जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का असर इस साल की शुरुआत में ही दिखने लगा है। देश के बड़े हिस्से में तापमान औसत से अधिक दर्ज किया गया है और इस बार तीन मार्च से ही लू या हीटवेव का प्रकोप शुरू हो गया है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा 19 अप्रैल, 2023 को जारी अखिल भारतीय मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, 18 अप्रैल, 2023 को भारत के 60 प्रतिशत से अधिक या 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक दर्ज किया गया।
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 2003 से 2012 और 2013 से 2022 के बीच लू के कारण होने वाली मौतों में 34 फीसदी की वृद्धि देखी गई।
मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2023 तक, तीन राज्यों में लू या हीटवेव का सितम रहा। तीन मार्च से 18 अप्रैल, 2023 तक अब यह संख्या बढ़ कर 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक पहुंच गई, जिन्हें गर्म हवाओं ने अपने आगोश में ले लिया था।
भारत में लू या हीटवेव इस सप्ताह सुर्खियां बना रहा है, 16 अप्रैल को कथित तौर पर हीटस्ट्रोक से 13 लोगों की मौत हो गई।
20 अप्रैल को प्रकाशित, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक अध्ययन ने बताया कि देश के 90 प्रतिशत लोगों को गर्मी के कारण आजीविका क्षमता, खाद्यान्न उपज, वेक्टर जनित रोग फैलने और शहरी स्थिरता में नुकसान होने का खतरा है।
यहां बताते चले कि, जब किसी स्टेशन का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय क्षेत्रों में कम से कम 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो उसे हीटवेव घोषित किया जाता है।
कर्नाटक में साल का पहला लू का प्रकोप तीन मार्च को दर्ज किया गया था। नौ मार्च तक राज्य में चार दिन लू का कहर दर्ज किया गया था। गोवा में लू के चार दिन और गुजरात में दो दिन रहे। महीने की आखिरी लू 12 मार्च 2023 को दर्ज किया गया था।
देश में 12 अप्रैल, 2023 को पश्चिम बंगाल में गंगा के अलग-अलग इलाकों में लू ने दस्तक दी। आंध्र प्रदेश, बिहार, चंडीगढ़, हरियाणा, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब और पश्चिम बंगाल में 12 से 18 अप्रैल तक लू का प्रकोप दर्ज किया गया।
वर्तमान स्थितियों को देखते हुए इससे निपटने के लिए तैयारी बहुत जरूरी है, विशेष रूप से क्योंकि लू के सितम के जारी रहने के आसार हैं और यह लोगों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है।
मौसम विभाग द्वारा 21 अप्रैल, 2023 तक लू या लू जैसी चरम स्थितियों पर कम से कम आठ राज्यों में चेतावनी जारी की गई है। बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश में 26 अप्रैल, 2023 तक इन चरम स्थितियों के जारी रहने की आशंका जताई गई है।
लोगों के स्वास्थ्य पर लू के प्रभाव को स्थापित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली ऐसी चरम घटनाएं घातक भी हैं और इनसे निपटने के लिए पर्याप्त तैयारी की जरूरत है।
उदाहरण के लिए, मार्च 2022 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म मार्च रहा, इस महीने देश में 30 लोगों का जीवन लील लिया। वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन नेटवर्क के अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष प्रभाव के कारण 2022 में भारत और पाकिस्तान में असामान्य, शुरुआती गर्म हवाओं की आशंका 30 गुना अधिक हो गई थी।
भारत में, 2013 से 2022 के बीच लू से 5,541 लोगों की मौत हुई। इसकी तुलना में, 2003 से 2012 के बीच लू के कारण 4,134 मौतें दर्ज की गई। हालांकि, 2020 के बाद से लू के कारण होने वाली मौतों की संख्या में कमी आई है।
2022 से 2023 के हाल के रुझानों से पता चलता है कि, लू का प्रकोप अब साल की शुरुआत में अपना रंग दिखा रहा है। 2022 में पहली लू की घटना 11 मार्च, 2022 को गुजरात में दर्ज की गई थी। मौसम विभाग ने कहा कि लू का कहर उस साल की शुरुआत में महसूस किया गया था।
एक्शन में सरकार
लू के प्रभाव को स्वीकार करते हुए, केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 18 अप्रैल, 2023 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों और मजदूरों पर लू के प्रभाव की तैयारी और प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए कहा।
पीआईबी की एक विज्ञप्ति के मुताबिक, सभी राज्यों को लिखे पत्र में, केंद्र ने उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में श्रमिकों और मजदूरों के काम के घंटों को फिर से निर्धारित करने के लिए कहा है।
राज्यों को चिलचिलाती धूप के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए नियोक्ताओं, निर्माण कंपनियों और उद्योगों को निर्देश जारी करने के लिए कहा गया था।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 21 मार्च, 2023 को राज्यसभा को बताया कि देश के अठारह राज्यों ने अपने स्तर पर गर्मी के कारण होने वाली बीमारी की कार्य योजना तैयार की है।
राज्य स्तरीय योजनाएं 2021 में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी भीषण गर्मी से संबंधित बीमारी पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी) पर आधारित हैं। एनएपी नैदानिक प्रबंधन, स्वास्थ्य सुविधा की तैयारी और निगरानी सहित गंभीर गर्मी से संबंधित बीमारियों का प्रबंधन करने के तरीके का मार्गदर्शन करती है।
इसलिए, जबकि सरकार ने एडवाइजरी जारी की है, राज्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे लू के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को दूर करने के लिए अपनी-अपनी हीट एक्शन योजनाओं के अनुसार काम करें।
2022 की तुलना में इस बार हीटवेव ने देश में 10 दिन पहले दस्तक दी है।