एक नए अध्ययन के अनुसार, गर्म होते प्रशांत उत्तर - पश्चिम में, गर्मियां अधिक गर्म हो रही हैं और सर्दियां कम ठंडी हो रही हैं, लेकिन मौसम को प्रभावित करने वाले वायुमंडलीय पैटर्न के सदी के अंत तक तीव्र या इसमें अधिक बार बदलाव होने के आसार हैं। यह अध्ययन, पोर्टलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी (पीएसयू) की अगुवाई में किया गया है।
इसका मतलब यह है कि पूरी तरह से गर्म जलवायु में, मॉडल सुझाव देते हैं कि, हमारे पास वायुमंडलीय पैटर्न की वही विविधता होगी जो आज है, लेकिन उनसे जो मौसम संबंधी अनुभव हम करेंगे वह गर्म और कुछ मामलों में, नमी वाले होंगे।
पीएसयू के पृथ्वी, पर्यावरण और समाज कार्यक्रम के शोधकर्ता, ग्राहम टेलर और पीएसयू में भूगोल के एसोसिएट प्रोफेसर पॉल लोइकिथ ने यह आकलन करने के लिए एक नई मशीन-लर्निंग दृष्टिकोण का उपयोग किया। उच्च-स्तरीय परिदृश्य के तहत प्रशांत उत्तर - पश्चिम में मौसम के पैटर्न की सीमा किस हद तक बदल जाएगी।
शोधकर्ताओं का उद्देश्य अत्याधुनिक जलवायु मॉडलों के एक समूह का उपयोग करके भविष्य में वार्मिंग का आकलन करना था। उनके निष्कर्ष जर्नल ऑफ क्लाइमेट में प्रकाशित हुए हैं।
अध्ययन में इस बात का पता लगाना था कि, क्या गर्म जलवायु कुछ विशेष प्रकार के मौसम पैटर्न बनाएगी? हवा की गति जो बड़े पैमाने पर मौसम के रुख को मोड़ सकती है कि, यह औसत से अधिक गर्म होगी, औसत से अधिक ठंडी होगी या सूखी या गीली होगी। मौसम अधिक या कम लगातार या मजबूत या कमजोर होगा।
शोधकर्ता टेलर ने कहा, हमें निश्चित संख्या में पैटर्न मिलते हैं जो हमारे लिए बारिश लाते हैं, ऐसे पैटर्न मिलते हैं जिनसे लू की घटनाएं होती हैं और ऐसे पैटर्न मिलते हैं जो औसत होते हैं। उन पैटर्नों की सीमा और ताकत में आवश्यक रूप से बदलाव का अनुमान नहीं है, लेकिन वे बहुत गर्म जलवायु में होंगे।
उदाहरण के लिए, अध्ययन यह नहीं दिखाता है कि गर्मी, जो जून 2021 में चरम मौसम की घटना के बाद लोगों के लिए यह आम बन बन गई थी।
लोइकिथ ने कहा, ग्लोबल वार्मिंग हर चीज को गर्म कर रही है। गर्मी का पैटर्न भी अधिक गर्म होता जा रहा है, लेकिन हम इन मॉडलों के अनुसार अधिक गर्म पैटर्न की ओर बदलाव नहीं देख रहे हैं। यह सिर्फ अधिक गर्म मौसम है क्योंकि हर चीज गर्म हो रही है।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि मॉडल गर्म भविष्य में गर्मियों को छोड़कर अधिकांश मौसमों में प्रशांत उत्तर-पश्चिम में वर्षा में वृद्धि को दर्शाते हैं।