नेट जीरो एमिशन के लिए पवन ऊर्जा क्षमता में तीन गुना ज्यादा तेजी से है विस्तार की जरुरत

2020 में कुल 93 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित की गई थी, जिसका मतलब है कि उसमें करीब 53 फीसदी की वृद्धि हुई है
नेट जीरो एमिशन के लिए पवन ऊर्जा क्षमता में तीन गुना ज्यादा तेजी से है विस्तार की जरुरत
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नेट जीरो एमिशन के लिए पवन ऊर्जा की क्षमता में वर्तमान दर से तीन गुना ज्यादा तेजी से विस्तार करने की जरुरत है। इस हिसाब से देखें तो दुनियाभर में हर साल पवन ऊर्जा में कम से कम 180 गीगावॉट क्षमता विस्तार की जरुरत है। यह जानकारी हाल ही में जारी ग्लोबल विंड रिपोर्ट 2021 में सामने आई है।

ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल द्वारा जारी इस रिपोर्ट के अनुसार 2020 में कुल 93 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित की गई थी। जिसका मतलब है कि 2019 की तुलना में उसमें करीब 53 फीसदी की वृद्धि हुई है।

इसके बावजूद यह वृद्धि नेट जीरो एमिशन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए काफी नहीं है। ऐसे में इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगले दशक में तीन गुना ज्यादा तेजी से विकास की करने की जरुरत होगी। रिपोर्ट में 2020 में आई रिकॉर्ड वृद्धि के लिए चीन और अमेरिका में पवन ऊर्जा की दिशा में तेजी से किए गए कामों को माना जा रहा है।

यह दोनों देश दुनिया के दो सबसे बड़े पवन ऊर्जा उत्पादकों में से हैं। यह दोनों देश मिलकर दुनिया की 50 फीसदी से ज्यादा पवन ऊर्जा उत्पन्न करते हैं जबकि 2020 में जो पवन ऊर्जा क्षमता में विस्तार आया है उसके 75 फीसदी हिस्से में इन्हीं दोनों का हाथ है।

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 30 गीगावाट क्षमता की पवन ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य 2030 तक रखा है। जिसके जरिए करीब अमेरिका में 1 करोड़ घरों की बिजली की जरुरत को पूरा किया जा सकता है। साथ ही इससे हर वर्ष 7.8 करोड़ मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड में कमी लाने में मदद मिलेगी।

वर्तमान में दुनिया की कुल पवन ऊर्जा क्षमता करीब 743 गीगावाट है। जिससे हर साल करीब 110 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोकने में मदद मिल रही है। यह उतना उत्सर्जन है जितना हर साल दक्षिण अमेरिका करता है।

पिछले एक वर्ष में भारत के पवन ऊर्जा क्षेत्र में दर्ज की गई 1.26 गीगावाट की गिरावट

यदि अफ्रीका को देखें तो इंटरनेशनल फाइनेंस कारपोरेशन द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार अफ्रीका में करीब 59,000 गीगावाट पवन ऊर्जा स्थापित करने की सम्भावना है। जो इस पूरे महाद्वीप की ऊर्जा संबधी जरूरतों का 250 गुना अधिक पूरा कर सकती है। इसके बावजूद वहां अब तक 8.2 गीगावाट क्षमता स्थापित की गई है।

पिछले कुछ समय से जिस तरह से कोरोनावायरस ने दुनिया भर पर अपना असर डाला है उससे यह क्षेत्र भी अछूता नहीं है। इससे दुनिया भर में पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट पर असर पड़ा है और उनकी गति में कमी आई है। 2019 में 60.8 गीगावाट ऊर्जा का उत्पादन किया था। जो 2020 में बढ़कर 93 गीगावाट पहुंच गया था। जिसका मतलब है कि इस एक वर्ष में इसमें करीब 32.2 गीगावाट की वृद्धि हुई थी।

इसमें सबसे ज्यादा वृद्धि चीन में 24.6 गीगावाट और अमेरिका में 7.8 गीगावाट की वृद्धि हुई है, जबकि इस अवधि के दौरान भारत की पवन ऊर्जा क्षमता में करीब 1.26 गीगावाट की गिरावट दर्ज की गई है।

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