संयुक्त राष्ट्र द्वारा 16 सितंबर को ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया गया है, तब से इसे हर साल मनाया जाता है। यह दिन पृथ्वी पर जीवन की रक्षा में ओजोन परत के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। ओजोन परत पृथ्वी को सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी विकिरणों से बचाती है। भारत 1995 से इस दिन को मना रहा है।
क्या है ओजोन (ओ3)?
ओजोन (ओ3) एक प्रतिक्रियाशील गैस है, जिसमें तीन ऑक्सीजन परमाणु होते हैं जो प्राकृतिक या मानवजनित हो सकते हैं और पृथ्वी के उच्च वायुमंडल (समताप मंडल) में पाए जाते हैं। 'ओजोन छिद्र' शब्द का अर्थ ओजोन परत पर हानिकारक यूवी विकिरणों से क्षतिग्रस्त क्षेत्रों से है।
समताप मंडल में लगभग 15 से 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद ओजोन आणविक ऑक्सीजन (ओ2) के साथ सौर पराबैंगनी प्रकाश की परस्पर क्रिया द्वारा स्वाभाविक रूप से निर्मित होती है। दूसरी ओर क्षोभमंडलीय या भू-स्तरीय ओजोन मुख्य रूप से फोटोकैमिकल प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित होती है जिसमें वाष्पशील कार्बनिक यौगिक और नाइट्रोजन ऑक्साइड शामिल होते हैं।
क्या है विश्व ओजोन दिवस 2024 की थीम?
इस साल की थीम "मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाना" है। इसका उद्देश्य न केवल उपलब्धियों का जश्न मनाना है, बल्कि भविष्य में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत गहन और तेज तरीके से कार्रवाई की उम्मीद भी जताई गई है।
क्या है मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल?
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में 1994 में विश्व ओजोन दिवस की स्थापना की। 16 सितंबर, 1987 को स्वीकृत मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों (ओडीएस) के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए बनाया गया एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
हालांकि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का उद्देश्य ओडीएस के निर्माण और खपत को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना था, लेकिन इन यौगिकों के कुछ विकल्प, जिन्हें हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) के रूप में जाना जाता है, अभी भी हानिकारक माने जाते थे।
इसलिए, बाद में, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन को कानूनी रूप से लागू किया गया और जो एक जनवरी, 2019 को लागू हुआ। संशोधन में 2040 के अंत तक हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का प्रस्ताव है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के मुताबिक, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल विकसित और विकासशील देशों के लिए अलग-अलग समय-सारिणी के साथ ओजोन परत को नष्ट करने वाले विभिन्न पदार्थों (ओडीएस) की खपत और उत्पादन को चरणबद्ध तरीके से कम करता है।
संधि के तहत, सभी पक्षों के पास ओडीएस के विभिन्न समूहों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने, ओडीएस व्यापार पर नियंत्रण, आंकड़ों की वार्षिक रिपोर्टिंग, ओडीएस के आयात और निर्यात की जांच करने के लिए राष्ट्रीय लाइसेंसिंग प्रणाली और अन्य मामलों से संबंधित विशिष्ट जिम्मेदारियां हैं।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, ओजोन हमारे वायुमंडल का केवल एक छोटा सा हिस्सा है, इसका होना मानव स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। अधिकांश ओजोन वायुमंडल में उच्च स्तर पर पाई जाती है, पृथ्वी की सतह से 10 से 40 किमी ऊपर। इस क्षेत्र को समताप मंडल के रूप में जाना जाता है और इसमें वायुमंडल में मौजूद सभी ओजोन का लगभग 90 फीसदी हिस्सा होता है।
ओजोन सूर्य के जैविक रूप से खतरनाक यूवी प्रकाश में से कुछ को अवशोषित करती है। अपनी फायदा पहुंचाने वाली भूमिका के कारण, समताप मंडल की ओजोन "अच्छी" ओजोन मानी जाती है।
मई 1985 में ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण अध्ययन के निष्कर्षों के प्रकाशित होने के बाद अंटार्कटिका पर ओजोन की कमी की घटना को "ओजोन छिद्र" के रूप में जाना जाने लगा।
ओजोन का नष्ट होना हानिकारक क्यों है?
अल्ट्रावायलेट बी (यूवीबी) किरणों के संपर्क में आने से विभिन्न प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं। मनुष्य के स्वास्थ्य पर ओजोन परत के नष्ट होने के कारण ओजोन की मात्रा कम हो जाती है, जिसका अर्थ है सूर्य की किरणों से सुरक्षा में कमी और पृथ्वी की सतह पर यूवीबी विकिरण के संपर्क में वृद्धि होना।
प्रयोगशाला और महामारी विज्ञान अनुसंधान के मुताबिक, यूवीबी बिना-मेलेनोमा त्वचा कैंसर के लिए जिम्मेवार है जो घातक मेलेनोमा गठन में एक भारी भूमिका निभाता है। यूवीबी को मोतियाबिंद के बढ़ने से भी जोड़ा जाता है, जिसके कारण आंखों में लेंस बादल की तरह छा जाते हैं।