सुप्रीम कोर्ट ने आगरा विकास प्राधिकरण को ताजमहल की चारदीवारी से 500 मीटर के दायरे में सभी व्यावसायिक गतिविधियों को हटाने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश, 26 सितंबर, 2022 को जस्टिस संजय किशन कौल और अभय एस ओका की बेंच ने पारित किया है।
गौरतलब है कि यह आदेश दुकान मालिकों के एक समूह द्वारा दायर आवेदन के जवाब में पारित किया गया हैं, जिन्हें अपना व्यवसाय चलाने के लिए ताजमहल के 500 मीटर के दायरे से बाहर क्षेत्र आबंटित किया गया था। उन्होंने अदालत को सूचित किया था कि ताजमहल के आसपास अवैध व्यापारिक गतिविधियां चलाई जा रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने संरक्षित क्षेत्र इको सेंसिटिव जोन पर दिए अपने आदेश को किया स्पष्ट
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 3 जून, 2022 को दिए आदेश में संरक्षित क्षेत्रों के आसपास के एक किलोमीटर क्षेत्र को 'नो डेवलपमेंट जोन' घोषित किया गया था, लेकिन साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि सभी मामलों में ऐसा संभव नहीं हो सकता है। इसके संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान और गिंडी नेशनल पार्क जैसे कुछ विशिष्ट उदाहरण भी हैं।
गौरतलब है कि 3 जून, 2022 को आए फैसले पर स्पष्टीकरण की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 3 जून, 2022 को दिए आदेश में संरक्षित क्षेत्रों के आसपास के एक किलोमीटर क्षेत्र को 'नो डेवलपमेंट जोन' घोषित किया गया था, लेकिन साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि सभी मामलों में ऐसा संभव नहीं हो सकता है। इसके संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान और गिंडी नेशनल पार्क जैसे कुछ विशिष्ट उदाहरण भी हैं।
गौरतलब है कि 3 जून, 2022 को आए फैसले पर स्पष्टीकरण की मांग करते हुए एनएआरईडीसीओ वेस्ट फाउंडेशन (महाराष्ट्र) ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 3 जून, 2022 को दिए फैसले में निर्देश दिया था कि प्रत्येक संरक्षित वन, जो कि एक राष्ट्रीय उद्यान या वन्यजीव अभयारण्य है, में न्यूनतम एक किलोमीटर चौड़ा पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र होना चाहिए।
वहीं आवेदक ने कहा है कि यह आदेश संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के साथ-साथ ठाणे फ्लेमिंगो क्रीक अभयारण्य पर भी लागू नहीं हो सकता है।
इसका कारण यह है कि संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) को पहले ही 5 दिसंबर, 2016 को अधिसूचित किया जा चुका है और साथ ही ठाणे फ्लेमिंगो क्रीक अभयारण्य के आसपास के पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र, 14 अक्टूबर, 2021 को भी अधिसूचित किया जा चुका है।
राज्य की है जल निकायों को संरक्षित करने की जिम्मेवारी: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 23 सितंबर 2022 को दिए आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि एक बार जब यह पाया जाता है कि विचाराधीन भूमि एक जल निकाय है, तो किसी को भी इस जल निकाय में खनन गतिविधि चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। ऐसे में इन जल निकायों को सुरक्षित और संरक्षित करना की जिम्मेवारी राज्य सरकार की है।
इस मामले में न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट का कहना है कि उसे उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता। पूरा मामला तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले में एक जलाशय के पास खनन से जुड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी बांध जलविद्युत परियोजना के लिए वन भूमि के डायवर्जन को शर्तों के साथ दी अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में सुन्नी बांध जलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिए 397.8863 हेक्टेयर वन क्षेत्र के डायवर्जन की अनुमति दे दी है। कोर्ट के अनुसार वन भूमि का यह डायवर्जन पर्यावरण और वन मंजूरी में निर्धारित शर्तों के आधीन किया जाएगा।
गौरतलब है कि 382 मेगावाट की यह जलविद्युत परियोजना हिमाचल प्रदेश के शिमला और मंडी जिलों में सतलुज नदी पर स्थित है।