दुनिया भर की जलवायु पर असर डाल रहा है तिब्बती पठार की मिट्टी का तापमान

तिब्बती पठार पर मिट्टी का तापमान हिमालय पर्वत की चोटी से नीचे बंगाल की खाड़ी तक तापमान को बदल देता है, जो मॉनसून की नमी का अहम स्रोत है
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स
Published on

मौसम का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है। प्राकृतिक प्रणालियां इतनी जटिल हैं कि, सबसे उन्नत तकनीक से भी मौसम विज्ञानी 10 दिनों से अधिक का सटीक अनुमान नहीं लगा सकते हैं।

इसलिए भविष्य में महीनों और ऋतुओं के बारे में पूर्वानुमान लगाना चुनौतीपूर्ण है। फिर भी यह जलवायु विज्ञान के बढ़ते क्षेत्र पर गौर करते है जो 1980 के दशक में गंभीरता से शुरू हुआ था। इसकी शुरुआत इस बात की खोज से हुई कि अल नीनो से मौसम के पैटर्न कैसे प्रभावित होते हैं, एक प्राकृतिक घटना जिसके कारण पूर्वी प्रशांत महासागर में सतह के पानी का तापमान एक साल तक बढ़ जाता है।

एल नीनो कुछ वैश्विक मौसम स्थितियों को अधिक संभावित बनाता है, उत्तर और दक्षिण अमेरिका में अधिक वर्षा होती है, जबकि ऑस्ट्रेलिया में कम और जापान में एक सक्रिय चक्रवाती मौसम दिखने की संभावना कम होती है।

इसी तरह, अटलांटिक और प्रशांत क्षेत्र में अन्य महासागर तापमान की स्थिति क्षेत्रीय और दूरस्थ मौसम के परिणामों को अधिक संभावित बनाती है, जिसमें उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वर्षा और प्रमुख तूफानों की ताकत बढ़ती है। खोजे गए हर एक नए कारण ने महीनों और मौसमों के लिए मौसम के पूर्वानुमान लगाने में शोधकर्ताओं की क्षमता में सुधार किया है।

पिछले 20 वर्षों में, यूसीएलए के प्रोफेसर योंगकांग जू यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि धरती का तापमान और नमी जलवायु पैटर्न को कैसे प्रभावित करते हैं।

अमेरिकी मौसम विज्ञान सोसायटी के बुलेटिन में प्रकाशित वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने बताया कि, तिब्बती पठार में मिट्टी के तापमान में बदलाव प्रमुख जलवायु पैटर्न को प्रभावित करते हैं, जैसे कि पूर्वी एशियाई मॉनसूनी मौसम की बारिश जो एक अरब से अधिक लोगों की आबादी वाली भूमि में फसल उगाने, बिजली पैदा करने और पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है।

तिब्बती पठार पर मिट्टी का तापमान हिमालय पर्वत की चोटी से नीचे बंगाल की खाड़ी तक तापमान को बदल देता है, जो मॉनसून की नमी का अहम स्रोत है। बदले में, यह उच्च और निम्न-दबाव प्रणालियों और जेट स्ट्रीम के पैटर्न को प्रभावित करता है।

एक उच्च-वायुमंडलीय वायु प्रवाह जहां शक्तिशाली प्रभाव होता है जहां तूफान बारिश को कम करते हैं। एक ठंडा तिब्बती पठार एक कमजोर मॉनसून को अधिक प्रभावी बनाता है, जबकि एशियाई मॉनसून क्षेत्र में बाढ़ की बढ़ती प्रवृत्ति के साथ गर्म स्थितियां एक मजबूत संभावना बनाती हैं।

इस नवीनतम अध्ययन में यह भी पाया गया कि इन दो पर्वत प्रणालियों के तापमान में उतार-चढ़ाव एक तिब्बती पठार-रॉकी ​​माउंटेन वेव ट्रेन के माध्यम से संबंधित हैं। उच्च और निम्न-दबाव प्रणालियों का एक पैटर्न जो प्रशांत महासागर में फैला हुआ है। जब तिब्बती पठार गर्म होता है, तो इसके विपरीत रॉकी पर्वत ठंडे होते हैं।

ऐसा नहीं है कि तिब्बती पठार का तापमान चीन में निचले इलाकों के पूर्वी हिस्से को प्रभावित करता है और रॉकी पर्वत दक्षिणी मैदानों में वर्षा को प्रभावित करता है।

शोधकर्ता कहते हैं कि सतह के तापमान में एक या दो डिग्री सेल्सियस का परिवर्तन भी एक बड़ा बदलाव ला सकता है। यह तिब्बती पठार जैसी भूवैज्ञानिक विशेषताओं की अधिकता के कारण है, जो समुद्र तल से लगभग 15,000 फीट की औसत ऊंचाई के साथ लगभग एक लाख वर्ग मील भूमि तक फैला है। कुछ स्थानों पर, तापमान में परिवर्तन 40 फीसदी तक वर्षा विसंगतियों के कारण होता है।

अपने निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए, शोधकर्ताओं ने वैश्विक जलवायु मॉडल के साथ उपग्रह और जमीन-आधारित तापमान और वर्षा अवलोकनों को जोड़ा। मॉडल तिब्बती पठार में मिट्टी के तापमान में परिवर्तन के प्रभाव के साथ और उसके बिना, आंकड़े के आधार पर जलवायु परिणामों का अनुकरण करते हैं।

तिब्बती पठार की मिट्टी के तापमान और वैश्विक जलवायु और मौसम की घटनाओं के बीच संबंधों की खोज करने वाला यह पहला अध्ययन है। ज़्यू ने जोर देकर कहा कि विवरणों को समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।

शोध का लक्ष्य मौसम की स्थिति के महीनों और आने वाले मौसमों का पूर्वानुमान लगाने की क्षमता में सुधार करना है। अधिक प्रभावी ढंग से ऐसा करने से कृषि जैसे उद्योगों को बेहतर सुझाव देकर अरबों या खरबों डॉलर भी बचाए जा सकते हैं।

उदाहरण के लिए, हल्के मॉनसून के मौसम का अग्रिम जानकारी होने से, किसानों को अधिक सूखा-सहिष्णु फसलें लगाने के लिए मार्गदर्शन मिल सकता है। बेहतर, पूर्वानुमान अत्यधिक चरम मौसम और बाढ़ में मानव जीवन की रक्षा करने में भी मदद कर सकती हैं।

सह-अध्ययनकर्ता डेविड नीलिन ने कहा जलवायु पर तिब्बती पठार के प्रभाव को समझने से मौसम विज्ञानियों की मौसमी और उप-मौसमी जलवायु स्थितियों का पूर्वानुमान लगाने की क्षमता में सुधार होता है। हालांकि पूर्वानुमान निश्चिता से बहुत दूर हैं, यहां तक ​​कि यह जानना भी कि एक मजबूत मॉनसून या सूखे की अधिक आशंका है।

नीलिन ने कहा, यदि आप एक किसान हैं और तय करते हैं कि कितने का फसल बीमा करना है और आप इस अनुमान का उपयोग कई वर्षों तक कर सकते हैं, तो आप लंबी अवधि में आगे निकल जाएंगे। एल नीनो के साथ भी ऐसा ही है। यह गारंटी नहीं देता है, लेकिन यह मदद करता है। यह शोध एएमइस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in