दुनिया में अनियंत्रित और बेतरतीब तरीके से हो रहा शहरी फैलाव: अध्ययन

वैश्विक रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया में शहरी विस्तार सबसे ज्यादा बेतरतीब तरीके से हो रहा है
Photo: Samrat Mukharjee
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गलियां और सड़कें किसी शहर की रीढ़ होती हैं। जो शहर की बनावट और भूमि उपयोग के सभी आयामों को स्वरुप प्रदान करती हैं। दुनिया भर में जिस तरह से अनियंत्रित और बेतरतीब तरीके से शहरों का विकास और फैलाव हो रहा है। उसके चलते शहरों की स्थानीय सड़कों का आपस में जुड़ाव कम हो गया है। जिसका सीधा प्रभाव पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था पर पड़ रहा है। आज नीति निर्माताओं को टोक्यो और ब्यूनस आयर्स जैसे शहरों को देखना चाहिए। जो दिखाते हैं कि किस तरह शहरी विस्तार को सही ढंग से नियोजित किया जा सकता है। 

कैलिफोर्निया और मैकगिल यूनिवर्सिटी द्वारा सम्मिलित रूप से किया गया एक अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (पनास), जर्नल में छपा है| जोकि ऐतिहासिक रूप से शहरों के विस्तार को समझाने वाला पहला अध्ययन है। जिसे कि सड़कों के जाल और स्थानीय कनेक्टिविटी द्वारा मापा गया है। वैज्ञानिकों ने इसके लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों जैसे ओपन स्ट्रीट मैप, विकिपीडिया में उपलब्ध मानचित्रों और उपग्रहों से प्राप्त डाटा का प्रयोग किया है। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने बेहतर कनेक्टिविटी को समझने के लिए एक इंटरैक्टिव मैप भी बनाया है। 

इस अध्ययन के सह लेखक और मैक्गिल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड सोशल पालिसी के एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस्टोफर बैरिंगटन-ले ने बताया कि, हम दुनिया भर के उन शहरों को समझना चाहते थे, जहां शहरी विस्तार नयी समस्याएं खड़ी कर रहा है। साथ ही उन शहरों की पहचान के लिए हम व्यवस्थित जानकारी इकठ्ठा करना चाहते थे। इसके साथ ही हम उन शहरों की पहचान करना चाहते थे जो पिछले कई दशकों से व्यवस्थित, और बेहतर कनेक्टिविटी के साथ फल-फूल रहे हैं। जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।

यहां हो रहा बेतरतीब तरीके से विस्तार 

सात सालों तक चले इस अध्ययन के परिणाम दिखाते हैं कि दुनिया के कई हिस्सों में हो रहा अनियंत्रित शहरी विकास तेजी से विकसित हुए दृंढ और अलग-थलग पड़े सड़क नेटवर्क का परिणाम है। जिसके चलते दुनिया भर में एक दूसरे से अलग पड़े समुदाय सामने आये हैं। शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर गली-मोहल्लों के आपसी जुड़ाव का मानचित्रण करने के लिए एक स्ट्रीट-नेटवर्क डिस्कनेक्टेडनेस इंडेक्स भी बनाया है। जिससे प्राप्त आंकड़े दर्शाते हैं कि वैश्विक रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया में शहरी विस्तार सबसे ज्यादा बेतरतीब तरीके से हो रहा है।

जहां कई शहरों में स्थिति काफी बदतर हो चली है। वहीं दूसरी ओर ग्रिड के रूप में विकसित हुए सड़क नेटवर्क के चलते बोलिविया, अर्जेंटीना और पेरू में घनी आबादी के बावजूद शहर बेहतर ढंग से विकसित हुए हैं। जबकि जर्मनी, डेनमार्क और यूके में पैदल यात्रियों और साइकिल सवार के लिए बेहतर पथ बनाये गए हैं। यही वजह है कि सड़क संपर्क के दृष्टिकोण से यह शहर मध्यम स्तर को बनाए रखने में सक्षम रहे हैं। साथ ही यहां के मोटर रहित वाहनों वाले यात्रियों को भी अधिक कनेक्टिविटी की सुविधा मिल सकी है।

अध्ययन दिखाता है कि दुनिया के दो सबसे घनी आबादी वाले देशों भारत और चीन में भी शहरी विस्तार तेजी से हो रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में भारत में यह विस्तार कहीं अधिक तेज गति से हो रहा है। इंडेक्स दिखाता है कि चीन की तुलना में भारत के शहरों में कनेक्टिविटी कम है।

पिछले शोधों से पता चला है कि ग्रिडिड स्ट्रीट नेटवर्क के चलते पैदल यात्रियों, साइकिल सवारों और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग बहुत सरल हो जाता है। प्रोफेसर ले के अनुसार नई सड़कों के डिज़ाइन और योजना बनाते समय योजनाकारों को जितना ज्यादा हो सके स्थानीय स्तर पर कनेक्टिविटी का भी ध्यान रखना चाहिए। जिससे शहरों को अधिक बेहतर बनाया जा सके। यह हमारे आज के चुनाव पर निर्भर है।

जितना बेहतर तरीके से हम आज अपनी गली-मोहल्लों और सड़कों को बनाते हैं, उन पर आने वाले कई वर्षों तक हमारी जीवनशैली और अन्य पहलुओं का भविष्य निर्भर करेगा। सड़क नेटवर्क के बेहतर नियोजन से न केवल आवागमन बल्कि, कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन पर भी लगाम लगायी जा सकती है। इसके साथ ही यह स्वस्थ्य के दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है

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