एशियाई शीतकालीन मॉनसूनी बारिश को 50 फीसदी तक क्यों कम आंका जाता है: शोध

एशियाई शीतकालीन मॉनसून वियतनाम, फिलीपींस, दक्षिण-पूर्व भारत, श्रीलंका और जापान के कुछ तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश लाता है, जो कृषि और जल संसाधनों के साथ-साथ बाढ़ और भूस्खलन के खतरों के लिए भी जिम्मेवार है
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, अभिजीत कर गुप्ता
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वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक की खोज की है जो शीतकालीन मॉनसून की घटनाओं पर प्रकाश डालेगी। शरद ऋतु और सर्दियों की भारी बारिश जिसके कारण पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में बाढ़ और भूस्खलन की आशंका रहती है।

जबकि ग्रीष्मकालीन मॉनसून पर अच्छी तरह से शोध किया गया है और इसे समझा गया है, वर्तमान में शीतकालीन मॉनसून के बारे में बहुत सीमित जानकारी है। विशेष रूप से उस अवधि के दौरान वह किस तरह बदल गया, जब मौसम केंद्रों के पास कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं है।

एशियाई शीतकालीन मॉनसून वियतनाम, फिलीपींस, दक्षिण-पूर्व भारत, श्रीलंका और जापान के कुछ तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश लाता है, जो कृषि और जल संसाधनों के साथ-साथ बाढ़ और भूस्खलन से संबंधित प्राकृतिक खतरों के लिए भी जिम्मेवार है।

इन क्षेत्रों में दुनिया के कुछ सबसे बड़े खाद्य उत्पादक और निर्यातक शामिल हैं, जिससे न केवल क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था बल्कि पहले से ही अनिश्चित वैश्विक खाद्य व्यापार भी शीतकालीन मॉनसूनी वर्षा में बदलाव के प्रति संवेदनशील हो गया है।

मध्य वियतनाम की एक गुफा से 8,000 साल पुराने स्टैलेग्माइट की जांच करके, शोधकर्ता हजारों वर्षों में दक्षिण पूर्व एशिया में मौसमी वर्षा के पैटर्न में बदलाव के बारे में जानकारी निकालने में सक्षम हुए हैं। यह शोध नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है

एक नए सफल शोध में, वे पहली बार स्थानीय मौसम की स्थिति के कारण होने वाली वर्षा और बहुत व्यापक भौगोलिक क्षेत्र की स्थितियों के परिणामस्वरूप होने वाली वर्षा के बीच अंतर करने में सक्षम हुए हैं।

शोध के हवाले से, एनाबेल वुल्फ ने कहा कि, दक्षिण पूर्व एशिया में सर्दियों और गर्मियों के मॉनसून के पिछले विकास पर दशकों से बहस चल रही है।

उन्होंने कहा, वियतनाम से इस स्टैलेग्माइट की जांच करके, हम एक महत्वपूर्ण अवधि में शरद ऋतु और सर्दियों की बारिश को ट्रैक करने में सक्षम थे, स्थानीय मौसम प्रणालियों के कारण हुई बारिश और व्यापक क्षेत्रीय प्रणालियों के कारण होने वाली बारिश के बीच अंतर करने में सक्षम थे।

शोध का मुख्य निष्कर्ष, वायुमंडलीय प्रसार के कारण होने वाले मॉनसून के क्षेत्रीय घटक, उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की गर्मी के द्वारा संचालित सर्दियों और गर्मियों के मॉनसून के बीच एक विरोधाभासी संबंध दिखाता है।

हालांकि, स्थानीय वर्षा के नमूनों के नतीजों से पता चला कि गर्मी और सर्दियों के मॉनसून के बीच एक मजबूत संबंध है।

शोध के निष्कर्षों का मतलब है कि, अब दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य क्षेत्रों से नमूनों की फिर से जांच करने, स्थानीय और क्षेत्रीय बारिश के स्तर को निकालने की संभावना है, जिससे इस बात की अधिक जानकारी मिल सकेगी कि, समय के साथ मौसम के पैटर्न कैसे विकसित हुए हैं और वे भविष्य में कैसे बदल सकते हैं।

अच्छी तरह से अध्ययन किए गए दक्षिण-पश्चिम ग्रीष्मकालीन मॉनसून के विपरीत, पूर्व-औद्योगिक परिस्थितियों के तहत पूर्वोत्तर शीतकालीन मॉनसून से जुड़े दक्षिण पूर्व एशियाई वर्षा में लंबे समय तक होने वाले बदलावों का कोई मजबूत रिकॉर्ड नहीं है। इसका मतलब यह है कि इस क्षेत्र में लंबे समय के आधार पर वर्षा में बदलाव को अच्छी तरह से नहीं समझा गया है।

परिणामस्वरूप, कई जलवायु मॉडल शीतकालीन मॉनसूनी बारिश को 50 फीसदी तक कम आंकते हैं, जिससे भविष्य के जलवायु अनुमानों में काफी अनिश्चितता रह जाती है।

शोधकर्ता ने बताया कि, हमारे निष्कर्षों में दक्षिण पूर्व एशिया में भारी बारिश के प्रभावों को कम करने के उद्देश्य से नीतियों और रणनीतियों को इत्तला करने की क्षमता है, जो अधिक जरूरी हो जाता है क्योंकि जलवायु परिवर्तन वैश्विक मौसम पैटर्न पर अपना प्रभाव डालना जारी रखें हुए है।

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