क्या भविष्य में “हाइड्रोजन सिटी” कहलाएगा टोक्यो

टोक्यो में आगामी 24 से 5 सितंबर तक टोक्यो में ही पेरालंपिक खेलों की शुरूआत होगी तब भी मशाल का ईंधन हाइड्रोजन रहेगा
Photo: twitter/@PDCMachines
Photo: twitter/@PDCMachines
Published on


टोक्यो ओलंपिक को “हाईड्रोजन ओलंपिक” की संज्ञा दी जा रही है, लेकिन क्या ओलंपिक के बाद टोक्यो “हाइड्रोजन सिटी”  कहलाएगा? जापान सरकार ने तीन साल पहले यानी 2017 में टोक्यो को “हाइड्रोजन सिटी” के रूप में तब्दील करने की नींव रखी थी। और इसकी औपचारिक शुरूआत के लिए ओलंपिक खेलों के शुरू होने की तारीख का चयन किया गया।

जब गत 23 जुलाई, 2021  को अंतिम ओलंपिक मशाल वाहक ने जापान के नेशनल स्टेडियम में ओलंपिक ज्योति को हाइड्रोजन से प्रज्वलित किया। इस मौके पर जापान सरकार का कहना है कि यह घटना न केवल ओलंपिक खेलों की शुरुआत को चिह्नित करती है, बल्कि इस पवित्र ज्योति ने जापान में स्टेनबिलिटी (सतत विकास) सोसायटी की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।

ध्यान रहे कि खेलों के इतिहास में पहली बार जापान की मदद से ओलंपिक मशाल यात्रा के दौरान हाइड्रोजन का उपयोग किया गया। यहीं नहीं टोक्यो में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खत्म होने के बाद जब आगामी 24 से 5 सितंबर तक टोक्यो में ही पेराओलंपिक खेलों की शुरूआत होगी, तब भी मशाल का ईंधन हाइड्रोजन ही रहेगा। ओलंपिक खेलों के दौरान हाइड्रोजन बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बिजली जापान के फुकुशिमा प्रांत में स्थित एक सौर प्लांट से आती है।

ध्यान रहे कि यह फुकुशिमा वही प्रांत है, जहां 2011 में परमाण दुर्घटना घटी थी। तब से जापान की जनता 2011 में फुकुशिमा संयंत्र में हुई दुर्घटना के बाद से परमाणु बिजली की खिलाफत करती रही है। भारी भूकंप और सुनामी के चलते हुई इस दुर्घटना से पहले जापान की कुल बिजली आपूर्ति में परमाणु बिजली की हिस्सेदारी करीब 30 प्रतिशत थी और अब वर्तमान में यह घट कर दो प्रतिशत रह गई है।

ओलंपिक शुरू होने के पहले से ही टोक्यो ओलंपिक को “हाइड्रोजन ओलंपिक” करार दिया गया। ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर तत्व के रूप में उपलब्ध हाइड्रोजन स्वच्छ और हल्की है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह कोई कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का नहीं करता और इसे अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके उत्पादित किया जा सकता है। 

दुनियाभर के ऊर्जा विश्लेषकों का मानना है कि भविष्य में जलवायु परिर्वन के असर को कम करने के लिए हाइड्रोजन एयरलाइंस, शिपिंग और उद्योग से होने वाले उत्सर्जन को कम करने में महत्पूर्ण भूमिका निभा सकती है।

इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के सस्टेनबिलिटी (सतत विकास) केंद्र के निदेशक मैरी सल्लोइस कहते हैं कि दुनिया को जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए टोक्यो ओलंपिक खेल के दौरान हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के उपयोग को प्रदर्शित कर इसकी खूबिया गिनाने का शानदार अवसर है और साथ ही यह कदम जलवायु परिवर्तन की वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

जापान की हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था

अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय पत्रिका नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि जापान में हाइड्रोजन के व्यापक उपयोग के लिए राजनीतिक और व्यावसायिक गतिविधियों में तेजी से प्रसार हो रहा है।  2017 में जापान राष्ट्रीय हाइड्रोजन रणनीति अपनाने वाले सर्वप्रथम देशों में से एक था और जापानी सरकार ने अपने हाइड्रोजन से संबंधित अनुसंधान और विकास के लिए लगभग 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर की धनराशि उपलब्ध कराई। 

इस बीच टोक्यो मेट्रोपॉलिटन गवर्नमेंट ने हाइड्रोजन आधारित भविष्य की अर्थव्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मतबूती देने के लिए टोक्यो तकनीकी विश्वविद्यालय में हाइड्रोजन एनर्जी-बेस्ड सोसाइटी के लिए एक रिसर्च सेंटर की स्थापना की। और उम्मीद जताई कि निश्चित तौर पर टोक्यो-2020 खेल एक हाइड्रोजन समाज के रूप में अपनी विरासत छोड़ने में सफल होंगे। 

जापानी सरकार का तो यहां तक दावा है  कि जिस तरह से 1964 के ओलंपिक खेलों ने दुनिया को “शिंकानसेन हाई-स्पीड ट्रेन प्रणाली” से अवगत कराया था, उसी प्रकार से टोक्यो-2020 खेल भी भविष्य में टोक्यो एक “हाइड्रोजन सिटी” की शुरूआत के रूप में याद किया जाएगा।

सेंटर के उपाध्यक्ष हिरोयोशी कावाकामी कहते हैं कि हम हाइड्रोजन ईंधन भरने वाले स्टेशनों का नेटवर्क, हाइड्रोजन उत्पादन और उसकी वाहक प्रणालियों जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचे पर विशेष अनुसंधान कर रहे हैं। वह कहते हैं कि हमारा अनुसंधान केंद्र भविष्य में कार्बनरहित दुनिया के लिए एक ऐसी प्रोद्योगिकी विकसित कर रहा है, जहां कार्बन डाइऑक्साइड का प्रत्यक्ष रूप से कहीं नामोनिशान तक नहीं होगा।

नेचर के अध्ययन में बताया गया है कि हाइड्रोजन-ऊर्जा अत्याधुनिक अनुसंधान के माध्यम से उत्पादित होता है। इसमें हाइड्रोजन की वास्तविक शक्ति का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए हाइड्रोजन ईंधन सेल को लें, जो एक विद्युत रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा हाइड्रोजन को बिजली में परिवर्तित करता है। हाइड्रोजन ईंधन का चयन जैसे कि तरल हाइड्रोजन, मेथनॉल या अमोनिया मौलिक रूप से न केवल ईंधन सेल के डिजाइन को बदल देता है बल्कि हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण और वितरण के तरीके को भी बदलता है। 

टोक्यो-2020 ओलंपिक खेलों के लिए इन दिनों हाइड्रोजन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए फुकुशिमा प्रांत स्थित दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोजन संयंत्र की क्षमता को और बढ़ाया गया है। जपान के नामी शहर में स्थित यह संयंत्र प्रतिवर्ष 900 टन हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए 10,000 किलोवाट सौर ऊर्जा का उपयोग करता है। 

यही नहीं टोक्यो में अब दुनिया का पहला ऐसा होटल तैयार होने जा रहा है जो कि प्लास्टिक कचरे से प्राप्त हाइड्रोजन द्वारा संचालित होगा। होटल में एक ईंधन सेल है जो कार्बन मुक्त बिजली पैदा करता है और होटलों के कमरों में गर्म पानी की सप्लाई करता है। इसके अलावा इन दिनों ओलंपिक गांव में 500 हाइड्रोजन कारों और 100 बसों का बेड़ा 11 हजार से अधिक खिलाड़ियों और साढ़े छह हजार से अधिक उनके सपोर्ट स्टॉफ को एक स्टेडियम से दूसरे और फिर वापस ओलंपिक गांव में लाने ले जाने का काम कर रहा है। 

टोक्यो मेट्रोपॉलिटन गवर्नमेंट का कहना है कि आगामी 2025 तक राजधानी की सड़कों पर 80 स्टेशनों का निर्माण और एक लाख हाइड्रोजन बसों को चलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जापान सरकार कहना है कि ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों के बाद टोक्यो को एक सस्टेनबल सिटी रूप में विकसित करने की कार्ययोजना लगातार जारी रहेगी और यह जलवायु परिर्वन से मुकाबले के लिए विश्य के समक्ष एक प्रेरणास्रोत का काम करेगा।

टोक्यो में इन दिनों चल रहे ओलंपिक खेल के लिए बनाया गया ओलंपिक गांव पूरी तरह से हाइड्रोजन से ही संचालित हो रहा है। ध्यान रहे कि यह वह एतिहासिक जगह है, जहां 1940 में ओलंपिक खेलों के लिए योजना बनाई गई थी। लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के कारण यहां ओलंपिक का आयोजन नहीं हो सका था। टोक्यो-2020 ओलंपिक गांव वास्तव में जापान का पहला पूर्ण रूप से हाइड्रोजन इंफ्रास्ट्रक्चर का एक उदाहरण है। 

इस संबंध में आयोजन समिति का कहना है कि ओलंपिक गांव वास्तव में एक सस्टेनबल गांव है क्योंकि खेलों के बाद यहां के फ्लैट, स्कूल, दुकानें और अन्य सुविधाओं में लगने वाली ऊर्जा हाइड्रोजन की ही होगी। समिति का कहना है कि सस्टेनबल शहरी जीवन शैली को प्रदर्शित करने के लिए इसे डिजाइन किया गया है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in