पर्यावरण मंजूरी लिए बिना ही हो गया अंधेरी ईस्ट में सागबाग स्नेहसागर हाउसिंग सोसाइटी का निर्माण

समिति की रिपोर्ट के अनुसार न्यू मोनार्क बिल्डर्स ने परियोजना के लिए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से स्थापना और संचालन के लिए सहमति हासिल नहीं की है
पर्यावरण मंजूरी लिए बिना ही हो गया अंधेरी ईस्ट में सागबाग स्नेहसागर हाउसिंग सोसाइटी का निर्माण
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14 जून, 2022 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सबमिट की गई संयुक्त समिति रिपोर्ट के अनुसार अंधेरी ईस्ट में स्थित सागबाग स्नेहसागर हाउसिंग सोसाइटी का निर्माण अपेक्षित पर्यावरण मंजूरी (ईसी) प्राप्त किए बिना ही किया गया था। यह हाउसिंग सोसाइटी मुंबई के अंधेरी ईस्ट इलाके के मरोल गांव में स्थित है। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट 15 नवंबर, 2021 को एनजीटी द्वारा दिए आदेश पर तैयार की गई है।

इससे पहले इस मामले में अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया गया था कि न्यू मोनार्क बिल्डर्स ने बिना पर्यावरण मंजूरी लिए ही इस परियोजना का निर्माण किया था। इस बारे में एनजीटी ने एक संयुक्त समिति का गठन किया था और उसे परियोजना स्थल का निरीक्षण, तथ्यात्मक पहलुओं का सत्यापन और उसपर अपनी रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था।

एनजीटी के इस आदेश पर राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए), महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्लम पुनर्वास प्राधिकरण, मुंबई के सदस्यों की एक संयुक्त समिति ने परियोजना स्थल का संयुक्त निरीक्षण किया था।

इस बाबत समिति ने कोर्ट को जानकारी दी है कि इस परियोजना के लिए परियोजना प्रस्तावक ने पर्यावरण मंजूरी प्राप्त नहीं की है। वहीं अब तक परियोजना का विस्तार 20,000 वर्ग मीटर की सीमा से अधिक होने के बावजूद प्रस्तावक ने पर्यावरण मंजूरी के लिए आवेदन नहीं किया है।

इसके अलावा न ही न्यू मोनार्क बिल्डर्स ने परियोजना के लिए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से स्थापना और संचालन के लिए सहमति हासिल की है। इतना है नहीं परियोजना से पैदा होने वाले सीवेज के उपचार के लिए वहां कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी नहीं है और उत्पन्न सीवेज को बीएमसी सीवर लाइन में डाला जा रहा है।

इसके साथ ही परियोजना प्रस्तावक ने इस प्रोजेक्ट से उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे के उपचार के लिए आर्गेनिक वेस्ट कन्वर्टर भी उपलब्ध नहीं कराया है। इस परियोजना से पैदा होने वाला ठोस कचरा बृहन्मुंबई नगर निगम संग्रह प्रणाली को दिया जा रहा है। इसके साथ ही परियोजना में फोटोवोल्टिक सिस्टम भी नहीं लगाए हैं।

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