ग्रेट निकोबार द्वीप के सीआरजेड इलाके में नहीं हो सकता निर्माण कार्य

एनजीटी ने सीआरजेड-आईए क्षेत्रों में निर्माण के मुद्दे पर पर्यावरण मंत्रालय और अंडमान निकोबार द्वीप समूह एकीकृत विकास निगम लिमिटेड को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है
अंडमान निकोबार द्वीप समूह पारिस्थितिक संवेदनशीलता के लिए जाने जाते हैं; फोटो: आईस्टॉक
अंडमान निकोबार द्वीप समूह पारिस्थितिक संवेदनशीलता के लिए जाने जाते हैं; फोटो: आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 14 मई 2024 को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील सीआरजेड-आईए क्षेत्रों में निर्माण के मुद्दे पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एकीकृत विकास निगम लिमिटेड (एएनआईआईडीसीओ) को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। इसमें शामिल सभी पक्षों को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है।

गौरतलब है कि आवेदक आशीष कोठारी ने द्वीपीय तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना 2019 का उल्लंघन करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय और एएनआईआईडीसीओ के प्रति असंतोष व्यक्त किया था।

यह भी उल्लेख किया गया है कि ग्रेट निकोबार द्वीप समूह पर विभिन्न परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने ईआईए अधिसूचना, 2006 और सीआरजेड अधिसूचना, 2011 के तहत 11 नवंबर, 2022 को मंजूरी दी थी। इनमें अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (आईसीटीटी), टाउनशिप और क्षेत्र विकास, 450 एमवीए गैस और सौर-आधारित बिजली संयंत्र और नागरिक एवं रक्षा उपयोग के लिए एक हवाई अड्डे का निर्माण शामिल था। इन परियोजनाओं के लिए कुल 16,610 हेक्टेयर क्षेत्र आवंटित किया गया था।

यह उल्लेख किया गया है कि आवेदक ने 2022 में एनजीटी के समक्ष एक अपील दायर की थी। इस अपील में परियोजना के कार्यान्वयन से पारिस्थितिकी को होने वाले  नुकसान से जुड़ी चिंताओं को उजागर किया गया था। इन चिंताओं में अन्य मुद्दों के अलावा पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील सीआरजेड-आईए क्षेत्रों में स्थित परियोजनाएं, अध्ययन की कमी के साथ जैव विविधता पर पड़ने वाले प्रभावों का आकलन करने की उपेक्षा जैसे गंभीर पहलुओं को उजागर किया गया था।

साथ ही इसकी वजह से आदिवासी समुदायों पर क्या प्रभाव पड़ेंगे, इसका मूल्यांकन करने में विफलता को लेकर चिंता जताई थी। गौरतलब है कि सीआरजेड-आईए क्षेत्र अपनी पारिस्थितिक संवेदनशीलता के लिए जाने जाते हैं।

ट्रिब्यूनल को सूचित किया गया है कि अदालत ने तीन अप्रैल, 2023 को कुछ विशिष्ट निर्देशों के साथ अपील का निपटारा कर दिया था।

आदेश में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा पर्यावरण मंजूरी (ईसी) की दोबारा समीक्षा करने की आवश्यकता जाहिर की गई थी। इस समिति की रिपोर्ट के आलोक में, पर्यावरण मंजूरी या उसकी शर्तों पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा फिर से विचार किया करने की बात कही गई थी। हालांकि तब तक बेहद महत्वपूर्ण गतिविधियों को छोड़कर इस पर्यावरण मंजूरी पर आधारित किसी भी काम को आगे न बढ़ाने का निर्देश दिया गया था।

हालांकि, आवेदक का कहना है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अभी तक ट्रिब्यूनल के फैसले का पालन नहीं किया है। अदालत को यह भी सूचित किया गया है कि आठ जुलाई, 2022 को अंडमान और निकोबार तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा अनुशंसित एक संशोधित योजना के लेआउट में कुछ क्षेत्रों को सीआरजेड-आईए के रूप में नामित किया है:

इसमें एक बंदरगाह जो 57 हेक्टेयर और उसका पुनर्ग्रहण क्षेत्र 6 हेक्टेयर का है। दूसरी परियोजना हवाई अड्डे की है जिसका क्षेत्र 60 हेक्टेयर, टाउनशिप (रक्षा) 81 हेक्टेयर क्षेत्र में, 503 हेक्टेयर में एक अन्य उपयोग के लिए बनाए जाने वाली टाउनशिप शामिल है।

यह भी कहा गया है कि द्वीप तटीय विनियमन क्षेत्र (आईसीआरजेड), 2019, पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील आईसीआरजेड आईए क्षेत्रों में उपरोक्त परियोजनाओं को प्रतिबंधित करता है।

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