मिजोरम के लुंगलेई जिले में अवैध पत्थर खनन की जांच करने के लिए एनजीटी ने गठित की समिति

ट्रिब्यूनल ने समिति को आवश्यक पर्यावरणीय मुआवजे का निर्धारण करने के लिए भी कहा है
मिजोरम के लुंगलेई जिले में अवैध पत्थर खनन की जांच करने के लिए एनजीटी ने गठित की समिति
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यह पता लगाने के लिए कि मिजोरम के लुंगलेई जिले में कितना अवैध पत्थर खनन किया गया है, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने एक संयुक्त समिति को जांच करने का निर्देश दिया है। यह समिति साइट का दौरा कर एक माह के अंदर अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी। ट्रिब्यूनल ने समिति को आवश्यक पर्यावरणीय मुआवजे का निर्धारण करने के लिए भी कहा है।

अदालत को जानकारी मिली है कि अधिकारियों ने लुंगलेई जिले में अवैध पत्थर खनन कर रहे छह खदान मालिकों की पहचान की है। उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई हैं और आपराधिक कार्यवाही शुरू हो गई है। हालांकि यह मामला अभी भी लंबित है।

बागजोला नहर की सफाई के लिए अधिकारियों का मिलकर काम करना जरूरी: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आठ अप्रैल, 2024 को पश्चिम बंगाल पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव को लोअर बागजोला नहर की सफाई की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने को कहा है। इस मामले में विभागों के बीच समन्वित प्रयासों के लिए क्या कार्रवाइयों की गई है इसका विवरण देते हुए उन्हें एक हलफनामा भी दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

प्रधान सचिव पहले से ही लागू या सुधार के लिए योजनाबद्ध उपायों की रूपरेखा तैयार करेंगें, साथ ही वो इन्हें कितनी समयसीमा के भीतर पूरा कर सकते हैं इसकी भी जानकारी देनी होगी।

गौरतलब है कि 13 फरवरी, 2024 को पश्चिम बंगाल के सिंचाई और जलमार्ग विभाग द्वारा एक हलफनामा प्रस्तुत किया गया था। इस हलफनामे में कहा गया था कि निचली बागजोला नहर में तैरते मलबे को साफ करने से समस्या का समाधान नहीं होगा क्योंकि इसके दोनों तरफ अतिक्रमण है।

ऐसे में इसके स्थाई समाधान के रूप में ठोस और तरल कचरे को उसके स्रोत पर ही प्रबंधित करना और नहर में की जा रही डंपिंग को रोकने जैसे उपाय किए जा सकते हैं।

अदालत को यह भी सूचित किया गया है कि ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन विभाग में कार्यात्मक रूप से कचरा को एकत्र करने और तरल कचरे के निपटान के लिए प्रणालियों का अभाव है, जिसकी वजह से कचरे को नहर में फेंक दिया जाता है।

हलफनामे में विभिन्न एजेंसियों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इसमें उचित जल निकासी सुनिश्चित करने के लिए खुदाई, नहर की सफाई और जहां संभव हो वहां फ्लशिंग के लिए सिंचाई और जलमार्ग विभाग जिम्मेवार है।

अदालत का कहना है कि राज्य सरकार के विभिन्न विभाग आपस में मिलकर काम नहीं कर रहे हैं, जिससे जिम्मेदारियों को लेकर एक दूसरे पर उंगली उठाई जा रही है।

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