नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने देहरादून में पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय को अवैध खनन के संबंध में एक रिपोर्ट सौंपने को कहा है। मामला उत्तराखंड में उधम सिंह नगर के नकुलिया गांव का है। आरोप है कि वहां कैलाश नदी से अवैध खनन किया जा रहा था।
इस बारे में पांच फरवरी 2024 को दिए अपने आदेश में अदालत ने प्राधिकरण को मौके का निरीक्षण करने और उसके बारे में ज्यादा जानकारी साझा करने को कहा है। इसमें उस स्थान के भू-निर्देशांक के साथ स्थान की सटीक पहचान, कितना अवैध खनन किया गया है उसका विवरण, इसके लिए बनाए गए गड्ढों या खाली स्थानों की संख्या और आकार के साथ इस अवैध खनन में शामिल लोगों की पहचान करने का भी निर्देश दिया है।
कोर्ट का आदेश है कि इस मामले में रिपोर्ट अगली सुनवाई से एक सप्ताह पहले दाखिल करनी होगी। बता दें कि इस मामले में अगली सुनवाई 18 अप्रैल, 2024 को होनी है।
गौरतलब है कि यह मामला एनजीटी ने एक अखबार में प्रकाशित खबर के आधार पर स्वतः संज्ञान में लिया था। इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि कैलाश नदी से जेसीबी और पोकलैंड मशीनों की मदद से अवैध खनन किया जा रहा है।
रामगंगा नदी के बाढ़ क्षेत्र में बिछाई जा रही पाइपलाइन के मामले में गेल को भेजा गया नोटिस
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पांच फरवरी 2024 को दिए अपने आदेश में गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) को नोटिस भेजने के निर्देश दिए हैं। मामला मुरादाबाद के मिलक खड़कपुर बाजे गांव में पाइपलाइन के निर्माण से जुड़ा है।
इस मामले में गेल के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग को भी नोटिस जारी किए जाएंगे। आवेदन में आरोप लगाए गए हैं कि यह पाइपलाइन पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर रामगंगा और गगन नदियों के बाढ़ क्षेत्र में बिछाई जा रही है।
एनजीटी ने मुरादाबाद के जिला मजिस्ट्रेट को गंगा नदी (पुनरुद्धार, संरक्षण और प्रबंधन) प्राधिकरण आदेश, 2016 के तहत जारी दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए नदी के बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन करने और उसके आधार पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।