आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में मार्बल वेस्ट की डंपिंग को लेकर समिति ने अपनी रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में 04 जून 2022 को सौंप दी है। गौरतलब है कि इस समिति का गठन आंध्र प्रदेश में हरिश्चंद्रपुरम रेलवे स्टेशन, कोटाबोम्मली मंडल के पास कृषि भूमि पर अवैज्ञानिक तरीके डंप किए जा रहे मार्बल कचरे की जांच के लिए किया गया था।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ग्रेनाइट और मार्बल वेस्ट को डंप करने के लिए उचित स्थान न होने के कारण उसे उद्योग सड़क किनारे निचले इलाकों में अनधिकृत तरीके से डंप कर रही हैं, जोकि भूमि, वायु और पर्यावरण प्रदूषण का कारण बन रही हैं।
रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि जिला प्रशासन और आंध्र प्रदेश सरकार को मौजूदा ग्रेनाइट प्रोसेसिंग यूनिट्स के लिए इंसानी बस्ती से करीब एक किलोमीटर दूर अलग स्थानों पर जमीन आबंटित करनी चाहिए। साथ ही कमिटी ने सुझाव दिया है कि मार्बल और ग्रेनाइट के इस कचरे के निपटान के लिए निर्धारित स्थल की पहचान के बाद मार्बल एसोसिएशन को पांच साल की जरूरतों को ध्यान में रखकर डंपिंग यार्ड का निर्माण करना चाहिए।
आंध्र प्रदेश में अवैध रेत खनन को रोकने के लिए राजस्व विभाग ने क्या की कार्रवाई
आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में रामपुरम मंडल के बंदापल्ली और हसनपुरम गांवों की पहाड़ियों से बजरी के अवैध खनन और परिवहन को रोकने के लिए राजस्व विभाग ने चेतावनी सम्बन्धी बोर्ड लगाए हैं, जिसमें अवैध खनन और परिवहन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि पहाड़ियों की जमीन सरकारी है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष संयुक्त समिति ने जो रिपोर्ट पेश की है उसमें कहा है कि खनन और भूविज्ञान विभाग को राजस्व विभाग के साथ मिलकर खनन और परिवहन की गई बजरी की मात्रा का आकलन किया जाना जरुरी है।
गौरतलब है कि यह रिपोर्ट एनजीटी द्वारा 1 अप्रैल, 2022 को दिए आदेश पर दायर की गई है। अपने इस आदेश में कोर्ट ने समिति को प्रकाशम और कडप्पा जिले में होते रेत के अवैध खनन की जांच के आदेश दिए थे।
सीपीसीबी ने पोल्ट्री फार्मों के लिए तैयार किए हैं पर्यावरण मानदंड
पोल्ट्री फार्मों के लिए अगस्त 2021 और जनवरी 2022 के पर्यावरण दिशानिर्देश तैयार करने में क्या तंत्र अपनाया गया था उस पर एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के चेन्नई क्षेत्रीय निदेशालय ने एनजीटी में दाखिल की है।
अपनी इस रिपोर्ट में सीपीसीबी ने उल्लेख किया है कि एनजीटी के आदेश पर 10 दिसंबर, 2021 को 5,000 से अधिक पक्षी रखने वाले फार्मों पर संशोधित पर्यावरण दिशानिर्देश लागु कर दिए गए थे। इस सम्बन्ध में जनवरी 2022 को सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों / प्रदूषण नियंत्रण समितियों को दिशानिर्देश भेज दिए गए थे।
सड़क निर्माण से अल्मोड़ा में जल स्रोत को हो सकता है नुकसान: जॉइंट कमिटी रिपोर्ट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की जॉइंट कमिटी रिपोर्ट का कहना है कि सड़क निर्माण से अल्मोड़ा के मल्ला ढढरिया गांव में जल स्रोत और नौला को नुकसान हो सकता है। यह गांव अल्मोड़ा के साल्ट खुमाड़ तहसील में स्थित है।
गौरतलब है कि अदालत के 11 मई, 2022 को दिए आदेश पर उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यह रिपोर्ट एनजीटी में दायर की है। इस रिपोर्ट में समिति ने सिफारिश की है कि यदि प्रस्तावित सड़क का मार्ग थोड़ा बदल दिया जाए तो इन जल स्रोतों को बचाया जा सकता है।