नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 25 सितंबर 2023 को कहा है कि मध्य प्रदेश में होते खनन से पर्यावरण को नुकसान नहीं होना चाहिए। हालांकि साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य में अवैध और जरूरत से ज्यादा होते रेत खनन को रोकने के लिए कोई उचित तंत्र नहीं है और यह विदिशा पर भी लागू होता है। एनजीटी ने अपने आदेश में यह भी कहा कि, ''अधिकारी खनन माफिया के साथ मिलकर अवैध खनन गतिविधियां चला रहे हैं और प्राकृतिक संपदा को लूट रहे हैं।''
ऐसे में कोर्ट ने चार सदस्यीय समिति को इस क्षेत्र का दौरा करने और शिकायतों की जांच के बाद एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने समिति से रिपोर्ट में निम्नलिखित बातों की जानकारी देने को कहा है:
गौरतलब है कि ट्रिब्यूनल ने दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के आधार पर यह आदेश जारी किया है। एनजीटी का कहना है कि मीडिया रिपोर्ट में पर्यावरण से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया गया है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने अपने इस आदेश में मध्य प्रदेश सरकार के साथ-साथ मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मध्य प्रदेश में खनन निदेशक और विदिशा के कलेक्टर को भी नोटिस भेजने का निर्देश दिया है। अदालत ने दैनिक भास्कर के कानूनी विभाग को कार्यवाही के दौरान एकत्र किए गए सभी वीडियो फुटेज, सामग्री, बयान और अन्य साक्ष्य उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
बता दें कि समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय और एनजीटी द्वारा बार-बार जारी किए गए निर्देशों के बावजूद, विदिशा जिला प्रशासन भोपाल से 120 किमी दूर स्थित उदयपुर, पठारी, घटेरा, पठारी और नूरपुर गांवों में अवैध खनन पर अंकुश लगाने में असमर्थ रहा है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वन क्षेत्र में कई अवैध खनन गतिविधियां चल रही हैं, और पांच किलोमीटर के दायरे में रेत माफियाओं द्वारा भारी मशीनरी मदद से 500 से ज्यादा अवैध खनन किए जा रहे हैं।