पर्यावरण पर पर्यटन गतिविधियों के प्रतिकूल प्रभावों को दूर करने के लिए किए जा रहे हैं उपाय: एनजीटी में असम सरकार

यह मामला द हिन्दू में प्रकाशित एक खबर में सामने आया था। इस खबर के मुताबिक पर्यटन से हिमालयी क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि तो आई है, लेकिन इसका खामियाजा पर्यावरण को भोगना पड़ रहा है
असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गैंडों को निहारते पर्यटक; फोटो: आईस्टॉक
असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गैंडों को निहारते पर्यटक; फोटो: आईस्टॉक
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असम के शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में पर्यटन स्थलों में स्वच्छता बनाए रखने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं। हर साल 27 सितंबर को शहरी स्थानीय निकायों में विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है, जिसमें विभिन्न स्वच्छता गतिविधियां की जाती हैं। हालांकि अधिकांश पर्यटक स्थल या तो वन क्षेत्र में या प्रतिबंधित क्षेत्रों में स्थित हैं। ऐसे में उनका प्रबंधन और देखरेख संबंधित विभाग करते हैं।

इसके अतिरिक्त, असम में महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल जैसे काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, मानस राष्ट्रीय उद्यान और पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य शहरी क्षेत्रों में स्थित नहीं हैं। इसलिए, स्वच्छ भारत मिशन - शहरी की असम के इन महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में कोई भागीदारी नहीं है।

रिपोर्ट में पर्यावरण पर पर्यटन गतिविधियों के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में उठाए जा रहे कदमों पर भी चर्चा की गई है। साथ ही इसमें पर्यटन के कारण मानस टाइगर रिजर्व में पारिस्थितिक गिरावट को संबोधित करने वाली एक कार्य योजना भी शामिल है।

गौरतलब है कि मानस राष्ट्रीय उद्यान में, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित बाघ संरक्षण योजना के अनुसार पर्यटन को सख्ती से विनियमित किया जाता है। पार्क का केवल एक छोटा सा हिस्सा, जो मुख्य क्षेत्र का करीब 20 फीसदी है, वो सीमित मार्गों के माध्यम से पर्यटकों की आवाजाही के लिए सुलभ है। इसके वजह से पर्यटन के कारण महत्वपूर्ण पर्यावरणीय क्षति का जोखिम कम हो जाता है।

कुल मिलकर सतत पर्यटन के लिए विशेष रूप से मानस राष्ट्रीय उद्यान के भीतर अनुमति दी गई है। इसके साथ ही पर्यावरण को नुकसान न हो इसके लिए मानस राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटन का सावधानीपूर्वक प्रबंधन किया जाता है।

इस क्षेत्र में पार्क अधिकारियों द्वारा नियमित निगरानी की जाती है। साथ ही वन्यजीव के लिए उचित आवास का प्रबंधन करने के अधिकतम प्रयास सुनिश्चित किए जाते हैं। इसके लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों को भी ध्यान में रखा जाता है।

ये कुछ तथ्य हैं जिनका जिक्र असम सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सौंपी अपनी रिपोर्ट में किया है। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट नौ मार्च, 2022 को एनजीटी द्वारा दिए आदेश पर कोर्ट में सौंपी गई है।

यह मामला अंग्रेजी अखबार द हिन्दू में  27 फरवरी, 2022 को प्रकाशित एक खबर में प्रकाश में आया था। इस खबर के मुताबिक पर्यटन से हिमालयी क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि तो आई है, लेकिन इसका खामियाजा पर्यावरण को भोगना पड़ रहा है।

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