हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपनी रिपोर्ट में एनजीटी को सूचित किया है कि कुफरी में घोडा मालिक, घोड़ों की संख्या को तत्काल 1,029 से घटाकर 700 करने पर राजी हो गए हैं। यह रिपोर्ट हिमाचल प्रदेश की ओर से शिमला वन प्रभाग के उप वन संरक्षक द्वारा दायर की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक वन विभाग घोड़ों की संख्या को कुफरी-महासू इको डेवलपमेंट कमेटी की मदद से विनियमित करेगा।
रिपोर्ट में यह भी कहा है कि, कुफरी में इको डेवलपमेंट कमेटी (ईडीसी) को आधिकारिक तौर पर आठ फरवरी, 2024 को पंजीकृत किया गया था। इस समिति का लक्ष्य प्रवेश शुल्क की वसूली, स्वच्छता को बनाए रखना, कचरा का निपटान करना, मार्गों का निर्धारण और पर्यटकों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना जैसे मुद्दों को संबोधित करना है।
गौरतलब है कि दो फरवरी, 2024 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कुफरी-महासू क्षेत्र में घोड़ों के नियमन के संबंध में संबंधित विभागों के साथ एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में घोड़ों की संख्या तत्काल 1,029 से घटाकर 500 करने की बात कही गई थी। इसके बाद हर साल इनमें 10 फीसदी की कमी को लेकर स्वीकृति हुई थी।
हालांकि शुरूआत में घोड़ा मालिक इस सुझाव पर सहमत नहीं थे। इसकी वजह से तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई थी। वे न केवल अपनी आजीविका को लेकर चिंतित थे, साथ ही अतिरिक्त घोड़ों का निपटान कैसे करेंगें, इसका समाधान करने के लिए भी संघर्ष कर रहे थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि, "थोड़े समय में घोड़ों की संख्या घटाकर 500 करने से समस्या पैदा हो सकती है। वहीं यदि इन घोड़ों को जंगलों में छोड़ दिया जाए तो इससे आसपास के क्षेत्रों में वनों का क्षरण हो सकता है।"
ऐसे में रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि इनकी संख्या सीमित करने से जो घोड़ा मालिक अपना रोजगार खोते हैं, उन्हें इको-डेवलपमेंट कमेटी की मदद से रोजगार के लिए सहायता दी जा सकती है। इन पहलों का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों में परिवर्तन जैसी पर्यावरण-अनुकूल गतिविधियों को बढ़ावा देकर रोजगार को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही ईडीसी सदस्यों द्वारा ई-शौचालय जैसी सार्वजनिक सुविधाओं के साथ-साथ मनोरंजन पार्क, टेलीस्कोप-पॉइंट और फोटोग्राफी पॉइंट जैसी सुविधाएं भी शुरू की जा सकती हैं।
गौरतलब है कि इस बारे में आवेदक शैलेन्द्र कुमार यादव ने ट्रिब्यूनल में शिकायत की थी। उनकी शिकायत थी कि घोड़ों के लगातार आवागमन से कुफरी के वन क्षेत्र को नुकसान हो रहा है। वहीं जिला प्रशासन द्वारा इसमें सुधार के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।