भूरे रंग में तब्दील हो रही हैं पश्चिमी ग्रीनलैंड की हजारों नीली झीलें, क्या है कारण

इन झीलों के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में बदलाव आ गया है यह एक बड़ा भारी बदलाव है जो आमतौर पर सैकड़ों सालों में होता है
गर्मियों में कार्बन डाइऑक्साइड को इकट्ठा करने के बजाय, झीलें इसका स्रोत बन गई हैं, इन झीलों से इस ग्रीनहाउस गैस के प्रवाह में 350 फीसदी की वृद्धि हुई है।
गर्मियों में कार्बन डाइऑक्साइड को इकट्ठा करने के बजाय, झीलें इसका स्रोत बन गई हैं, इन झीलों से इस ग्रीनहाउस गैस के प्रवाह में 350 फीसदी की वृद्धि हुई है।फोटो साभार: आईस्टॉक
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पश्चिमी ग्रीनलैंड में हजारों नीली झीलें हैं जो यहां के निवासियों को पीने का पानी उपलब्ध कराती हैं और वातावरण से कार्बन को सोखती हैं। फिर भी एक नए अध्ययन के अनुसार, 2022 की शरद ऋतु में दो महीने की रिकॉर्ड गर्मी और बारिश के बाद, लगभग 7,500 झीलें भूरी होने लगी हैं, कार्बन उत्सर्जित करने लगीं और इनके पानी की गुणवत्ता में गिरावट देखी जा रही है

यूनिवर्सिटी ऑफ मेन क्लाइमेट चेंज इंस्टीट्यूट के नेतृत्व वाली शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया कि 2022 की शरद ऋतु में चरम जलवायु घटनाओं के कारण पारिस्थितिक परिवर्तन हुए, जिसने आर्कटिक की झीलों को खात्मे की ओर धकेल दिया।

2022 की शरद ऋतु में दो महीने की रिकॉर्ड गर्मी और बारिश के बाद, लगभग 7,500 झीलें भूरी होने लगी हैं, कार्बन उत्सर्जित करने लगीं और इनके पानी की गुणवत्ता में गिरावट देखी जा रही है।
2022 की शरद ऋतु में दो महीने की रिकॉर्ड गर्मी और बारिश के बाद, लगभग 7,500 झीलें भूरी होने लगी हैं, कार्बन उत्सर्जित करने लगीं और इनके पानी की गुणवत्ता में गिरावट देखी जा रही है।नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज

नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि जुलाई 2023 तक, एक साल से भी कम समय बाद, इन झीलों के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में बदलाव आ गया, यह एक बड़ा भारी परिवर्तन है जो आमतौर पर सैकड़ों सालों में होता है।

अध्ययन के अनुसार, ग्रीनलैंड में आमतौर पर पतझड़ में बर्फबारी होती है, लेकिन तापमान में उछाल के कारण बारिश में अधिकता देखी गई। गर्मी के कारण पर्माफ्रॉस्ट एक तरह की जमी हुई मिट्टी जो कार्बनिक कार्बन की बहुत अधिक मात्रा को जमा करती है, वह पिघल गई, जिससे कार्बन, लोहा, मैग्नीशियम और अन्य तत्वों की प्रचुरता निकल गई।

जब रिकॉर्ड मात्रा में बारिश हुई, तो इसने ग्रीनलैंड के पश्चिमी क्षेत्र में मिट्टी से सामने आई इन नई धातुओं और कार्बन को झीलों में डाल दिया, जिससे वे भूरे हो गए।

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गर्मियों में कार्बन डाइऑक्साइड को इकट्ठा करने के बजाय, झीलें इसका स्रोत बन गई हैं, इन झीलों से इस ग्रीनहाउस गैस के प्रवाह में 350 फीसदी की वृद्धि हुई है।

अध्ययन में कहा गया है कि पश्चिमी ग्रीनलैंड की झीलों में तेजी से हो रहा बदलाव, मेन सहित उत्तरी गोलार्ध में स्थित झीलों में कई दशकों से धीमी गति से हो रही भूरी परत के विपरीत है। इसकी तीव्रता और बदलाव की दर बहुत अधिक थी।

पर्माफ्रॉस्ट से घुले कार्बनिक कार्बन और पोषक तत्वों का बहना बैक्टीरिया के विकास को बढ़ा सकता है और पानी का अलग सा या अनचाहा स्वाद और गंध पैदा कर सकता है, साथ ही रंग भी बदल सकता है। पर्माफ्रॉस्ट से निकलने वाली धातुओं के संपर्क में आने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।

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गर्मियों में कार्बन डाइऑक्साइड को इकट्ठा करने के बजाय, झीलें इसका स्रोत बन गई हैं, इन झीलों से इस ग्रीनहाउस गैस के प्रवाह में 350 फीसदी की वृद्धि हुई है।

चरम जलवायु घटनाओं के बाद झीलों में प्रवेश करने वाले कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थों के प्रकार और मात्रा की पहचान करके, आस-पास के क्षेत्र के निवासी अपने पानी का उपचार कैसे करें, इसका बेहतर मूल्यांकन कर सकते हैं।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि बढ़ी और घुली हुई कार्बनिक सामग्री पीने के पानी के उपचार की प्रक्रियाओं के साथ मिलकर क्लोरीनीकरण उपोत्पाद पैदा कर सकती है, जिसे ट्राई-हेलो-मीथेन कहा जाता है, जो कैंसरकारी हो सकता है।

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गर्मियों में कार्बन डाइऑक्साइड को इकट्ठा करने के बजाय, झीलें इसका स्रोत बन गई हैं, इन झीलों से इस ग्रीनहाउस गैस के प्रवाह में 350 फीसदी की वृद्धि हुई है।

भौतिक और रासायनिक गुणों में बदलाव के कारण झीलें अधिक अपारदर्शी हो गई और बहुत कम रोशनी उनकी सतह तक पहुंची। प्रकाश में कमी से प्लवक की जैव विविधता में कमी आई, जिसका क्षेत्र के कार्बन चक्र पर बड़ा प्रभाव पड़ा।

शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने वाले फाइटोप्लांकटन में कमी आई है और कार्बन को विघटित करके छोड़ने वाले प्लवक में वृद्धि हुई है। गर्मियों में कार्बन डाइऑक्साइड को इकट्ठा करने के बजाय, झीलें इसका स्रोत बन गई हैं, इन झीलों से इस ग्रीनहाउस गैस के प्रवाह में 350 फीसदी की वृद्धि हुई है।

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गर्मियों में कार्बन डाइऑक्साइड को इकट्ठा करने के बजाय, झीलें इसका स्रोत बन गई हैं, इन झीलों से इस ग्रीनहाउस गैस के प्रवाह में 350 फीसदी की वृद्धि हुई है।

बहुत सारा कार्बनिक कार्बन जमीन से सतही पानी में चला गया और कार्बनिक कार्बन जलीय जीवों के उपयोग के लिए उपलब्ध था। क्योंकि झीलें इतनी भूरी हो गई, इसने प्रणाली में आने वाले प्रकाश को कम कर दिया, जो प्रकाश संश्लेषण के बजाय कार्बनिक कार्बन मार्गों का उपयोग करने वाले जीवों के पक्ष में जाता है।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के द्वारा निष्कर्ष निकाला कि गर्मी और बारिश में वृद्धि कई वायुमंडलीय नदियों के कारण हुई थी। राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (नोआ) के अनुसार, एक वायुमंडलीय नदी जल वाष्प का एक लंबा, संकीर्ण स्तंभ है जो जमीन पर आने पर तेज बारिश या हिमपात पैदा करती है।

वे दुनिया के अधिकांश हिस्सों को प्रभावित करते हैं और मौजूदा जलवायु मॉडल भविष्यवाणी करते हैं कि सदी के अंत तक, वे ग्रीनलैंड, पश्चिमी उत्तरी अमेरिका, पूर्वी एशिया, पश्चिमी यूरोप और अंटार्कटिका में 50 से 290 फीसदी अधिक बार हो जाएंगे।

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गर्मियों में कार्बन डाइऑक्साइड को इकट्ठा करने के बजाय, झीलें इसका स्रोत बन गई हैं, इन झीलों से इस ग्रीनहाउस गैस के प्रवाह में 350 फीसदी की वृद्धि हुई है।

शोध में कहा गया है कि अतिरिक्त शोध और निगरानी से यह पता लगाया जा सकता है कि ये झीलें कैसे ठीक हो सकती हैं, जिससे इस क्षेत्र में झीलों की गतिशीलता के बारे में अधिक जानकारी मिल सकती है। आगे के अध्ययन वैज्ञानिकों को उत्तरी गोलार्ध में भूरी झीलों की जांच-पड़ताल करने, उनके ठीक होने और संभावित उपचार और हस्तक्षेप की जांच करने में भी मदद कर सकते हैं।

यह एक ऐसा जबरदस्त जलवायु शक्ति थी जिसने सभी झीलों को एक ही तरह से प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित किया। जब रिकवरी की बात आती है, तो क्या यह झीलों में एक जैसा होगा या अलग होगा?

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गर्मियों में कार्बन डाइऑक्साइड को इकट्ठा करने के बजाय, झीलें इसका स्रोत बन गई हैं, इन झीलों से इस ग्रीनहाउस गैस के प्रवाह में 350 फीसदी की वृद्धि हुई है।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि यह अध्ययन सालाना पानी के नमूने और साल भर संचालित होने वाली झीलों में रिमोट सेंसर के माध्यम से हासिल किए गए आंकड़ों के संग्रह के माध्यम से संभव हुआ।

बढ़ी और घुली हुई कार्बनिक सामग्री पीने के पानी के उपचार की प्रक्रियाओं के साथ मिलकर क्लोरीनीकरण उपोत्पाद पैदा कर सकती है, जिसे ट्राइहेलोमेथेन कहा जाता है, जो कैंसरकारी हो सकता है

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