सर्वोच्च न्यायालय ने माथेरान इको-सेंसिटिव जोन में कंक्रीट के पेवर ब्लॉक लगाने पर लगाई रोक

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
माथेरान, जो अपने पर्यावरण और प्रदूषण मुक्त हवा के लिए जाना जाता है। फोटो: गजानन खेरगामकर
माथेरान, जो अपने पर्यावरण और प्रदूषण मुक्त हवा के लिए जाना जाता है। फोटो: गजानन खेरगामकर
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सर्वोच्च न्यायालय ने अगले आदेश तक माथेरान इको-सेंसिटिव जोन में सड़कों पर कंक्रीट के पेवर ब्लॉक लगाने पर रोक लगा दी है। साथ ही माथेरान शहर के पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र में ई-रिक्शा और कंक्रीट के पेवर ब्लॉक लगाने की अनुमति दी जाए या नहीं इसका फैसला लेने की जिम्मेवारी निगरानी समिति पर छोड़ी है। मामला महाराष्ट्र के पर्यावरण रूप से संवेदनशील माथेरान शहर का है।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पेवर ब्लॉक लगाने से शहर की प्राकृतिक सुंदरता नष्ट हो जाएगी। वहीं ई-रिक्शा के संबंध में, शीर्ष अदालत की राय है कि पेवर ब्लॉक लगाने से पहले भी हाथ द्वारा खींचे जाने वाले रिक्शा माथेरान में चल रहे थे। ऐसे में उन्हीं सड़कों पर ई-रिक्शा चलने से दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

कोर्ट के अनुसार निगरानी समिति को दोनों मुद्दों पर अलगे आठ सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। साथ ही अगले आदेश तक, माथेरान शहर में सड़कों पर कोई पेवर ब्लॉक नहीं लगाए जाने चाहिए ऐसा निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।

गौरतलब है कि पर्यावरण और वन मंत्रालय ने 4 फरवरी, 2023 को एक अधिसूचना के जरिए महाराष्ट्र में माथेरान और आसपास के क्षेत्र को 'माथेरान इको-सेंसिटिव जोन' के रूप में अधिसूचित कर दिया था। साथ ही इस अधिसूचना के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी समिति का भी गठन किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने खरवादेश्वरी में जेटी के निर्माण को दी हरी झंडी

सुप्रीम कोर्ट ने खरवादेश्वरी में जेटी के निर्माण को हरी झंडी दे दी है। इस मामले में महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड को सर्वोच्च न्यायालय ने छह सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

इस हलफनामे में निर्माणाधीन जेटी की संख्या या परियोजना के तहत निर्मित होने वाली जेटी की संख्या के साथ प्रत्येक मामले में मैंग्रोव पर पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी दी जानी है। साथ ही इस रिपोर्ट में मैंग्रोव के आकार के साथ-साथ घाट से मैंग्रोव के बीच की दूरी की जानकारी साझा करने के लिए कहा गया है।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस क्षेत्र के आसपास जेट्टी और मैंग्रोव की स्थिति को दर्शाने वाला साइट प्लान भी संलग्न किया जाना चाहिए। साथ ही प्रत्येक जेटी और आसपास के क्षेत्र के लिए उपग्रह चित्र भी गुण-दोषों की विवेचना के साथ शीघ्र निपटान के लिए दाखिल किए जाएंगे।

जानकारी दी गई है कि नारंगी में जेटी का निर्माण किया गया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित स्टे ऑर्डर के मद्देनजर खरवादेश्वरी में जेटी का निर्माण रुका हुआ था। नतीजतन, नारंगी में भी जेटी का उपयोग नहीं किया जा सकता है।

इस तरह सर्वोच्च न्यायालय ने “अतिआवश्यकता, आवश्यकता और लाभों की व्याख्या करते हुए, कानून के प्रश्न को फिलहाल खुला छोड़ते हुए” खरवादेश्वरी में जेटी के निर्माण को अनुमति दे दी है।

राजाजी टाइगर रिजर्व में अवैध प्रतिष्ठानों के संचालन की जांच के लिए एनजीटी ने उच्च स्तरीय समिति को दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 24 फरवरी, 2023 को राजाजी टाइगर रिजर्व में अवैध प्रतिष्ठानों के मामले की जांच करने के लिए उच्च स्तरीय अधिकारियों की एक समिति का गठन करने का निर्देश दिया है। साथ ही यदि आवश्यक हो तो सीमांकन को अपडेट करने की बात भी कोर्ट ने कही है।

गौरतलब है कि ट्रिब्यूनल को राजाजी नेशनल पार्क की चिल्ला रेंज में होटल, रिसॉर्ट, पब, क्लब और आश्रम के अवैध संचालन और अन्य अवैध व्यावसायिक गतिविधियों के खिलाफ एक आवेदन मिला था। एनजीटी के आदेश पर गठित एक संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में 19 रिसॉर्ट्स के अवैध संचालन को स्वीकार किया था।

वहीं एनजीटी ने 10 अक्टूबर, 2022 को निर्देश दिया था कि तीन महीने के भीतर उल्लंघन के खिलाफ जरूरी कार्रवाई की जाए, जिसमें 'प्रदूषक भुगतान' सिद्धांत के आधार पर मुआवजे की वसूली और पर्यावरण की बहाली शामिल है। राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 14 फरवरी 2023 को अवैध रूप से संचालित रिसॉर्ट के खिलाफ कार्रवाई की गई है। वहीं छह रिसोर्ट टाइगर रिजर्व की सीमा के बाहर थे।

24 फरवरी को एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि रिपोर्ट में इस मुद्दे को पूरी तरह से शामिल नहीं किया गया है। अदालत का कहना है कि न केवल जंगल के भीतर बल्कि टाइगर रिजर्व की सीमा के एक किमी के दायरे में भी निर्माण कार्य प्रतिबंधित और विनियमित है, जो कि इको-सेंसिटिव जोन द्वारा भी कवर किया गया है।

इस मामले में एनजीटी के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और अरुण कुमार त्यागी की बेंच ने कहा है कि, "इस तरह यह मानना गलत है कि टाइगर रिजर्व की सीमा के बाहर के रिसॉर्ट कानूनी हैं, भले ही वे टाइगर रिजर्व की सीमा के एक किमी के भीतर हों।"

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