संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा इस वर्ष जारी मानव विकास सूचकांक (ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स) 2019 में भारत एक पायदान और नीचे पहुंच गया है। 189 देशों की लिस्ट में भारत को 131 वां स्थान दिया गया है, जबकि पिछले वर्ष भारत इस लिस्ट में 130 वें स्थान पर था। इस इंडेक्स में भारत को मानव विकास की मध्यम श्रेणी में रखा गया है। 1990 से लेकर 2019 तक भारत की स्थिति में लगातार सुधार आया है। जहां 1990 में भारत को 0.429 अंक दिए गए थे वो 2019 में बढ़कर 0.645 हो गए हैं। इस अवधि में इस इंडेक्स के मूल्य में 1.42 की वार्षिक औसत से वृद्धि हुई है।
इस श्रेणी में भारत के साथ 36 और देश भी हैं, जिसमें भूटान (129), बांग्लादेश (133), नेपाल (142) और पाकिस्तान (154) जैसे देश शामिल हैं। इंडेक्स के अनुसार दक्षिण एशिया में सबसे बेहतर स्थिति श्रीलंका की है जिसे 0.782 अंकों के साथ 72 वें स्थान पर रखा गया है। वहीं मालदीव्स को 95 वें पायदान पर जगह मिली है।
यदि विकास की बात करें तो दुनिया में नार्वें की स्थिति सबसे बेहतर है। यही वजह है कि उसे 0.957 अंकों के साथ इस सूचकांक में पहले स्थान पर रखा गया है, जबकि उसके बाद आयरलैंड (2) और स्विटज़रलैंड (2) का नंबर आता है। इसके विपरीत पूर्वी अफ्रीकी देश बुरुंडी को इस इंडेक्स में अंतिम स्थान दिया गया है, वो 0.433 अंकों के साथ 185 वें स्थान पर है। इसके साथ ही अन्य अफ्रीकी देश बुर्किना फासो और सियरा लिओन 182 वें और माली 184 वें स्थान पर है।
यदि चार प्रमुख एचडीआई संकेतकों की बात करें तो 2018 की तुलना में 2019 में भारत के प्रदर्शन में सुधार आया है। जहां 2018 में जीवन प्रत्याशा 69.4 वर्ष थी वो 2019 में बढ़कर 69.7 वर्ष हो गई है। इसी तरह प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) में भी वृद्धि हुई है। जहां 2018 में प्रति व्यक्ति जीएनआई 6,427 डॉलर थी वो 2019 में बढ़कर 6,681 डॉलर हो गई है। जबकि यदि बच्चों को मिलने वाली शिक्षा के प्रत्याशित वर्षों की बात करें तो वो 2018 और 2019 में 12.2 पर स्थिर है। यह आंकड़ा 1990 में 7.6 वर्षों का था। इसका मतलब है कि पिछले वर्षों में इसमें काफी सुधार आया है।
हालांकि यदि भारत में पुरुषों और महिलाओं के विकास को देखें तो उसमें काफी असमानता है। इस इंडेक्स के अनुसार जहां पुरुषों को 0.699 अंक दिए गए हैं वहीं महिलाओं के विकास को 0.573 आंका गया है। इसी तरह जहां 2019 में पुरुषों प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 10,702 डॉलर आंकी गई हैं, वहीं महिलाओं की प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 2,331 डॉलर थी।
इसी तरह यदि नए जुड़े दो संकेतकों की बात करें तो उस मामले में भारत की स्थिति शेष विश्व से काफी बेहतर है। यदि भारत के प्रति व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को देखें तो वो 2 टन है जोकि वैश्विक औसत 4.6 टन से काफी कम है। इसी तरह प्रति व्यक्ति घरेलू सामग्री की खपत की बात करें तो वो प्रति व्यक्ति 5.5 टन है, जोकि वैश्विक औसत 12.3 टन से काफी कम है।
क्या है मानव विकास सूचकांक (ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स)
मानव विकास सूचकांक, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी किया जाने वाला वार्षिक इंडेक्स है, जो जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और आय सम्बन्धी मानकों के आधार पर प्रकाशित किया जाता है। इस वर्ष इसमें दो नए घटकों कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन और मैटीरियल फुटप्रिंट को भी जोड़ा गया है। जिससे धरती पर बढ़ते मानवीय दबाव को भी आंका जा सके। इस सूचकांक को सबसे पहले 1990 में जारी किया गया था। तब से हर साल इस सूचकांक और इससे जुड़ी रिपोर्ट को प्रकाशित किया जा रहा है। ताजा रिपोर्ट 15 दिसंबर 2020 को जारी की गई थी।