क्या आप जानते हैं कि भारत के शहर कितने प्रदूषित हैं? देश के कितने भाग बाढ़ या सूखे से प्रभावित हुए हैं? या जलवायु संकट के चलते कितने लोग विस्थापित हुए हैं? नहीं न तो इन सारे सवालों के जवाब आपको सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) और डाउन टू अर्थ की वार्षिक रिपोर्ट स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरनमेंट 2023: इन फिगर्स में मिल जाएंगें। यह रिपोर्ट जारी कर दी गई है।
भारत में आंकड़ों के जरिए पर्यावरण की दशा-दिशा की तस्वीर को प्रस्तुत करने वाली इस रिपोर्ट के आठवें संस्करण का विमोचन चार जून 2023 को एक ऑनलाइन कार्यक्रम में किया गया। यह रिपोर्ट केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों पर आधारित है।
इस ई-बुक में पर्यावरण और विकास के अलग-अलग क्षेत्रों में देश में हुई प्रगति का जायजा लिया गया है। रिपोर्ट में इन क्षेत्रों के बीच आपसी सम्बन्ध भी उभर कर सामने आया है। उदाहरण के लिए, भले ही भारत में खाद्य पदार्थों की कीमतें दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में उतनी तेजी से नहीं बढ़ रहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद 70 फीसदी भारतीय पोषक आहार लेने में असमर्थ हैं। इस आहार में सब्जियां, फल, डेयरी उत्पाद, दालें और निश्चित तौर पर अनाज शामिल हैं। वहीं वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 42 फीसदी ही है।
इस रिपोर्ट में विभिन्न सामाजिक आर्थिक संकेतकों की जांच की है। हालांकि भले ही इन संकेतकों के बीच एक दूसरे के साथ सीधा संबंध न हो, लेकिन जब इनका एक साथ विश्लेषण किया गया तो हमें देश की मौजूदा स्थिति की बेहतर तस्वीर देखने को मिली है।
यह रिपोर्ट चरम मौसमी घटनाओं के साथ-साथ जलवायु और आर्थिक प्रवासन के मामलों का भी विश्लेषण करती है ताकि जलवायु परिवर्तन और मंदी जैसे वैश्विक खतरों ने देश को कैसे प्रभावित किया है, इसका व्यापक परिप्रेक्ष्य प्राप्त किया जा सके।
देखा जाए तो यह एक ही स्थान पर सभी पर्यावरणीय आंकड़ों और मापदंडों की वार्षिक रिपोर्ट है। इन आंकड़ों का व्यापक विश्लेषण हमें बताता है कि देश कहां खड़ा है और अपने इसे अपने अस्तित्व और सतत भविष्य को बनाए रखने के लिए क्या करने की जरूरत है।
रिपोर्ट में पहली बार प्रमुख संकेतकों के आधार पर सभी राज्यों के पर्यावरण प्रदर्शन की रैंकिंग और तुलना की गई है। यह रैंकिंग राज्यों के लिए जारी नवीनतम सरकारी रिपोर्टों पर आधारित है। हालांकि इसकी कुछ सीमाएं हैं, लेकिन यह विश्लेषण कई कमियों को उजागर करता है और नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
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साल-दर-साल इस विश्लेषण से एक परेशान कर देने वाली प्रवृत्ति सामने आई है और वो यह है कि आंकड़े किसी भी पैरामीटर के लिए पूरे नहीं है। कुछ मामलों में, यह अंतराल काफी बड़े हैं ऐसे में स्थिति की सटीक समझ प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है, जिससे वास्तविक तस्वीर धुंधली हो जाती है। यह कहीं न कहीं व्यापक और विश्वसनीय आंकड़ों को सुनिश्चित करने के लिए हमारे निगरानी तंत्र को मजबूत करने के महत्व की याद दिलाती है।
इस रिपोर्ट में कुल 12 अध्याय हैं, जो भारत के जल स्रोतों, कृषि, अपशिष्ट प्रबंधन, आहार, रोजगार, जलवायु परिवर्तन, अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, वायु, प्रवासन आदि मुद्दों की स्थिति का विवरण देते हैं।
यह रिपोर्ट चार जून, 2023 को दोपहर 12 बजे से सीएसई के ऑनलाइन स्टोर पर उपलब्ध होगी।