जलवायु परिवर्तन और गैर संचारी रोगों के बीच क्या हैं संबंध, क्या कहता है डब्ल्यूएचओ, यहां जानें

जलवायु परिवर्तन कई तरह से स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है, जिसमें लू, तूफान और बाढ़ जैसी चरम मौसम की घटनाओं से मृत्यु, बीमारी का बढ़ना, भोजन, पानी और खाद्य पदार्थों से संबंधित समस्याओं में वृद्धि शामिल है।
फोटो साभार :आई-स्टॉक
फोटो साभार :आई-स्टॉक
Published on

जलवायु परिवर्तन लोगों के जीवन और स्वास्थ्य पर कई तरह से प्रभाव डाल रहा है। यह अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक चीजों जैसे स्वच्छ हवा, सुरक्षित पेयजल, पौष्टिक खाद्य आपूर्ति और सुरक्षित आश्रय को खतरे में डालता है। जलवायु में बदलाव, दुनिया भर में स्वास्थ्य में दशकों से हुई प्रगति को कमजोर कर सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, गैर-संचारी रोग (एनसीडी) से हर साल 4.1 करोड़ लोगों की मौत हो जाती है, जो दुनिया भर में होने वाली सभी मौतों के 74 फीसदी के बराबर है। हर साल, 1.7 करोड़ लोग 70 वर्ष की आयु से पहले एनसीडी के कारण मर जाते हैं। इनमें से 86 फीसदी असामयिक मौतें कम और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।

एनसीडी से होने वाली सभी मौतों में से 77 फीसदी निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। एनसीडी से होने वाली अधिकांश मौतों के लिए हृदय रोग जिम्मेदार हैं, या सालाना 1.79 करोड़ लोगों की मृत्यु होती है, इसके बाद कैंसर 93 लाख, पुरानी सांस संबंधी बीमारियां 41 लाख, और मधुमेह तथा मधुमेह के कारण गुर्दे की बीमारी सहित 20 लाख मौतें होती हैं। बीमारियों के ये चार समूह सभी असामयिक एनसीडी मौतों के 80 फीसदी से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं।

जलवायु परिवर्तन और गैर-संचारी रोगों के बीच क्या संबंध है?

जलवायु परिवर्तन पहले से ही अनेकों तरीकों से स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है, जिसमें लू, तूफान और बाढ़ जैसी चरम मौसम की घटनाओं से मृत्यु और बीमारी का बढ़ना, खाद्य प्रणालियों में रुकावट, भोजन, पानी और खाद्य पदार्थों से संबंधित समस्याओं में वृद्धि शामिल है। वेक्टर जनित बीमारियां और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।

जलवायु परिवर्तन और गैर-संचारी रोगों के कुछ प्रभाव इस प्रकार हैं:

लू या हीट वेव से हृदय संबंधी रोग, जैसे स्ट्रोक आदि का खतरा होना

वायु प्रदूषण के कारण स्ट्रोक, हृदय रोग, अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और फेफड़ों का कैंसर का होना

जंगल की आग के कारण दम घुटना, जलना, हृदय और श्वसन संबंधी समस्याएं, मानसिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य सेवाओं और आवास का नष्ट होना

सूखा पड़ने से खाद्य असुरक्षा, कुपोषण, और मनोसामाजिक तनाव का होना

बाढ़ के कारण स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान, विस्थापन और सुरक्षित पानी की कमी, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण

चरम मौसम की घटनाओं से चोटें और मृत्यु दर में बढ़ोतरी होना

स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं पर असर पड़ना आदि

जलवायु में बदलाव होने से स्वास्थ्य संबंधी सबसे अधिक खतरे में कौन?

जलवायु परिवर्तन अच्छे स्वास्थ्य के लिए आजीविका, समानता और स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सहायता संरचनाओं तक पहुंच जैसे कई सामाजिक निर्धारकों को कमजोर कर रहा है। ये जलवायु-संवेदनशील स्वास्थ्य जोखिम सबसे अधिक असुरक्षित और वंचित लोगों द्वारा महसूस किए जाते हैं, जिनमें महिलाएं, बच्चे, जातीय अल्पसंख्यक, गरीब समुदाय, प्रवासी या विस्थापित व्यक्ति, वृद्ध आबादी और स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोग शामिल हैं।

हालांकि इन खतरों से कोई भी सुरक्षित नहीं है, लेकिन जिन लोगों के स्वास्थ्य को जलवायु संकट से सबसे पहले और सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है, वे लोग हैं जो इसके कारणों में सबसे कम योगदान देते हैं, जो इसके खिलाफ खुद को और अपने परिवार को बचाने में सबसे कम सक्षम हैं, वे लोग निम्न वर्ग के लोग, कम आय और वंचित समुदाय हैं।

किस तरह पाया जा सकता है समस्याओं से निजात?

डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वह इन समस्याओं से निजात पाने के लिए अन्य मुख्य साझेदारों के सहयोग से कॉप 28 पहले स्वास्थ्य दिवस और जलवायु-स्वास्थ्य मंत्रिस्तरीय वार्ता का आयोजन करेगा। इसके अलावा, डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह तीसरी बार वेलकम ट्रस्ट कॉप 28 हेल्थ पवेलियन की मेजबानी करेगा।

यह जलवायु और स्वास्थ्य के लिए एक ऐतिहासिक क्षण उत्पन्न करेगा, जिसमें मंत्रियों, जलवायु और स्वास्थ्य पेशेवरों, सिविल सोसाइटी संगठनों, युवा प्रतिनिधियों और व्यवसाय सहित विभिन्न प्रकार के अभिनेताओं को शामिल किया जाएगा और जलवायु-स्वास्थ्य एजेंडे को मुख्यधारा में लाया जाएगा।

जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पर परिवर्तनकारी कार्रवाई (एटीएसीएच) के लिए गठबंधन के सदस्यों के साथ साझेदारी में डब्ल्यूएचओ जलवायु लचीले और टिकाऊ कम कार्बन स्वास्थ्य प्रणालियों के निर्माण के लिए प्रतिबद्धताओं को बढ़ावा देना जारी रखेगा।

वेब साईट के हवाले से, डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वह सभी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए जलवायु कार्रवाई का आह्वान करता है, इनमें शामिल है 

प्रकृति की रक्षा करना, स्वच्छ हवा और पानी तक पहुंच सुनिश्चित करना, तेजी से स्वस्थ ऊर्जा परिवर्तन सुनिश्चित करना, स्वस्थ टिकाऊ खाद्य आपूर्ति को बढ़ावा देना।

स्वस्थ रहने योग्य शहरों का निर्माण करना, प्रदूषण करने वाली चीजों के लिए फंडिंग बंद करना, लचीली स्वास्थ्य प्रणालियां बनाना आदि शामिल है।

साथ ही  एनसीडी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए डब्ल्यूएचओ वैश्विक कार्य योजना 2013-2030, लागू करना।

एनसीडी 2023-2030 की रोकथाम और नियंत्रण पर वैश्विक कार्य योजना के लिए कार्यान्वयन रोडमैप बनाना, इस बात का पता लगाना कि, क्या आपको एनसीडी है और क्या आप जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हैं?

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in