा घोर गरीबी से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं लोग । पांचवी कड़ी में पढ़ें वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की वार्षिक बैठक शुरू होने से पहले ऑक्सफैम द्वारा भारत के संदर्भ में जारी रिपोर्ट में भारत की गरीबी पर क्या कहा गया है? पढ़ें, छठी कड़ी में आपने पढ़ा, राष्ट्रीय औसत आमदनी तक पहुंचने में गरीबों की 7 पुश्तें खप जाएंगी  । इन रिपोर्ट्स के बाद कुछ गरीब जिलों की जमीनी पड़ताल- 

राजधानी दिल्ली से लगभग 70 किलोमीटर पर बसा मेवात यह बताता है कि देश की आजादी के बाद गरीबी को दूर करने के लिए जितनी भी योजनाएं बनी, वो कितनी जमीन पर उतरी। मेवात की गरीबी की दास्तां की पहली कड़ी में आपने पढ़ा कि पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी की मिसाल है यह जिला । दूसरी कड़ी में पढ़ें- 

पांच ब्‍लॉक (नूंह, फिरोजपुर झिरका, तावड़ू, नगीना, पुन्‍हाना) में फैले मेवात जिले में तकरीबन एक लाख 46 हजार 645 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। कृषि विभाग के मुताबिक नूंह में 36 हजार 820, तावडू 13 हजार 939, फिरोजपुर झिरका 19 हजार 616, पुन्हाना 26 हजार 66, नगीना 17 हजार 204 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। लेकिन इतनी बड़ी कृषि भूमि की सिंचाई के लिए कोई माकूल बंदोबस्‍त नहीं है। पूरे इलाके में नदी या नहरी पानी नहीं होने के कारण सिंचाई नहीं हो पाती है। मेवात एरिया की जमीन काली व दोमट मिट्टी है, जबकि तावडू क्षेत्र में भूड़ा किस्म की उपजाऊ भूमि है। यहां 36 प्रतिशत भूमि में जमीनी बोरिंग (ट्यूबवेल) के माध्यम से सिंचाई की जाती है और केवल 17 फीसदी इलाके में बारिश के पानी से सिंचाई होती है। इसके अलावा 47 प्रतिशत भूमि में सिंचाई की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है।

किसान क्‍लब के अध्‍यक्ष मान सिंह बताते है कि मेवात क्षेत्र में जमीनी बोरिंग पानी खारा होने की वजह से सिंचाई के लायक नहीं है। पूरे इलाके में भूजल स्‍तर पर 200 फुट से अधिक हो चुका है। मुख्‍य रूप से इस क्षेत्र में गेंहू, जौ, सरसो, बाजरा और दलहन की खेती होती है, लेकिन सिंचाई नहीं होने के कारण इनका उत्‍पादन प्रभावित हो रहा है। अब तक सरकार ने सिंचाई के लिए कई वादे और योजनाएं बनाई, लेकिन जमीनी स्‍तर पर कोई भी सिरे नहीं चढ़ा है।

50 हजार एकड़ भूमि पानी के संसाधन के अभाव में बंजर रह जाती है। जिले के पुन्हाना, नूंह, नगीना तीन खंडों की भूमि ही नहरी पानी से सींची जाती है। फिरोजपुर-झिरका तावड़ू खंड के किसी गांव में आज तक नहर का पानी नसीब नहीं हुआ। जबकि सबसे ज्यादा फसल देने वाली भूमि झिरका तावड़ू की ही मानी जाती है। सरकार की ओर से दो दशक पहले जिले की भूमि को नहरों से जोड़ने का प्रयास किया गया। कई नहर बनाई गई, लेकिन उनमें आज तक पानी नहीं आया। इसलिए जिले की अधिकांश नहर-नाले सूख कर खेल का मैदान बन मैदान बन गई।

मेवात क्षेत्र में पानी लाने के लिए करीब 30 बरस पहले गुड़गांव नहर का निर्माण किया गया था। इस नहर के जरिये गुड़गांव (तब मेवात गुड़गांव का हिस्‍सा था), फरीदाबाद जिले की एक लाख 30 हजार हेक्‍टेयर जमीन की सिंचाई करने का लक्ष्‍य था। यह नहर फरीदाबाद के ओखला बैराज से निकलकर पलवल और मेवात के पुन्‍हाना खंड से होते हुए राजस्‍थान चली जाती है। सरकार की ओर से नूंह, बनारसी, इंडरी, उजीना, फिरोजपुर डिस्ट्रीब्यूटरी, गंगवानी, उमरा, कैराका माइनर बनाई गई है। इनकी लंबाई 5 लाख 84 हजार 500 फुट है। इसके अलावा 1 दर्जन छोटे नाले हैं, लेकिन यह सभी सूखे है। सिंचाई विभाग के आंकड़ों के अनुसार हर साल मेवात को 830250 क्यूसेक पानी गुड़गांव कैनाल से मिलना चाहिए, लेकिन ओखला बैराज से हर साल 36 हजार 204 क्यूसेक पानी ही मिलता है। इस कारण मेवात की अधिकांश नहरें सूखी रहती हैं। जिससे यहां किसानों को नुकसान हो रहा है और खेतों में फसलों की सही पैदावार नहीं होती है।

इसके अलावा यहां नूंह, कोटला, उझीना बरसाती ड्रेन हैं। जहां बरसात में तो पानी रहता है, लेकिन सारा साल ये ड्रेन सूखी रहती हैं। किसानों की समस्‍या को देखते हुए हरियाणा सरकार ने 9 मार्च 2019 को एक कैनाल का उद्घाटन भी किया, लेकिन अभी तक जमीनी तस्‍वीर नहीं बदली है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, झज्जर जिले के बादली के नजदीक से यमुना नदी से निकलने वाली दो नहरें गुजर रही हैं, इनमें एक नहर एनसीआर नहर है दूसरी ककरोली- सोनीपत नहर है।

इन दोनों नहरों से पानी का एक हिस्सा मेवात तक पहुंचाया जाएगा। योजना के तहत मेवात के लिए 3 फेजों में 300 क्यूसिक पानी आएगा। पहले फेस में 100 तथा दूसरे व तीसरे फेस में 100-100 क्यूसिक पानी देने की योजना है। इस पूरी योजना पर लगभग 1100 करोड़ रुपए खर्च होंगे। लगभग 70 किलोमीटर लंबी पाइप लाइनें बिछाई जाएंगी, जिसके माध्यम से पानी मेवात तक लाया जाएगा।

जारी...

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