
यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के नेशनल सेंटर फॉर अर्थ ऑब्जर्वेशन से जुड़े शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि पिछले 40 वर्षों में महासागरों का तापमान चार गुणा से भी ज्यादा बढ़ गया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक 1980 के दशक के उत्तरार्ध में, महासागरों का तापमान हर दशक करीब 0.06 डिग्री सेल्सियस की दर से बढ़ रहा था, लेकिन अब इसमें वृद्धि की यह दर प्रति दशक 0.27 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ चुकी है।
इस अध्ययन के नतीजे 28 जनवरी 2025 को जर्नल एनवायर्नमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुए हैं। अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला है कि 2023-2024 की शुरूआत में समुद्र का तापमान रिकॉर्ड ऊंचाई पर क्यों पहुंच गया था।
अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता और रीडिंग विश्वविद्यालय में प्रोफेसर क्रिस मर्चेंट ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि “अगर महासागर बाथटब की तरह होते, तो 1980 के दशक में गर्म पानी धीरे-धीरे आता था, जिससे हर दशक में समुद्र थोड़ा-थोड़ा गर्म होता था।“
“लेकिन अब वही गर्म पानी बहुत तेजी से आ रहा है, और समुद्र ज्यादा तेजी से गर्म हो रहा है। ऐसे में इसे धीमा करने के लिए हमें गर्म नल को बंद करना होगा। मतलब की कार्बन उत्सर्जन में कटौती करके नेट-जीरो की दिशा में बढ़ना होगा।“
बिगड़ रहा है पृथ्वी का ऊर्जा संतुलन
अध्ययन से पता चला है कि समुद्र तेजी से गर्म हो रहा है, क्योंकि पृथ्वी का ऊर्जा संतुलन बिगड़ रहा है। पृथ्वी सूर्य से मिलने वाली जितनी ऊर्जा अंतरिक्ष में छोड़ रही है, उससे कहीं अधिक अवशोषित कर रही है। 2010 के बाद से यह ऊर्जा असंतुलन करीब दोगुना हो गया है और स्थिति कहीं ज्यादा बदतर हो गई है।
यह वातावरण में मौजूद कहीं अधिक ग्रीनहाउस गैसों के कारण हो रहा है। इसकी वजह से पृथ्वी पहले की तुलना में सूर्य की रोशनी को वापस अंतरिक्ष में नहीं भेज रही है।
अध्ययन के मुताबिक 2023 और 2024 की शुरूआत में, महासागरों का तापमान लगातार 450 दिनों तक रिकॉर्ड ऊंचाई पर रहा। इसका एक कारण प्रशांत महासागर में घटी अल नीनो की घटना थी।
वैज्ञानिकों ने इस अल नीनो की घटना की तुलना 2015-16 में आए ऐसे ही अल नीनो से की है। उन्होंने पाया कि पिछले दस वर्षों में महासागर बहुत तेजी से गर्म हुए हैं। वास्तव में, रिकॉर्ड गर्मी का 44 फीसदी हिस्सा महासागरों द्वारा अधिक गर्मी को तेजी से अवशोषित करने से आया है।
निष्कर्ष दर्शाते हैं कि हाल के दशकों में महासागरों का तापमान बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। पिछले 40 वर्षों के दौरान तापमान में जो बढ़ोतरी देखी गई है, वह अगले महज दो दशकों में फिर से हो सकती है।
महासागर तेजी से गर्म हो रहे हैं, इसका असर पूरे ग्रह पर पड़ रहा है। ऐसे में यह जलवायु के लिए बेहद मायने रखते हैं। इसे धीमा करने और जलवायु को स्थिर रखने के लिए, हमें जीवाश्म ईंधन के बढ़ते उपयोग को सीमित करने की जरूरत है।