मैं सबसे पहले यह स्पष्ट कर दूं कि मैं केंद्रीय बजट में महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रस्तावित एक हजार करोड़ के निर्भया फंड पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही। तमाम लोगों को सरकार का यह त्वरित कदम महिला-सुरक्षा की दिशा में सराहनीय प्रयास लगता है, वहीं बहुत सारे लोग गुस्से में और आंदोलित हैं क्योंकि उन्हें यह कदम प्रतीकवाद और लोकप्रियतावाद से ज्यादा कुछ नहीं लग रहा। उनके मुताबिक, इस फैसले में बहुमत की राय नहीं ली गई। फिर भी मैं बजट भाषण में इससे संबंधित पैराग्राफ को दोहराना चाहूंगी।