देश में अभी तक देखा गया है कि प्रवासी श्रमिक दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कलकत्ता जैसे महानगरों से छोटे शहर, गांव और कस्बों को पैसे भेजते हैं लेकिन इस वर्ष लॉकडाउन के कारण अप्रैल से जून तक के महीने में जबरदस्त रिवर्स रेमिटेंस हुआ। खासतौर से यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश के गांव व कस्बों से महानगरों में प्रवासी श्रमिकों के खातों में पैसे भेजे गए। इसे रिवर्स रेमिटेंस कहा जाता है। पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इस वित्त वर्ष के छह महीनों में काउंटर ट्रांजेक्शन में करीब 49 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है औऱ ट्रांजेक्शन की वैल्यू भी 40 फीसदी कम रही है।
इंडियन पोस्ट पेयमेंट बैंक के प्रबंध निदेशक ईश्वरन वेंकटश्वरन ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मार्च से अप्रैल के बीच ट्राजेक्शन की वैल्यू और वॉल्यूम दोनों में कमी आई और रिवर्स रेमिटेंस का भी ग्राफी काफी बढ़ा लेकिन सितंबर तक स्थिति में सुधार आना शुरु हो गया। यह रुझान बेहद दिलचस्प है कि लॉकडाउन के दौरान रिसीवर यानी गांव-कस्बे ओर्जिनेटर बन गए।
रिवर्स रेमिटेंस का मतलब था कि शुरुआत में जो भी सब्सिडी के पैसे मिले उन्हें घर वालों ने प्रवासी श्रमिकों को भेज दिया। वहीं, बाद में घर पहुंचे प्रवासी श्रमिकों की आजीविका के साधन मिले और उसके बाद जो ट्रांजेक्शन हुए उससे पता चलता है कि उन्हें जो मजदूरी पहले मिलती थी उसके मुकाबले उन्हें काम के बदले कम पैसा दिया गया।
वेंकटश्वरन ने बताया कि बिहार में छपरा, दरभंगा, मोतिहारी और मध्य प्रदेश में सागर जैसी जगहों से लोगों ने महानगरों को इंडिया पेयमेंट बैंक के माध्यम से खातों में खूब पैसे भेजे। इन ट्रेंड्स की अभी पड़ताल की जा रही है अभी लगभगर फीसदी में ही इसे बाताया जा सकता है और बाद में इसे सही अंकों में बताया जाएगा। इंस्क्लूसिव फाइनेंस इंडिया और लीड केरा यूनिवर्सिटी की तरफ से एक वेबिनार में उन्होंने यह जानकारी दी।
लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 61.7 लाख, बिहार में 20 लाख और गुजरात में 16.9 लाख ट्रांजेक्शन आधार इनेबल्ड सर्विसेज से डिजिटल पेयमेंट भी की गई।
इंडिया पोस्ट पेयमेंट बैंक्स की शुरुआत 1 सितंबर, 2018 से की गई थी। 01 अक्तूबर तक 3.6 करोड़ उपभोक्ता इसके बन चुके हैं। वहीं 15 सितंबर, 2020 तक कुल 38500 करोड़ रुपये का लेन-देन इसके जरिए किया गया है। 99 फीसदी खाते आधार से जोड़े जा चुके हैं और ज्यादातर असंगठित क्षेत्रों के प्रवासी श्रमिकों को इससे जोड़ा गया है। लॉकडाउन अवधि में 1.22 करोड़ लोग इससे जुड़े हैं। कैश और आधार के जरिए पैसा लेन-देन में प्रवासी श्रमिकों के लिए इंडिया पोस्ट पेयमेंट बैंक की साझेदारी सबसे ज्यादा है।
वहीं, प्राइवेट पेयमेंट बैंकों का कहना है कि इस वक्त गांव और घर पैसा भेजने की स्थिति लॉकडाउन से पहले की स्थिति के 60 फीसदी करीब तक पहुंच गई है।