2030 तक बेंगलुरु में 30 गुणा बढ़ जाएंगे इलेक्ट्रिक वाहन, सीओ2 उत्सर्जन में आएगी 33 लाख टन की गिरावट

इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से बेंगलुरु में हर साल वाहनों से होने वाले ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 33 लाख टन की गिरावट आएगी
2030 तक बेंगलुरु में 30 गुणा बढ़ जाएंगे इलेक्ट्रिक वाहन, सीओ2 उत्सर्जन में आएगी 33 लाख टन की गिरावट
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बेंगलुरु स्थित सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (सीएसटीईपी) द्वारा किए नए अध्ययन से पता चला है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की मदद से शहरों में बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सकती है। इस बारे में जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में बेंगलुरु में करीब 75,000 इलेक्ट्रिक वाहन थे, जिनकी संख्या 2030 तक 30 गुणा बढ़कर 23.4 लाख पर पहुंच जाएगी।

रिपोर्ट के अनुसार इलेक्ट्रिक वाहनों में सबसे ज्यादा वृद्धि दोपहिया वाहनों में देखने को मिलेगी। अनुमान है कि 2030 तक उनकी संख्या बढ़कर 22 लाख पर पहुंच जाएगी। इसके बाद 1.4 लाख चार-पहिया और 1.3 लाख थ्री व्हीलर वाहन होंगे। सीएसटीईपी ने इस अध्ययन के नतीजे "बेंगलुरु 2030: इम्पैक्ट ऑफ ईवी ऑन वहिकुलर एमिशन" नामक रिपोर्ट के रूप में जारी किए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक 2021 से 2030 के बीच भले ही बेंगलुरु में वाहनों की संख्या में भारी इजाफा होगा और इनका आंकड़ा डेढ़ गुणा बढ़कर 57 लाख से 89 लाख पर पहुंच जाएगा। लेकिन इसके बावजूद इनसे होने वाले उत्सर्जन में मामूली वृद्धि का अनुमान है, जिसके लिए सीधे तौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या वजह होगी।

अनुमान है कि इन वाहनों से होने वाला जो उत्सर्जन 2021 में 1.11 करोड़ टन है वो 2030 में 1.25 गुणा बढ़कर 1.38 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से बेंगलुरु में हर साल वाहनों से होने वाले उत्सर्जन में 33 लाख टन की गिरावट आएगी। यह 2030 तक बेंगलुरु की सड़कों से 48.5 लाख दोपहिया वाहनों को हटाने जैसा है।

भारत में हर साल 29 करोड़ टन उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार है ट्रांसपोर्ट

ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ता उत्सर्जन सीधे तौर पर जलवायु में आते बदलावों के लिए जिम्मेवार है। यदि भारत द्वारा किए जा रहे ग्रीनहाउस गैसों के कुल उत्सर्जन को देखें तो वो 2019 में 290 करोड़ टन दर्ज किया गया था, जिसके करीब दसवें हिस्से के लिए ट्रांसपोर्ट जिम्मेवार है।

अनुमान है कि भारत में ट्रांसपोर्ट हर साल 29 करोड़ टन उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार है। इस उत्सर्जन में भारी वाहनों की काफी बड़ी भूमिका है।

सीएसटीईपी के मुताबिक विद्युतीकरण, वाहनों से होने वाले ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को रोकने का सबसे व्यावहारिक तरीका है। साथ ही यह पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स) और ब्लैक कार्बन जैसे प्रदूषकों के स्तर को कम करने में भी मददगार होगा।

2021 के दौरान वाहनों की कुल संख्या कितनी थी इसका अनुमान पिछले 20 वर्षों (2001-2021) के दौरान पंजीकृत सभी वाहनों और इस दौरान सेवानिवृत्त हुए वाहनों के आंकड़ों पर आधारित हैं। इतना ही नहीं इन वाहनों में होने वाली वृद्धि के आधार पर 2030 में वाहनों की कुल संख्या क्या होगी सीएसटीईपी ने इसका अनुमान लगाया है।

रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहनों के इस विशाल बेड़े को रोजाना  रिचार्ज करने के लिए भारी मात्रा में बिजली की जरूरत होगी। अनुमान है कि इसके लिए रोजाना करीब 60 लाख यूनिट से ज्यादा बिजली की जरूरत पड़ेगी।

चूंकि बेंगलुरु में अधिकांश बिजली गैर-नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त की जाती है। ऐसे में यदि हमें पूरी तरह पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए मोबिलिटी में बदलाव करना है तो स्थाई तौर पर इन इलेक्टिक वाहनों की चार्जिंग के लिए 1.37 गीगावॉट से अधिक रूफटॉप सोलर की आवश्यकता होगी।

लाइट इमेजिंग डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लीडर) सेंसर से ली गई शहर की हाई रिजॉल्यूशन तस्वीरों के विश्लेषण से पता चला है कि शहर में 1.4 बिल्डिंग्स पर सोलर सिस्टम लगाए जा सकते हैं जिनसे 3.2 गीगावाट सौर ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।

ऐसे में इन इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 1.37 गीगावाट रूफटॉप सोलर क्षमता तैयार की जा सकती है, जो आने वाले समय में बेंगलुरू शहर में इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य सुनिश्चित कर सकती है। यदि सही तरह से इस रास्ते में आगे बढ़ा जाए तो ट्रांसपोर्ट में पर्यावरण अनुकूल बदलावों को हासिल किया जा सकता है।

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